श्री राणी सती चालीसा /Sri Rani Sati Chalisa

 श्री राणी सती चालीसा

श्री राणी सती चालीसा का पाठ करने की सामान्य विधि निम्नलिखित है
  1. शुभ मुहूर्त का चयन: श्री राणी सती चालीसा का पाठ करने के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करें, जैसे कि सुबह या संध्या के समय।
  2. पूजा स्थान का चयन: एक शुद्ध और साफ पूजा स्थान का चयन करें जहां आप पूजा कर सकते हैं।
  3. श्री राणी सती माता की मूर्ति या छवि का स्थापना: श्री राणी सती माता की मूर्ति या छवि को एक स्थान पर स्थापित करें।
  4. पंज अग्रपूजा: पंज अग्रपूजा करें जिसमें फूल, दीप, धूप, अक्षत, और नैवेद्य शामिल होते हैं।
  5. श्री राणी सती चालीसा का पाठ: श्री राणी सती चालीसा का पाठ करें भक्तिभाव से।
  6. मन्त्रों का जप: श्री राणी सती माता के मंत्रों का जप करें, जैसे "ॐ जय शिव शंकरा, राणी सती कृपा करो" या अन्य मंत्र।
  7. आरती और भजन: श्री राणी सती माता की आरती और उनके भजनों का आनंद लें।
  8. आरती और प्रशाद: श्री राणी सती माता की आरती करें और प्रसाद बाँटें।
  9. भक्ति भाव: पूजा के दौरान और उसके बाद, आपको भक्ति भाव से श्री राणी सती माता की आराधना करनी चाहिए।
यह विधि आपकी आदतों, परंपराओं, और स्थानीय संस्कृति के अनुसार समायोजित की जा सकती है।

॥ दोहा ॥

श्री गुरु पद पंकज नमनदूषित भाव सुधार । 

राणी सती सुविमल यशबरणों मति अनुसार ।

कामक्रोध मद लोभ मेंभरम रह्यो संसार । 

शरण गहि करुणामयीसुख सम्पत्ति संचार ।

॥ चौपाई ॥

नमो नमो श्री सती भवानजग विख्यात सभी मन मानी ।

नमो नमो संकटकूँ हरनीमन वांछित पूरण सब करनी 

नमो नमो जय जय जगदम्बाभक्तन काज न होय विलम्बा ।

नमो नमो जय-जय जग तारिणीसेवक जन के काज सुधारिणी ।

दिव्य रूप सिर चुँदर सोहेजगमगात कुण्डल मन मोहे ।

माँग सिन्दूर सुकाजर टीकीगज मुक्ता नथ सुन्दरर नीकी 

गल बैजन्ती माल बिराजेसोलहुँ साज बदन पे साजे ।

धन्य भाग्य गुरसामलजी कोमहम डोकवा जन्म सती को ।

तनधन दास पतिवर पायेआनन्द मंगल होत सवाये 

जालीराम पुत्र वधू होकेवंश पवित्र किया कुल दोके ।

पति देव रण माँय झुझारेसती रूप हो शत्रु संहारे |

पति संग ले सद् गति पाईसुर मन हर्ष सुमन बरसाई 

धन्य धन्य उस राणा जी कोसुफल हुबा कर दरस सती को ।

विक्रम तेरा सौ बावनकूँमंगसिर बदी नौमी मंगलकूँ ।

नगर झुंझुनू प्रगटी माताजग विख्यात सुमंगल दाता 

दूर देश के यात्री आवेधूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

उछाड़ उछाड़ते हैं आनन्द सेपूजा तन मन धन श्री फल से ।

जात जडूला रात जगावेबाँसल गोती सभी मनावे 

पूजन पाठ पठन द्विज करतेवेद ध्वनि मा से उच्चरते ।

नाना भाँति-भाँति पकवानाविप्रजनों को न्यूत जिमाना ।

श्रद्धा भक्ति सहित हरषातेसेवक मन वाँछित फल पाते 

जय जय कार करे नर नारीश्री राणी सती की बलिहारी ।

द्वार कोट नित नौबत बाजेहोत श्रृंगार साज अति साजे ।

रत्न सिंहासन झलके नीकोपल-पल छिन छिन ध्यान सती को ।

भाद्र कृष्ण मावस दिन लीलाभरता मेला रंग रंगीला ।

भक्त सुजन की सकड़ भीड़ हैदर्शन के हित नहीं छोड़ है 

अटल भुवन में ज्योति तिहारीतेज पुंज जग माँय उजियारी ।

आदि शक्ति में मिली ज्योति हैदेश देश में भव भौति है 

नाना विधि सो पूजा करतेनिश दिन ध्यान तिहारा धरते ।

कष्ट निवारिणीदुःख नाशिनीकरुणामयी झुंझुनू वासिनी ।

प्रथम सती नारायणी नामांद्वादश और हुई इसि धामा ।

तिहूँ लोक में कीर्ति छाईश्री राणी सती की फिरी दुहाई ।

सुबह शाम आरती उतारेनौबत घण्टा ध्वनि ढँकारे 

राग छत्तिसों बाजा बाजेतेरहुँ मण्ड सुन्दर अति साजे ।

त्राहि त्राहि मैं शरण आपकीपूरो मन की आश दास की।

मुझको एक भरोसो तेरोआन सुधारो कारज मेरो ।

पूजा जप तप नेम न जानूँनिर्मल महिमा नित्य बखानूँ ।

भक्तन की आपत्ति हर लेनीपुत्र पौत्र वर सम्पत्ति देनी ।

पढ़े यह चालीसा जो शतबाराहोय सिद्ध मन माँहि बिचारा ।

'गोपीराम' (मैं) शरण ली थारीक्षमा करो सब चूक हमारी ।

॥ दोहा ॥

दुख आपद विपदा हरणजग जीवन आधार । 

बिगड़ी बात सुधारिये सब अपराध बिसार ।

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