उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल - Chief Bugyal of Uttarakhand

उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल

हरे भरे घास के मैदान को “बुग्याल” कहा जाता है। ये 10800 फ़ीट से 13000 फ़ीट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल निम्न प्रकार हैं:

दयारा बुग्याल:

दयारा बुग्याल उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह उत्तरकाशी से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दयारा बुग्याल की लम्बाई 10 किलोमीटर और चौड़ाई 5 किलोमीटर है।

बेदिनी बुग्याल:

बेदिनी बुग्याल रूपकुंड मार्ग में स्थित है। यह वाण गांव से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पंवाली काँठा बुग्याल:

पंवाली काँठा बुग्याल टिहरी जिले में स्थित है। यहाँ पर अनेक प्रजाति की जड़ी-बूटियां भी पायी जाती हैं।

केदार कांठा बुग्याल:

केदार कांठा बुग्याल उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यहां पर अनेक प्रकार के वन्य पुष्प पाए जाते हैं तथा तीन-चार महीने तक यहाँ बर्फ पायी जाती है।

औली बुग्याल:

औली बुग्याल जोशीमठ से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर अनेक साहसिक गतिविधियां की जाती हैं।

कुछ अन्य बुग्याल जिले सहित निम्न प्रकार हैं:

  1. फूलों की घाटी – चमोली
  2. गोरसों बुग्याल – चमोली
  3. चोपता बुग्याल – रुद्रप्रयाग
  4. तपोवन बुग्याल – उत्तरकाशी
  5. हर की दून बुग्याल – उत्तरकाशी
  6. कुश कल्याण बुग्याल – उत्तरकाशी
  7. बर्मी बुग्याल – रुद्रप्रयाग
  8. कसनी खर्क बुग्याल – रुद्रप्रयाग
  9. खतलिंग बुग्याल – टिहरी
  10. मासरताल बुग्याल – टिहरी
  11. कल्पनाथ बुग्याल – चमोली
  12. रूपकुंड बुग्याल – चमोली
  13. चौमासी बुग्याल – चमोली
  14. पांडुसेरा बुग्याल – चमोली
  15. देवदामिनी बुग्याल – उत्तरकाशी
  16. मनपे बुग्याल – चमोली
  17. मानेग बुग्याल – उत्तरकाशी
  18. कफनी बुग्याल – बागेश्वर
  19. लाताखर्क बुग्याल – चमोली
  20. कोराखर्क बुग्याल – चमोली
  21. नंदनकानन बुग्याल – चमोली
  22. जौराई बुग्याल – टिहरी

कहां है वेदनी बुग्याल

वेदनी बुग्याल तक पहुंचने के लिए आपको चमोली जनपद के देवाल ब्लॉक के अंतिम गांव वाण से करीब 13 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है. इसके बाद आप वेदनी बुग्याल क्षेत्र में पहुंचते हैं. जहां चारों ओर लाल, पीले फूलों से घिरे हरे-भरे बुग्याल नजर आते हैं. इसकी खूबसूरती नजारा मन मोह लेता है

क्या है बुग्याल और क्यों है खतरे में इनकी खूबसूरती

उत्तराखंड में कई ऐसे बुग्याल हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं. जिन्हें देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं.
बुग्याल शब्द का अर्थ है पहाड़ों की ऊंचाई पर स्थित घांस के मैदान. भूगोल के शब्दों में इन्हें सवाना भी कहा जाता है. जहां चारों ओर सिर्फ घांस से भरे मैदान दिखाई देते हैं, जिन्हें देखकर यह आभास होता है कि मानो जैसे किसी ने इन पहाड़ों पर घांस के गद्दे बिछा दिए हों.

खूबसूरती के लिए विश्वविख्यात हैं बुग्याल

अपनी सुंदरता के लिए मशहूर यह बुग्याल संकट में नजर आ रहे हैं. उत्तराखंड में कई ऐसे बुग्याल हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं. जिन्हें देखने के लिए पर्यटक दूर -दूर से पहुंचते हैं.
आपको बता दें की प्रदेश में चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बहुत सुंदर बुग्याल हैं. जो अपनी ओर किसी को भी आकृषित करने का दम रखते हैं. इन्हीं में सबसे प्रसिद्ध है चमोली जनपद का "वेदनी बुग्याल" है, जिसे एशिया में सबसे सुंदर और ऊंचाई पर स्थित बुग्याल कहा जाता है.

चरागाह बनाने से खतरा

अक्सर बुग्यालों में बड़ी संख्या में भेड़, बकरियां और अन्य दुधारू पशु चरते हुए मिलते हैं. जिन्हें गांव के लोग छह महीने के प्रवास पर यहां लेकर आते हैं. इन पशुओं से सबसे ज्यादा इन बुग्यालों पर असर पड़ता है. क्योंकि बुग्यालों में छोटे-छोटे फूल, पौधे और दुर्लभ किस्म की वनस्पति होती है. जानवरों इन्हें नष्ट कर देते हैं. बुग्यालों में जमीन के नीचे से हर वक्त पानी निकलता रहता है. जिसके कारण जब यह जानवर यहां विचरण करते हैं, तो बड़े पैमाने पर भूमि का कटाव होता है.

टेंटिंग भी है बड़ा खतरा

यह सभी विश्व धरोहर तभी संरक्षित हो सकती हैं, जब इन्हें सही ढंग से सुरक्षित रखने के प्रयास किए जाएं, लेकिन ज्यादा राजस्व के चक्कर में भी वन और पर्यटन विभाग यहां बड़े पैमाने पर टेंट लगाने की इजाजत भी दे देते हैं, जिसने नुक्सान सिर्फ इन बुग्यालों का होता है, जिनके दम पर यह क्षेत्र विश्वभर में जाने जाते हैं.

हाईकोर्ट ने भी कहा इन्हें बचाओ

बुग्यालों में हो रहे लगातार नुकसान की वजह से कई क्षेत्रों में बुग्याल संरक्षण समिति तक गठित की गई है. जिसने उच्च न्यायालय नैनीताल में इस मामले में अपनी याचिका दाखिल की है. जिस पर उच्च न्यायलय ने कहा है कि वन विभाग यह सुनिश्चित करे कि इन विश्व धरोहर बुग्यालों में नुक्सान नहीं होने पाये. साथ ही यहाँ पहुँचने वाले पर्यटकों के लिए भी नियम बनाए जाएं और उनका पालन सही तरीके से होना चाहिए.
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  1. उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकनृत्य ] [2 -  Uttarakhand ke Pramukh Loknrityan ]
  2. उत्तराखण्ड के प्रमुख त्यौहार ] [ उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला ] [ फूलदेई त्यौहार]
  3. उत्तराखण्ड में सिंचाई और नहर परियोजनाऐं ]
  4. उत्तराखंड की प्रमुख फसलें ]
  5. उत्तराखण्ड की मृदा और कृषि ]
  6. उत्तराखण्ड में उद्यान विकास का इतिहास ]
  7. उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल ] [ 2 उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल ]
  8. उत्तराखंड में वनों के प्रकार ]
  9. उत्तराखंड के सभी वन्य जीव अभ्यारण्य ]
  10. उत्तराखंड की प्रमुख वनौषिधियां या जड़ी -बूटियां ]
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