यूसीसी फुल फॉर्म, यूसीसी कानून, उत्तराखंड का यूसीसी क्या है?

उत्तराखंड विधानसभा में पेश यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की क्या हैं मुख्य बातें?

उत्तराखंड विधानसभा में आख़िरकार मंगलवार को समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 विधेयक पेश कर दिया गया.


समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर विधेयक या बिल का इंतज़ार काफ़ी समय से हो रहा था क्योंकि उत्तराखंड की विधानसभा देश की ऐसी पहली विधानसभा है जिसमें यूसीसी से जुड़ा कोई विधेयक पेश किया गया हो. गोवा में पुर्तगाल के शासन काल से यूसीसी लागू है.
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के चार दिवसीय विशेष सत्र के दौरान ये बिल पेश किया.
सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में सरकार ने एक पैनल का गठन किया था जिसने इस बिल को लेकर एक रिपोर्ट ड्राफ़्ट की थी. चार खंड की इस ड्राफ़्ट रिपोर्ट में 749 पन्ने हैं.
इस पैनल को 70 पब्लिक फ़ोरम से तक़रीबन 2.33 लाख लिखित प्रतिक्रियाएं मिली थीं. कहा जा रहा है कि इन बैठकों के दौरान पैनल के सदस्यों को हज़ारों लोगों से संवाद किया था.

इस बिल को लेकर काफ़ी समय से अनुमान लगाए जा रहे थे कि इसमें महिलाओं और विवाह से जुड़े क़ानून को प्राथमिकता दी गई हैं. वहीं ये भी कहा गया था कि इस पैनल ने लैंगिक समानता और सामाजिक एकता की भी सिफ़ारिश की है.

समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 के विधेयक में आख़िर क्या-क्या प्रावधान किए गए हैं, इसको बिंदुवार जानना भी ज़रूरी है.

यूसीसी कानून क्या है?

UCC full form: आज के इस लेख में हम आपको भारत सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों के लिए लाए जा रहे नए कानून यूसीसी के बारे में बताने वाले हैं जो कि काफी मीडिया सुर्खियों में रह रहा है। तो ऐसे में अगर आपको भी इस कानून के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है और इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो आज के इस लेख को ध्यानपूर्वक अंत तक पढ़ सकते हैं।
और यूसीसी के फुल फॉर्म से ले करके, यूसीसी क्या होता है, और यूसीसी कब लागू होगा, इन सभी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

यूसीसी का फुल फॉर्म क्या होता है

यूसीसी का फुल फॉर्म हिंदी भाषा मे “समान नागरिक संहिता” होता है जबकि अंग्रेजी भाषा मे भी UCC ke Full Form “Uniform Civil Code” हीं होता है। और यह एक प्रकार के सामाजिक मामलों से जुड़ा हुआ कानून बिल है जिसे सामान नागरिकता संहिता कानून के नाम से जाना जाता हैं।

UCC Full Form : Uniform Civil Code
U – Uniform
C – Civil
C – Code

उत्तराखंड का यूसीसी क्या है?

  1. उत्तराखंड विधानसभा में पेश समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 विधेयक सिर्फ़ विवाह, तलाक़, उत्तराधिकार, लिव इन रिलेशनशिप से जुड़ा हुआ है.
  2. इस विधेयक में साफ़ लिखा गया है कि ये पूरे उत्तराखंड में रहने वाले और उसके बाहर के निवासियों पर लागू होगा चाहे उसकी जाति या धर्म कोई भी हो.
  3. इसके साथ ही जो लोग राज्य में केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी हैं उन पर भी ये लागू होगा. राज्य में राज्य या केंद्र सरकार की योजना का लाभ लेने वालों पर भी ये क़ानून लागू होगा.

इसके साथ ही ये भी साफ़ कर दिया गया है कि इस विधेयक से अनुसूचित जनजातियों से जुड़े लोग बाहर रहेंगे.
उत्तराखंड के यूसीसी के मुताबिक़- विवाह पुरुष और महिला के बीच ही हो सकता है. शादी और तलाक़ को लेकर इस विधेयक में विस्तार से बात की गई है.

  1. विवाह के समय वर की कोई जीवित पत्नी न हो और न वधू का कोई जीवित पति हो.
  2. विवाह के समय पुरुष ने 21 वर्ष की आयु और स्त्री ने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो.
  3. अलग-अलग धर्म के लोग अपनी धार्मिक प्रक्रिया से विवाह कर सकते हैं.
  4. किसी भी धार्मिक विधि से विवाह के बावजूद विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा.
  5. विवाह का पंजीकरण न कराने की स्थिति में ये अवैध घोषित नहीं होगा.
  6. इस विधेयक के मुताबिक़, अगर पति-पत्नी के बीच कोई भी मनमुटाव होता है तो उसके लिए वो कोर्ट का रुख़ कर सकते हैं जिसका समाधान क़ानून के आधार पर होगा.

इसके अलावा आपसी सहमति से तलाक़ के मामले में भी कोर्ट का रुख़ करना होगा.

इस क़ानून के तहत तलाक़ के लिए भी कई आधार दिए गए हैं जब कोई शख़्स तलाक़ के लिए याचिका दायर कर सकता है, जैसे..

  • जब पति-पत्नी में से किसी ने भी किसी ओर के साथ मर्ज़ी से शारीरिक संबंध बनाए हों.
  • जब किसी ने भी क्रूरता का व्यवहार किया हो.
  • विवाह के बाद दोनों पक्ष कम से कम दो साल से अलग रह रहे हों.
  • किसी एक पक्ष ने धर्म परिवर्तन कर लिया हो या कोई एक पक्ष मानसिक विकार से पीड़ित हो.
  • कोई एक पक्ष यौन रोग से पीड़ित हो या सात साल से किसी एक पक्ष का कोई अत-पता न हो.
  • विवाह के एक साल के अंदर तलाक़ के लिए याचिका पर प्रतिबंध होगा लेकिन असाधारण मामलों में ये दायर की जा सकती है.
  • किसी व्यक्ति की प्रथा, रुढ़ि, परंपरा से तलाक़ नहीं हो सकेगा.
  • यूसीसी के साथ-साथ ऐसा पहली बार भी हो रहा है जब लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी क़ानून बनाए जाने की तैयारी हो रही है.
  • उत्तराखंड के यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या इसकी तैयारी करने वालों के लिए भी प्रावधान किया गया है. जो लिव-इन रिलेशनशिप में हैं उन्हें इसके बारे में ज़िले के रजिस्ट्रार के सामने घोषणा करनी होगी.
  • इसके साथ ही उत्तराखंड का जो निवासी राज्य के बाहर रहता है वो अपने ज़िले में लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में बता सकता है.
  • लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को भी वैध बच्चा घोषित किया गया है.
  • इसके अलावा उन लोगों का लिव-इन रिलेशनशिप वैध नहीं हो सकता जो अवयस्क हैं, पहले से शादीशुदा हैं या बलपूर्वक या धोखे से ये कर रहे हों.
  • 21 साल से कम उम्र के लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवक-युवती के परिजनों को इसके बारे में पहले से इसको लेकर सूचित करना ज़रूरी होगा.

जो भी युवक-युवती एक महीने से अधिक समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हों और उन्होंने इसके बारे में सूचित नहीं किया है तो उनको तीन महीने तक की सज़ा या उन पर 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है.
यूसीसी लागू
यूसीसी कब लागू होगा
यूसीसी कब लागू होगी

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