पिथौरागढ जनपद का ( चंडिका घाट - मंदिर )

 पिथौरागढ जनपद का  (  चंडिका घाट - मंदिर  )

 देवी भगवती को समर्पित यह देवालय राम गंगा नदी के तट पर पिथौरागढ़ से पैंतीस किलोमीटर दूर , सुवालेख से अठारह किलोमीटर दूर तथा झूणी ग्राम से पांच किलोमीटर पैदल दूरी पर अस्कोट गंगोलीहाट प्राचीन पैदल मार्ग पर स्थित है । चंडिका न्याय की देवी मानी जाती है । 
चंडिका देवी को चंडी देवी के नाम से भी जाना जाता है। यह महिला शक्ति की देवी के रूप में काफी पूजनीय है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी दानवों का नाश करती है और धर्मनिष्ठ व आस्था से भरे लोगों का उद्धार करती है

Pithoragarh District ( Chandika Ghat - Temple )

अगर किसी व्यक्ति को न्यायालय से न्याय प्राप्त नहीं होता तो वह व्यक्ति यहां आकर देवी से न्याय की गुहार लगाता है और देवी अपने भक्तजनों को न्याय प्रदान करती है । मंदिर अत्यन्त मनोहारी स्थान पर प्रकृति के बीच सुरम्य वनों से घिरा हुआ है । नवरात्रियों में यहां प्रतिदिन भक्तों का विशाल जमघट लगता है । यहां एक शिव का भी मंदिर है । यहां उत्तरायणी मकर संक्रांति को मेले का आयोजन होता है । यहां बलि पूजा का भी विधान है । देवी पुराण में उल्लेख है कि महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी ने यहां हवन व तप किया था । देवी चंडिका को महादेव शिव की अर्धांगिनी माना जाता है । पूजन पर देवी अपने भक्तों व स्थानीय जनता की प्रकृति के प्रकोप से सदैव रक्षा करती है और उन्हें धन धान्य प्रदान करती है

टिप्पणियाँ

upcoming to download post