कविता कोश "मृग मरीचिका सा प्रेम"(kavita kosh "mrig marichika sa prem")

 कविता कोश "मृग मरीचिका सा प्रेम"(kavita kosh "mrig marichika sa prem")

मृग मरीचिका सा प्रेम
ये मरुस्थल रूपी प्रेम की डगर
ये मरुस्थल रूपी प्रेम की डगर
जहाँ दूर तक सुनहरी रेत सा 
फैला विश्वास का सागर
ये रेत कभी उड़ती कभी ठहर जाती


कभी टीला बन जाती तो कभी
ग़ुबार बन कर लिपट जाती मेरे तन को
मैं सुनहरी रेत में लिपटी एक मूर्ति
टकटकी लगाए बैठी हूँ प्रेम की प्रतीक्षा में
कभी रेतीली आँधी उड़ा देती है 
विश्वास को एकत्रित करती हूँ बिखरी हुई रेत को
फिर साहस बटोरती हूँ 
एक मृग मरीचिका के पीछे भागती हूँ 
ये प्रेम ना जीने दे ना मरने दे
ज्वार भाटा बन बस छलता है अपने आप को
कभी सुख की अनुभूति कभी काली रात
आँसुओं  की छटा और दर्द
प्रेम एक तृष्णा है जो बहका देती है 
डूबती उतरती चली जा रही हूँ अकेली 
इस प्रेम के मरुस्थल में
यथार्थ के पटल पर सब नामुमकिन है
पर फिर भी चल रही हूँ 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Most Popular

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line) something
जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें  (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )
हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)
 हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )
महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)
हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )
गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)
श्री बद्रीनाथ स्तुति (Shri Badrinath Stuti) Badrinath Quotes in Sanskrit
150+ उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर हिंदी में | Gk in Hindi - 150 +  Uttarakhand GK Question Answers in Hindi | Gk in hindi
Pahadi A Cappella 2 || Gothar Da Bakam Bham || गोठरदा बकम भम || MGV DIGITAL