मसाण देवता की पूजा-अर्चना (masaan devata kee pooja-archana)

 शिव का एक रुप यह भी होता हैं 

कुमाऊँ और गढ़वाल आज भी मसाण' देवता की पूजा-अर्चना

उत्तराखंड के कुमाऊँ और गढ़वाल दोनों ही मंडलों में बहुत से ऐसे स्थानीय देवी-देवता हैं जिनकी पूजा ग्रामवासियों द्वारा समय-समय पर की जाते रही है. उन्ही देवी-देवताओं में एक 'मसाण' देवता की पूजा-अर्चना भी पहाड़ी जीवनशैली का हिस्सा है. मसाण देवता एक तरह से शमशान के भूत अथवा उनके राजा हैं जिनको शक्ति के स्वरूप भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है. एक मान्यता के अनुसार जब बीमारी का कारण ज्ञात न हो तो उसे मसाण का सताया या डरा हुआ कहते हैं. इसकी पूजा के लिए 'जागर' पहाड़ी संस्कृति का हिस्सा है. कहते हैं यह अलग-अलग वेष में जंगलों, गुफ़ाओं नदी के किनारे रहते हैं. किसी अपरिचित जैसे साधु, बूढ़े व्यक्ति के वेष में कई बार ये व्यक्ति की रक्षा हेतु रात्रि में उसके साथ भी चलते हैं. छोटे बच्चों, महिलाओं या हृदय के कमज़ोर व्यक्ति में यह आसानी से घर कर जाता है इसलिए नदी किनारे आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह गांव के सयाने अक्सर देते हैं. 


कुमाऊँ में इसके काफ़ी प्रचलित मन्दिरों में से एक आरा मसाण के मन्दिर (दन्या, अल्मोड़ा के समीप) में गाँव की एक पूजा के लिए जाना हुआ. पूर्व में यहाँ सड़क मार्ग न होने के कारण आना काफ़ी कठनाई भरा होता था किन्तु वर्तमान में आरा-सलपड मार्ग बन जाने के कारण यहाँ तक पहुंचना अब आसान हो गया है. मन्दिर परिसर काफी बेहतर है. पूजा सामग्री में प्रयोग के लिए सभी छोटे - बड़े बर्तनों की भरपूर व्यवस्था यहाँ मौजूद है. कहते हैं इनकी पूजा या दर्शन का बुलावा आ जाए तो व्यक्ति को इनके दरबार में आना ही होता है. आज कई वर्षों के बाद लॉकडाउन के बहाने मुझे भी यह सौभाग्य प्राप्त हुआ. जय हो

मसाण देवता FAQs (Frequently Asked Questions)


Q1. मसाण देवता कौन हैं?
मसाण देवता को शमशान के भूतों के राजा और भगवान शिव के एक रूप के रूप में पूजा जाता है। ये शक्ति के स्वरूप माने जाते हैं और पहाड़ी संस्कृति में इनका विशेष महत्व है।

Q2. मसाण देवता की पूजा क्यों की जाती है?
मसाण देवता की पूजा आमतौर पर तब की जाती है जब किसी बीमारी का कारण अज्ञात हो या जब व्यक्ति को "मसाण का डर" माना जाता है। यह पूजा 'जागर' के माध्यम से की जाती है।

Q3. मसाण देवता कहां रहते हैं?
मान्यता है कि मसाण देवता जंगलों, गुफाओं और नदी किनारे निवास करते हैं। ये साधु, बूढ़े व्यक्ति या अपरिचित जैसे वेष में भी प्रकट हो सकते हैं।

Q4. मसाण देवता किसे प्रभावित कर सकते हैं?
मसाण देवता विशेष रूप से छोटे बच्चों, महिलाओं और कमजोर हृदय वाले व्यक्तियों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए नदी किनारे सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

Q5. मसाण देवता की पूजा के लिए कौन-सा स्थान प्रसिद्ध है?
कुमाऊं क्षेत्र में, आरा मसाण मंदिर (दन्या, अल्मोड़ा के पास) मसाण देवता के पूजा स्थलों में से एक प्रसिद्ध मंदिर है।

Q6. आरा मसाण मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
पहले यह स्थान सड़क मार्ग से पहुंचने में कठिन था, लेकिन अब आरा-सलपड मार्ग बनने के बाद यहां तक पहुंचना आसान हो गया है।

Q7. मसाण देवता की पूजा का तरीका क्या है?
मसाण देवता की पूजा 'जागर' नामक पारंपरिक अनुष्ठान से की जाती है, जिसमें उनकी शक्ति को जागृत किया जाता है।

Q8. क्या मसाण देवता की पूजा करने के लिए किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है?
हां, पूजा सामग्री के लिए विशेष बर्तनों की व्यवस्था की जाती है, जो आरा मसाण मंदिर में उपलब्ध है।

Q9. क्या मसाण देवता के दर्शन के लिए कोई बुलावा होता है?
मान्यता है कि जब मसाण देवता का बुलावा होता है, तो व्यक्ति को उनके दरबार में जाना अनिवार्य होता है।

Q10. मसाण देवता के दर्शन का सर्वोत्तम समय क्या है?
मसाण देवता की पूजा और दर्शन के लिए विशेष समय का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसे किसी भी समय किया जा सकता है जब बुलावा महसूस हो।

Q11. क्या मसाण देवता को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है?
हां, मसाण देवता को भगवान शिव के शक्ति रूप के रूप में देखा जाता है।

Q12. क्या मसाण देवता की पूजा केवल बीमारी के समय की जाती है?
नहीं, मसाण देवता की पूजा व्यक्तिगत मान्यता और श्रद्धा पर निर्भर करती है। इसे किसी भी समस्या या संकट के समय किया जा सकता है।

Q13. क्या मसाण देवता के मंदिरों में महिलाएं जा सकती हैं?
हां, महिलाएं मसाण देवता के मंदिरों में जा सकती हैं, लेकिन उन्हें सावधानी और ग्रामीण परंपराओं का पालन करने की सलाह दी जाती है।

Q14. क्या मसाण देवता के दर्शन से डरने की आवश्यकता है?
मसाण देवता से डरने की आवश्यकता नहीं है। उनकी पूजा श्रद्धा और समर्पण के साथ की जाती है, और उन्हें संकटमोचक के रूप में माना जाता है।

Q15. मसाण देवता की पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • पूजा स्थान की पवित्रता बनाए रखें।
  • स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का पालन करें।
  • नदी या जंगल जैसे स्थानों पर सतर्कता बरतें।

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