उत्तराखंड की प्रसिद्ध महिलाएं गौरा देवी
Famous Women of Uttarakhand Gaura Devi
गौरा देवी क्यों प्रसिद्ध है?
गौरा देवी (अंग्रेजी : Gaura Devi) जिनका जन्म १९२५ में उत्तराखंड के लाता गाॅंव में हुआ था। इन्हें चिपको आन्दोलन की जननी माना जाता है। उस वक़्त गाॅंव में काफी बड़े-बड़े पेड़ -पौधे थे जो कि पूरे क्षेत्र को घेरे हुए थे।
चिपको आंदोलन के जनक कौन है?
चिपको आंदोलन के नाम से जाना जाने वाला एक आंदोलन उत्तराखंड में लगभग 45 साल पहले शुरू हुआ था। इस आंदोलन की शुरुआत चंडीप्रसाद भट्ट और गौरा देवी ने की थी और इसका नेतृत्व भारत के जाने-माने सुंदरलाल बहुगुणा ने किया था।
गौरा देवी को वृक्ष मित्र पुरस्कार कब दिया गया?
गौरा देवी को 1986 ई. में 'वृक्ष मित्र' पुरस्कार प्राप्त हुआ।
गौरा देवी का विवाह किस उम्र में हुआ था?
12 साल की उम्र में उनकी शादी पड़ोसी गांव रैनी के एक परिवार में कर दी गई। हालाँकि, दुखद रूप से, 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति को खो दिया और पूरे घर की ज़िम्मेदारी और उनके छोटे कंधों पर एक नवजात बच्चा था।
गौरा देवी को प्रथम पर्यावरण हितैषी पुरस्कार कब प्रदान किया गया?
गौरा देवी पर्यावरण एवं प्रकृति पर्यटन विकास मेला 2016 की आयोजन समिति द्वारा मेरा पेड़ मेरा धन व जलाशय संरक्षण पर बोनस की पहल करने को लेकर रावत को यह नागरिक सम्मान दिया है।
चिपको आंदोलन का दूसरा नाम क्या था?
अप्पिको आंदोलन को स्थानीय रूप से अप्पिको चालुवली के रूप में जाना जाता था और चिपको आंदोलन का दक्षिणी संस्करण है।
चिपको आंदोलन का नारा क्या है?
तीस साल पहले उत्तरांचल के पर्वतीय इलाक़ों में पेड़ों से चिपककर महिलाओं ने एक नारा दिया था – पहले हमें काटो तब जंगल और पेड़ काटने गये ठेकेदारों को उनके सामने हथियार डालने पड़े थे. ये चिपको आंदोलन था.
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