ताड़कासुर का वध करने के बाद भगवान शिव ने यहां विश्राम

 Tarkeshwar Mahadev Temple

जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल विकासखण्ड से लगभग पच्चीस किलोमीटर बांज तथा बुरांश की जंगलों के बीच चखुलियाखाल से लगभग सात किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है ताड़केश्वर महादेव मंदिर।

गढ़वाल राइफल के मुख्यालय लैन्सड़ौंन से लगभग पचास किलोमीटर दूर तथा गढ़वाल के द्वार कोटद्वार से लगभग पैंसठ किलोमीटर दूर स्थित यह धार्मिक स्थल दशकों से लोगों की आस्था और धार्मिक पर्यटन का केन्द्र रहा है। इसके पश्चिम में गढ़वाल का प्रसिद्ध पौराणिक बाजार सतपुली यहां से लगभग दस -बारह किलोमीटर दूरी पर है

ताड़केश्वर महादेव ताड़ के विशाल वृक्षों के बीच में स्थित एक ऐसा प्राचीन तथा पौराणिक मंदिर है कि जहां आने मात्र से ही मन को एक अजीब प्रकार का सुकून और राहत मिलती है। यहां पर प्रकृति ने ऐसा वातावरण तथा दृश्यावलि रची हुई हैं कि ऐसा इस जगह के अतिरिक्त और कहीं देखने को नही मिलता है। यहां विशाल ताड़ के वृक्ष तथा हर मौसम में लबालब भरे जलकुण्ड देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है।


कहते हैं कि ताड़कासुर का वध करने के बाद भगवान शिव ने यहां विश्राम किया था जब माता पार्वती ने देखा कि भगवान शिव को सूर्य की गर्मी लग रही है तो माता पार्वती ने स्वयं देवदार के वृक्षों का रूप धरा और भगवान शिव को छाया प्रदान की। भगवान शिव मंदिर के प्रांगण में आज भी वे सात ताड़ के पेड़ विराजमान हैं। रामायण में भी ताड़केश्वर का वर्णन एक पवित्र तीर्थ के रूप् में मिलता है। यहां बाबा ताड़केश्वर के पास लोग यहां अपनी मुरादें लेकर आते हैं। और भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी निराश नही करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वे यहां मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं। यहां मंदिर में चढ़ाई गई हजारों घंटियां इस बात का प्रमाण हैं कि यहां बाबा की शरण में आने वाले मनीषियों का कल्याण होता है

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