150+ गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां / गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें) garhwali kahaavaten/lokoktiyaan /Garhwal kahaavaten( pahadi kahaavaten)
150+ गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां / गढवाली कहावतें ( पहाड़ी कहावतें )
गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां / गढवाली कहावतें( पहाड़ी कहावतें)/ कहावतें गढवाली में /ग्रामीण कहावतें / पुरानी गढवाली कहावतें / गढवाली मजेदार कहावतें /
कुछ अपणी गढ़वाली/लोकोक्तियां कहावतें / गढ़वाली कहावतें ( पहाड़ी कहावतें ) कुछ अपणी गढ़वाली/लोकोक्तियां कहावतें / गढ़वाली कहावतें ( पहाड़ी कहावतें ) कुछ गढ़वाली औखाण (मुहावरों) का मजा आप भी लीजियेकुछ गढ़वाली औखाण (मुहावरों) का मजा आप भी लीजिये
- नौल गोरू नौ पू घासक ! नए कार्य पर जोश के साथ काम करना।
- पिनौक पातक पाणी ! इधर की बात उधर करने वाला इंसान।
- घर पिनाऊ बण पिनाऊ ! हर जगह एक ही चीज सुनाई देना।
- नौ रत्ती तीन त्वाल ! अनुमान लगाना।
- राती बयाणक भाल भाल स्वैण ! आलस्य के बहाने ढूढ़ना !
- तात्ते खु जई मरू ! जल्दबाजी करना !
- कभी स्याप टयोड, कभी लाकड़ ! परिस्थितियां अनुकूल ना होना।
- अक्ले उमरेक कभी भेंट नई होनी ! अक्ल और उम्र की कभी मुलाकात नहीं होती। जब शरीर में ताकत रहती है तब अक्ल नहीं आती , और जब अक्ल आती है ,तब शरीर कमजोर पड़ जाता है।
- गुणी आपुण पुछोड नान देखूं ! अपने दोषों को कम बताना।
- गऊ बल्द अमुसी दिन ठाड़ ! आलसी इंसान जब कार्य ख़त्म हो जाता है ,तब उपलब्ध होता है।
- का राजेकी रानी , का भगतविकि काणी ! धरती आसमान का अंतर होना।
- कब होली थोरी , कब खाली खोरी ! आशावान रहना।
- आफी नैक ऑफि पैक ! सब कुछ खुद ही करना।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।
- जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।
- जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।
- तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग।
- ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।
- लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।
- भुंड न बास, अर शरील उदास ।
- भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।
- अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।
- बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।
- पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।
- ब्वारी खति ना…, सासु मिठौण लग्युं… ।
- खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
- खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गोर कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जैं बौ पर जादा सारू छौं, वे भैजी भैजी बुन्नी
- बाघ गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
- म्यारू नौनु दोण नि सकुदु , २० पथा ख़ूब सकुदु ।
- धुये धुये की ग्वरा, अर घुसे घुसे की स्वरा नि होन्दा ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।
- ना गोरी भली ना स्वाली ।
- राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।
- जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।
- भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।
- सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।
- त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु भुकण छुटी ।
- कुक्कूर मु कपास औरज बांदर मु नरियूल ।
- तिमला कु तिमला बि खत्या,अर् नंगी बि दिख्या ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ लराट किराट ।
- कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू,तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।
- पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।
- ब्वारी खति ना... , सासु मिठौण लग्युं... ।
- खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ
- आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
- खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गारे कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जै बौ पर जादा सारू छौ वे भैजी भैजी बुन्नी
- दान आदिम की बात और आँमला कु स्वाद, बाद मा आन्दु ।
- बान्दर का मुंड मा टोपली नि सुवान्दी ।
- मि त्येरा गौं औलू क्या पौलू, तु मेरा गौं औलू क्या ल्यालु ।
- भेल़ लमड्यो त घौर नी आयो, बाघन खायो त घौर नी आयो।
- नि खांदी ब्वारी , सै-सुर खांदी ।
- ब्वारी बुबा लाई बल अर ब्वारी बुबन खाई
- उछलि उछलि मारि फालि, कर्म पर द्वी नाली।
- अकल का टप्पु, सरमा बोझा घोड़ा मां अफु।
- सौण मरि सासू, भादो आयां आंसू।
- जु नि धोलो अफड़ो मुख, उक्या देलो हैका तैं सुख।
- पढ़ाई लिखाई बल जाट, अर 16 दुनी आठ ।
- बिरालु मरयूं सबुन देखी, दूध खत्युँ कैन नि देखी ।
- भिंडि बिराल्युं मा मुसा नि मरियेंदन।
- जै गौ जाण ही नी, वे गौं कु बाठु क्या पूछण ।
- मैं राणी, तू राणी, कु कुटलु, चीणा दाणी ।
- पठालु फ़ुटु पर ठकुराण नी उठु
- जख कुखड़ा नि होन्दा, तख रात नि खुल्दी
- बिगर अफ़ु मरयां, स्वर्ग नि जयेन्दु ।
- पैंसा नि पल्ला, दुई ब्यो कल्ला ।
- एक कुंडी माछा, नौ कुंडी झोल ।
- गोणी तैं अपड़ु पुछ छोटु ही दिख्येन्दु ।
- सासु बोल्दी बेटी कू , सुणान्दी ब्वारी कू ।
- अपडू मुंड, अफ़ु नि मुंड्येन्द ।
- लुखु की साटि बिसैंई, म्यारा चौंल बिसैंई ।
- हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।
- कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।
- जन मेरी गौड़ी रमाण च, तन दुधार भी होन्दी ।
- स्याल, कुखड़ों सी हौल लगदु त बल्द भुखा नि मरदा क्या ?
- मेंढकुं सी जु हौल लगदु त लोग बल्द किलै पाल्दा ?
- पैली छै बुड गितार, अब त नाती द ह्वेगी ।
- हैंका लाटु हसान्दु च, अर अपडु रुवान्दु च ।
- बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।
- लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।
- जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।
- जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।
- तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग।
- ठुलो गोरू लोण बुकाओ , छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।
- लूण त्येरी व्वेन नी धोली , आंखा मीकु तकणा।
- भुंड न बास, अर शरील उदास ।
- भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।
- अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।
- बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।
- पैली खयाली खारु, फ़िर भाडा पोछणी ।
- ब्वारी खति ना… , सासु मिठौण लग्युं… ।
- खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा । (कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)
- खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गोर कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जैं बौ पर जादा सारू छौं, वे भैजी भैजी बुन्नी
- बाघ गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
- म्यारू नौनु दोण नि सकुदु , २० पथा ख़ूब सकुदु ।
- धुये धुये की ग्वरा, अर घुसे घुसे की स्वरा नि होन्दा ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
- कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
- जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।
- ना गोरी भली ना स्वाली ।
- राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।
- जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।
- भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।
- सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।
- त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु भुकण छुटी ।
- कुक्कूर मु कपास औरज बांदर मु नरियूल ।
- तिमला कु तिमला बि खत्या,अर् नंगी बि दिख्या ।
- सारी ढेबरी मुंडी माँडी , अर पुछ्ड़ी दाँ लराट किराट
- बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गारे कटै।
- भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।
- नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ
- जै बौ पर जादा सारू छौ वे भैजी भैजी बुन्नी
- बाग गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।
- म्यारू नौनु दूँ नि सकुदु , २० पता ख़ूब सकुदु ।
- धुये धुये की ग्वरा, अर लगै लगै की स्वरा नि होन्दा ।
- कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
- अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
- बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का
- भी चार भांडा ।
- अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
- तितुर खाण मन काव बताय । मन मे कुछ और मुह पर कुछ और।
- कोय चेली ते , सुणाय बुवारी कु। बोला बेटी को और सुनाया बहु को।
- च्यल हेबे सकर नाती प्यार । बेटे से ज्यादा पोता प्यारा होता है।
- ना सौण कम ना भदोव कम। कोई भी किसी से कम नही है। दोनों प्रतियोगी बराबर क्षमता के।
- नी खानी बौड़ी,चुल पन दौड़ि ! नखरे वाली बहु, सबसे ज्यादा खाती है।
- द्वि दिनाक पूण तिसार दिन निपटूण ! आदर सत्कार अधिक दिन तक नहीं होता।
- शिशुणक पात उल्ट ले लागू सुल्ट ले ! धूर्त आदमी से हर तरफ से नुकसान
- अघैन बामणि भैसक खीर ! संतुष्ट ना होने पर मना करने का झूठा बहाना करना
- जो घडी द्यो ,ऊ घडी पाणी ! कई तरीको से एक साथ व्यवस्था होना।
- भौल जै जोगी हुनो , हरिद्वार रून ! अच्छाई हमेशा अपने मौलिक रूप में रहती है।
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