उत्तराखंड होली गीत (कुमाउनी)

Uttarakhand Holi Songs (Kumauni)

वसन्त ऋतु में होली का विशेष महत्व है. कुमाऊनी में होली को होली कहा जाता है. इस नृत्यगीत में ब्रजमंडल के ही गीतों का कुमाऊनी करण किया हुआ लगता है. प्रायः सभी होली गीतों में कहीं-कहीं ही कुमाऊनी शब्द मिलते हैं, शेष पदावली ब्रजभाषा या खड़ीबोली की रहती है.

 Kumaoni Holi Song.


जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥
ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे,
हे ठाड़ी भरूँ राजा राम जी देखे। 
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरू जमुना गहरी। 
बैठी भरूँ भीजे चुनरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥
धीरे चलूँ घर सास बुरी है,
हे धीरे चलू घर सास बुरी है। 
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
धमकि चलूँ छलके गगरी….
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी।
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥
गोदी पर बालक, सिर पर गागर,
हे गोदी पर बालक, सिर पर गागर।
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी,
पर्वत से उतरी गोरी…
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी
जल कैसे भरूँ जमुना गहरी॥

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