माँगल गीत : हल्दी बान - मंगल स्नान
(गढ़वाली)
दे द्यावा.. दे द्यावा.. मेरा बरमा जी… दे द्यावा हलदी का बान हे…
जिया रेयाँ..
जिया मेरा.. बरमा जी…
जौन दीनि हलदी
का बान हे…
दे द्यावा.. दे
द्यावा.. मेरी माँजी हे…
दे द्यावा हलदी
का बान हे…
जिया रेयाँ..
जिया मेरी.. मेरी बडी जी…
जौन दीनि दै दूध
का बान हे…
दे द्यावा.. दे
द्यावा.. मेरी चची जी…
दे द्यावा घ्यू
तेल का बान हे…
जिया रेयाँ..
जिया मेरा.. पुफू जी…
जौन दीनि चन्दन
का बान हे…
दे द्यावा.. दे
द्यावा.. मेरी भाभी जी…
दे द्यावा समोया
का बान हे…
दे द्यावा.. दे
द्यावा.. मेरी दीदी जी…
दे द्यावा कचूर
का बान हे…
दे द्यावा कचूर
का बान हे…
दे द्यावा कचूर
का बान हे…
क्यान होये..
क्यान होये.. कुण्ड कौज्याल? क्यान होई..
क्यान होई.. धौली पिंगली? |
(हिंदी)
दे दो.. दे दो.. मेरे ब्राह्मण जी… दे दो हल्दी के बान…
दिर्घायु रहे..
ब्राह्मण जी... जिन्होंने हल्दी के बान दिए…
दे दो.. दे दो..
मेरी मांजी…
दे दो हल्दी के
बान…
चिरायु रहे..
मेरी ताईजी.. जिन्होंने दही-दूध के बान दिए…
दे दो.. दे दो..
मेरी चाची जी…
दे दो घी-तेल के
बान…
शतायु रहे..
मेरी बुआजी.. जिन्होंने चन्दन के बान दिए…
दे दो.. दे दो..
मेरी भाभी जी... दे दो समोया के बान…
दे दो.. दे दो..
मेरी दीदी जी... दे दो कचूर के बान…
दे दो कचूर के
बान…
दे दो कचूर के
बान…
क्यों
जलकुंड.. मटमैला हुआ? धौली (गंगा)
क्यों.. पीली हुई है? |
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