कुमाऊँनी/गढ़वाली गीत : धूली अर्घ
धूलि अरघ
आज के ब्लॉग में हम "धूलि अरघ" गीत के बोल देखने जा रहे हैं, इस गीत में दुल्हन के मन में दूल्हे की काया और माया के संदर्भ में उठने वाले उदगावों को बहुत ही बेहतरीन ढंग से दर्शाया गया है|
गीत के बोल निम्नवत हैं-
के द्योला आज धूलि अरग
जैका अंग होलू पीतांबरी चौला
सुई होलू तेरी धिया को जनित
जण्दों नि छों मैं पछण्दों नि छों मैं
कै द्योला आज धूलि अरग
जैका अंग होलू झिलमिल जामू
जैका होला जैका होला कान कुण्डल
जैका होला जैका होला हाथू कंगन
तैई द्यैण तैई द्यैण धूलि अरग
जैका सिर होलू सोना कू मुकूट
जैका अंग होली पीतांबरी धोती
तैई द्यैण आज धूलि अरग
[ गढ़वाल और कुमाउनी मंगल गीत : "औ बैठ कागा हरिया बिरीच" - कौए) के माध्यम से सारे देवी-देवताओं को विवाह के निमंत्रण ] [माँगल गीत : हल्दी बान - मंगल स्नान ] [ माँगल गीत : कपड़ा प्हैवार्ण (गढ़वाली / कुमाउनी) ] [गढ़वाली भजन – दैणा होया मोरी का गणेशा लिरिक्स व जानकारी।] [ माँगल गीत : सगुन बोल सगुन न्यूतो ] [ कुमाऊँनी/गढ़वाली गीत : धूली अर्घ ] [ गढ़वाल और कुमाउनी मंगल गीत : "''फेरा भौंरा''" "बिदै" (विदाई गीत) ] [ गढ़वाल और कुमाउनी मंगल गीत : "हल्दी बान"]
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें