लोक गायक जीत सिंह नेगी

लोक गायक जीत सिंह नेगी: गढ़वाल की सांस्कृतिक विरासत के रचनाकार

लोक गायक जीत सिंह नेगी को गढ़वाल का "भगीरथ" कहा जाए तो गलत नहीं होगा। उन्होंने अपने जीवन को गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसे नई पहचान देने में समर्पित किया। उनके गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने पहाड़ी संस्कृति को न केवल भारत बल्कि विश्वभर में पहचान दिलाई।

सांस्कृतिक गतिविधियां

जीत सिंह नेगी का सांस्कृतिक सफर वर्ष 1942 से शुरू हुआ। पौड़ी के नाट्य मंचों पर उनके स्वरचित गीतों की प्रस्तुति ने उनके गायन जीवन की नींव रखी।

प्रमुख सांस्कृतिक योगदान:

  1. 1942: पौड़ी के नाट्य मंचों पर स्वरचित गढ़वाली गीतों का सस्वर पाठ।
  2. 1949: 'यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी' मुंबई से छह गढ़वाली गीत रिकॉर्ड किए, जो अत्यधिक लोकप्रिय हुए।
  3. 1955: आकाशवाणी दिल्ली से गढ़वाली गीतों का प्रसारण प्रारंभ।
  4. 1964: श्रीनगर गढ़वाल में हरिजन सेवक संघ के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का निर्देशन।
  5. 1979: मसूरी टीवी टावर के उद्घाटन पर दिल्ली दूरदर्शन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण।
  6. 1987: इलाहाबाद में राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह में पर्वतीय कला मंच का नेतृत्व।

सम्मान और पुरस्कार

जीत सिंह नेगी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:

  • 1956: गढ़वाली गीतों के संग्रह गीत गंगा के लिए अखिल गढ़वाल सभा द्वारा सम्मान।
  • 1962: साहित्य सम्मेलन चमोली द्वारा "लोकरत्न" की उपाधि।
  • 1995: उत्तरप्रदेश संगीत अकादमी द्वारा अकादमी पुरस्कार।
  • 2000: अल्मोड़ा संघ की ओर से मोहन उप्रेती लोक संस्कृति पुरस्कार
  • 2016: दैनिक जागरण द्वारा "लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान"।

गढ़वाल भ्रातृ मंडल और सांस्कृतिक जुड़ाव

जीत सिंह नेगी का जुड़ाव कई सांस्कृतिक संगठनों से रहा:

  • हिमालय कला संगम, दिल्ली।
  • पर्वतीय कला मंच, देहरादून।
  • गढ़वाल भ्रातृ मंडल, मुंबई।
  • अखिल गढ़वाल सभा, देहरादून।

प्रमुख एलबम

  1. रवांई की राजुला: गढ़वाल की प्रेमगाथा को समर्पित।
  2. मेरी प्यारी ब्वै: संवाद और गीतों का अनोखा संगम।

गढ़वाली सिनेमा में योगदान

जीत सिंह नेगी ने गढ़वाली सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने "मेरी प्यारी ब्वै" जैसे प्रोजेक्ट्स में संवाद और गीतों का लेखन किया।

निष्कर्ष

लोक गायक जीत सिंह नेगी ने गढ़वाली लोकसंगीत और सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान दी। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। गढ़वाल की संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा।

"उनके गीत न केवल सुनने वालों को मंत्रमुग्ध करते हैं, बल्कि गढ़वाल की धरती, उसकी परंपराओं और उसकी आत्मा का अनुभव कराते हैं।"

FQCs: लोक गायक जीत सिंह नेगी

  1. लोक गायक जीत सिंह नेगी कौन थे?
    जीत सिंह नेगी गढ़वाल के प्रसिद्ध लोक गायक, गीतकार, और सांस्कृतिक व्यक्तित्व थे, जिन्हें "गढ़वाल के कोकिल" के नाम से भी जाना जाता है।

  2. जीत सिंह नेगी ने लोक संगीत की शुरुआत कब की?
    उन्होंने 1942 में अपने छात्र जीवन से ही गढ़वाली गीतों का गायन शुरू किया था।

  3. जीत सिंह नेगी का पहला गीत किसने रिकॉर्ड किया?
    1949 में यंग इंडिया ग्रामोफोन कंपनी, मुंबई ने उनके छह गढ़वाली गीत रिकॉर्ड किए।

  4. उन्होंने फिल्मी क्षेत्र में क्या योगदान दिया?
    उन्होंने 1954 में फिल्म खलीफा और चौदहवीं रात में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया।

  5. जीत सिंह नेगी के गढ़वाली गीतों के संग्रह का नाम क्या है?
    उनके गढ़वाली गीतों का संग्रह गीत गंगा के नाम से प्रकाशित हुआ था।

  6. लोक गायक जीत सिंह नेगी को किन सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया?
    उन्हें "गढ़ रत्न," "लोकरत्न," और "लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड" जैसे कई सम्मान मिले।

  7. जीत सिंह नेगी का आकाशवाणी से क्या संबंध रहा?
    1955 में, वे गढ़वाली गीतों के प्रसारण के लिए आकाशवाणी दिल्ली के पहले बैच में शामिल हुए।

  8. जीत सिंह नेगी ने कौन-कौन से एलबम जारी किए?
    उनके प्रसिद्ध एलबमों में रवांई की राजुला और मेरी प्यारी ब्वै शामिल हैं।

  9. उन्होंने सांस्कृतिक गतिविधियों में कौन-कौन से उल्लेखनीय कार्य किए?
    उन्होंने पर्वतीय लोकगीत, नृत्य, और नाटकों के माध्यम से गढ़वाल और कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया।

  10. जीत सिंह नेगी का प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव किन संस्थाओं से था?
    वे गढ़वाल भ्रातृ मंडल, मुंबई, पर्वतीय कला मंच, देहरादून, और अखिल गढ़वाल सभा, देहरादून जैसे संगठनों से जुड़े रहे।

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