100+ प्रसिद्ध गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें)prasiddh pahaadee kahaavaten ( gadhavaalee kahaavaten )
100+ प्रसिद्ध गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें)prasiddh pahaadee kahaavaten ( gadhavaalee kahaavaten )
गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें)/ कहावतें गढवाली में /ग्रामीण कहावतें / पुरानी गढवाली कहावतें / गढवाली मजेदार कहावतें
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- एक कुंडी माछा, नौ कुंडी झोल ।
- गोणी अपड़ु पुछ छोटु ही दिख्येन्दु ।
- सासु बोल्दी बेटी कू , सुणान्दी ब्वारी कू ।
- फाडू मुंड, अफ़ु नि मुंड्येन्द ।
- लुखु की साटि बिसैंई, म्यारा चौंल बिसैंई ।
- हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।
- कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।
- बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।
- लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।
- जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।
- जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।
- तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग ।
- ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।
- लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।
- भुंड न बास, अर शरील उदास ।
- भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।
- अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।
- पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।
- ब्वारी खति ना... , सासु मिठौण लग्युं... ।
- खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ
- आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
- खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गारे कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जै बौ पर जादा सारू छौ वे भैजी भैजी बुन्नी
- बाग गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
- म्यारू नौनु दूँ नि सकुदु , २० पता ख़ूब सकुदु ।
- धुये धुये की ग्वरा, अर लगै लगै की स्वरा नि होन्दा ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का
- भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
- खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गोर कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जैं बौ पर जादा सारू छौं, वे भैजी भैजी बुन्नी
- बाघ गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
- म्यारू नौनु दोण नि सकुदु , २० पथा ख़ूब सकुदु ।
- धुये धुये की ग्वरा, अर घुसे घुसे की स्वरा नि होन्दा ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।
- ना गोरी भली ना स्वाली ।
- राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।
- जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।
- भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।
- सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।
- त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु भुकण छुटी ।
- कुक्कूर मु कपास औरज बांदर मु नरियूल ।
- तिमला कु तिमला बि खत्या,अर् नंगी बि दिख्या ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ लराट किराट ।
0 टिप्पणियाँ