उत्तराखंड मैं पंचबदरी

उत्तराखंड मैं पंचबदरी

1. बद्रीनाथ समुद्र तल से 3100 मी. की ऊंचाई पर देश के चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ को सतयुग में मुक्तिप्रदा, त्रेता युग में योगसिद्धा, द्वापर युग में विशाला एवं कलयुग में बद्रीकाश्रम कहा गया है। इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने किया था। बद्रीनाथ गंधमादन पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप 15 वीं शताब्दी अजयपाल ने किया । विशाल राजा का क्षेत्र होने से इसका नाम बद्रीविशाल पड़ा। यह मंदिर 3 भागों में विभाजित है। गर्भगृह, दर्शनमण्डल, सभामण्डल बद्रीनाथ से 3 किमी. दूर व्यास गुफा और गणेश गुफा और मंजकुण्ड गुफा स्थित है। मंदिर से कुछ नीचे अलकनंदा के पास में गर्म जलधारा तप्त कुण्ड है।

पंचधारा

1 भृगु धारा

2 इन्द्र धारा

3 कुर्म धार 

4 प्रहलाद धारा

5 उर्वशी धारा 

 पंचशिला 

1 गरूड़ शिला 

2 नारद शिला 

3 मार्कण्डेय शिला  

4 नरसिंह शिला 

5 वाराह शिला 

सभी पंचशिलाएँ और पंचधाराएं बद्रीनाथ के समीप और चमोली जनपद में स्थित है।

2. आदि बदरी चमोली जनपद आदिबदरी समुद्र तल से 920 मीटर की ऊंचाई पर कर्णप्रयाग से 21 किमी की दूरी रानीखेत चौखुटिया मार्ग पर अवस्थित है। आदि बदरी को स्थानीय भाषा मे नौठा कहा जाता है। यह मुख्य रूप से 14 मंदिरों का एक समूह है। 

3. वृद्ध बदरी बदरीनाथ मार्ग पर 1398 मीटर की ऊंचाई पर जोशीमठ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर भगवान विष्णु ने व द्ध संन्यासियों को दर्शन दिये थे। अतः इसी कारण यहां का नाम वृद्ध बदरी पड़ा। आदि गुरू शंकराचार्य ने यहां वृद्ध बदरी के मूर्ति की स्थापना की थी। .

4. भविष्य बदरी चमोली जनपद के जोशीमठ से 20 किमी की दूरी पर समुद्र तल से 2744 मी. की ऊंचाई पर भविष्य बदरी स्थित है। यहां पर भगवान विष्णु की आधी आकशति की पूजा होती है। लोकमान्यता है कि घोर कलयुग आने पर नर नारायण पर्वत आपस में मिल जायेंगे तब बद्रीनाथ की यात्रा नामुमकिन हो जायेगी और भविश्य बदरी में यह मूर्ति पूर्ण होकर भगवान भविष्य बदरी में प्रकट होंगे और बदरीनाथ की पूजा भविष्य बदरी में होने लगेगी।

5. योगध्यान बदरी चमोली जनपद के जोशीमठ से 21 किमी. की दूरी पर पाण्डुकेश्वर में योग ध्यान बदरी है कहा जाता है कि यहां पर पांडु अपनी पत्नियों कुन्ती एवं माद्री के साथ रहते थे और पांडवों का जन्म यही हुआ। यहां पर भगवान विष्णु योग साधना में लीन हैं।

शीत काल में बदीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर बद्रीनाथ जी की मूर्ति यहां लाई जाती है।

प्रमुख नगरों के प्राचीन एवं उपनाम 

 नगर                     प्राचीन नाम                        उपनाम

कुमाऊँ क्षेत्र       मानस खण्ड, कूर्माचल

गढ़वाल क्षेत्र          केदारखण्ड
हरिद्वार             मायावती, देवताओं   गंगाद्वार, तीर्थों का द्वार,
             का द्वार  यूरपुर, का ओपिल  कुंभ नगरी, सेतुनगर,                   या कुपिला माया, शिव         उत्तर भारत का केरल,
                 की राजधानी तीर्थ नगरी
देहरादू                 शिव भूमि              सैनिक नगर, वन नगर,
                         लीची नगर
ऋशिकेष           कुब्जाम्रक                 संतनगरी, गंगानगर
मसूरी                                                  पहाड़ों की रानी
जोशीमठ                   ज्योतिर्मठ
कोटद्वार                                              गढ़वाल का द्वार
रूद्रप्रयाग                   पुनाड़
पिथौरागढ़                सोरक्षेत्र                  छोटा कश्मीर
अल्मोड़ा                                           बाल मिठाई का घर
कौसाानी                                     भारत का स्विट्जरलैण्ड 
नैनीताल                                झीलों की नगरी, सरोवर नगर
काठगोदाम                                           कुमाऊँ का द्वार
द्वाराहाट                                               मंदिरों की नगरी
काशीपुर               गोविषाण

टिप्पणियाँ