Sri Balaji Chalisa / श्री बालाजी चालीसा

 श्री बालाजी चालीसा

"श्री बालाजी चालीसा" भगवान वेंकटेश्वर (श्री बालाजी) की स्तुति है जो भक्तिभाव से पठी जाती है। चालीसा हिन्दू धर्म में एक प्रकार का भक्तिग्रंथ है जिसमें देवता की महिमा और कृपा का वर्णन होता है। श्री बालाजी चालीसा का पाठ करने से भक्त श्री बालाजी की कृपा को प्राप्त करता है, और उनके प्रति भक्ति में वृद्धि होती है।

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान । 
बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण ॥
विश्व विदित वर दानी संकट हरण हनुमान । 
मैंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान ।

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान बालाजी देवाप्रगट भये यहां तीनों देवा ।
प्रेतराज भैरव बलवानाकोतवाल कप्तानी हनुमाना ।
मैंहदीपुर अवतार लिया हैभक्तों का उद्धार किया है 
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर संकट वाले आते जहाँ पर ।
डानि शाकनि अरु जिन्दनींमशान चुड़ैल भूत भूतनीं ।
जाके भय ते सब भग जातेस्याने भोपे यहाँ घबराते ।
चौकी बन्धन सब कट जातेदूत मिले आनन्द मनाते ।
सच्चा है दरबार तिहाराशरण पड़े सुख पावे भारा 
रूप तेज बल अतुलित धामासन्मुख जिनके सिय रामा 
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशासबकी होवत पूर्ण आशा ।
महन्त गणेशपुरी गुणीलेभये सुसेवक राम रंगीले ।
अदभुत कला दिखाई कैसीकलयुग ज्योति जलाई जैसी ।
ऊँची ध्वजा पताका नभ मेंस्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में 
धर्म सत्य का डंका बाजेसियाराम जय शंकर राजे ।
आन फिराया मुगदर घोटाभूत जिन्द पर पड़ते सोटा ।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणाबाल रूप प्रगटे हनुमाना ।
जय हनुमन्त हठीले देवापुरी परिवार करत हैं सेवा ।
लड्डू चूरमा मिश्री मेवाअर्जी दरखास्त लगाऊ देवा ।.
दया करे सब विधि बालाजीसंकट हरण प्रगटे बालाजी ।
जय बाबा की जन जन ऊचारेकोटिक जन तेरे आये द्वारे ।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हातिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा ।
 देवन विनती की अति भारीछाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी ।
लांघि उदधि सिया सुधि लायेलक्ष्मन हित संजीवन लाये ।
रामानुज प्राण दिवाकरशंकर सुवन माँ अंजनी चाकर ।
केशरी नन्दन दुख भव भंजनरामानन्द सदा सुख सन्दन ।
सिया राम के प्राण पियारेजब बाबा की भक्त ऊचारे ।
संकट दुख भंजन भगवानादया करहु हे कृपा निधाना 
सुमर बाल रूप कल्याणाकरे मनोरथ पूर्ण कामा ।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारीभक्त जन आवे बहु भारी ।
मेवा अरू मिष्ठान प्रवीनाभेंट चढ़ावें धनि अरु दीना ।
नृत्य करे नित न्यारे न्यारेरिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे ।
अर्जी का आदेश मिलते हीभैरव भूत पकड़ते तबही ।
कोतवाल कप्तान कृपाणीप्रेतराज संकट कल्याणी ।
चौकी बन्धन कटते भाईजो जन करते हैं सेवकाई ।
रामदास बाल भगवन्तामैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता ।
जो जन बालाजी में आतेजन्म जन्म के पाप नशाते ।
जल पावन लेकर घर जातेनिर्मल हो आनन्द मनाते ।
क्रूर कठिन संकट भग जावेसत्य धर्म पथ राह दिखावे ।
जो सत पाठ करे चालीसातापर प्रसन्न होय बागीसा ।
कल्याण स्नेहीस्नेह से गावेसुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे|

 ॥ दोहा ॥

मन्द बुद्धि मम जानकेक्षमा करो गुणखान । 
संकट मोचन क्षमहु ममदास स्नेही कल्याण ॥

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