उत्तराखण्ड में प्राकृतिक बनस्पति एवं वनों का वितरण
Distribution of natural vegetation and forests in Uttarakhand
प्राकृतिक बनस्पति
प्राकृतिक वनस्पति के मामले में उत्तराखण्ड एक समृद्ध प्रदेश है. यहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ, पेड़-पौधे एवं
जड़ी बूटियों से प्रदेश भरा पड़ा है. उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र लगभग 64-79 प्रतिशत भू-भाग में वन पाए जाते हैं यहाँ वनों के अन्तर्गत कुल क्षेत्रफल का लगभग 67-2 प्रतिशत गढ़वाल हिमालय में तथा शेष 32:8 प्रतिशत भाग कुमाऊँ हिमालय में स्थित है
वनों का वितरण
10वीं वन रिपोर्ट के अनुसार राज्य के जिलों में वन की
स्थिति-
- राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम वन क्षेत्रफल वाले जिले क्रमशः- पौड़ी और ऊधमसिंह नगर हैं.
- राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले 4 जिले घटते क्रम में क्रमशः- पौड़ी (3271 वर्ग किमी), उत्तरकाशी (3,144), नैनीताल (3,088) व चमोली (2698) हैं.
- जिले के कुल क्षेत्रफल में वन क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि राज्य में सर्वाधिक और सबसे कम प्रतिशत वाले जिले क्रमशः हैं- नैनीताल (72-64%) व ऊधरमसिंह नगर (22.19%).
- सर्वाधिक वन प्रतिशत वाले 4 जिले घटते क्रम में क्रमशः नैनीताल (72.64%), चम्पावत (65.80%), बागेश्वर (61.44%) व पौड़ी (61-38%).
- राज्य में सबसे अधिक सघन वन नैनीताल (548 वर्ग किमी) में है. फिर क्रमशः देहरादून (487) व पिथौरागढ़ (470) में है.
- राज्य में सर्वाधिक मध्यम सघन वन पौड़ी (2065) में, फिर क्रमशः उत्तरकाशी (2062), नैनीताल (1936) व चमोली (1558) में है. सबसे कम ऊ.सि.न. (246) में है.
- राज्य में सर्वाधिक सघन (अति + मध्यम) वन क्रमश पौड़ी (2515 वर्ग किमी), नैनीताल (2484), उत्तरकाशी (2470) व चमोली (1964) में है.
- राज्य में सर्वाधिक खुले वन क्रमशः पौड़ी (756), चमोली (734), उत्तरकाशी (674) व टिहरी (656) में हैं. सबसे कम उधमसिंह नगर में है.
- राज्य में सर्वाधिक झाड़ी क्रमशः टिहरी, पिथौरागढ़, पौड़ी व देहरादून में है.
- राज्य के कुल वन क्षेत्र का 59-70% गढ़वाल मण्डल में और शेष 40.30% कुमाऊँ मण्डल में है.
- गढ़वाल मण्डल के कुल वन क्षेत्र में से 22.41% (सर्वाधिक) पौड़ी में है, जबकि कुमाऊँ मण्डल के कुल वन क्षेत्र में से 31.35% (सर्वाधिक) नैनीताल में है.
- राज्य के नदी बेसिनों के कुल क्षेत्रफल में वनों के प्रतिशत की दृष्टि से देखें, तो सर्वाधिक प्रतिशत वन टौंस बेसिन (76.6%) में, फिर क्रमशः कोसी (69.0%), यमुना (56.7%), काली गंगा (शारदा) (45.4%) व रामगंगा (41.5% ) में हैं. भागीरथी बेसिन में 34.9% व अलकनन्दा बेसिन में 32.1% है.
इस प्रदेश का अधिकांश भाग वनों से ढका हुआ ऊँचाई व वर्षा की मात्रा का वनस्पति पर प्रभाव पड़ता है. यहाँ पर निम्न प्रकार के वनस्पति क्षेत्र मिलते हैं, जो इस प्रकार हैं-
उपोष्ण बन पेटी-
यह हिमालय प्रदेश पर उत्तर- पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में फैले हुए हैं. यह वास्तव में भावर क्षेत्र के उत्तर में अर्द्ध-पतझड़ वनों की पेटी है. यह दक्षिणी ढालों पर 750 मीटर तक तथा उत्तरी ढालों पर 1200 मीटर की ऊँचाई तक मिलते हैं. यहाँ के साल प्रमुख वृक्ष हैं-सेमल, हल्दू, खैर, सीसू तनु, जामुन, शहतूत, रीठा खर. इन वनों के वृक्ष की लम्बाई 25 मीटर से 40 मीटर तक होती है. इसके अलावा वनों के साथ छोटी-छोटी अन्य प्रजातियाँ भी मिलती हैं अन्य प्रमुख वृक्ष हैं.
शीतोष्ण वन पेटी-
दक्षिणी ढालों पर 1050 से 1900 मीटर तथा उत्तरी ढालों पर 900 से 1800 मीटर के बीच पाए जाते हैं. चीड़, देवदार, खरसू, कैल तथा गेंठी आदि यहाँ के प्रमुख वृक्ष हैं. यहाँ अनेक प्रकार की घासें भी मिलती हैं.
उप-अल्पाइन -
यह 1800 से 3000 मीटर की ऊँचाई तक पर्वतीय ढालों पर. मिलते हैं. कम ऊँचाई पर पतझड़ व चौड़ी पत्ती तथा अधिक ऊँचाई पर कोणधारी वृक्ष मिलते हैं. ओक यहाँ का प्रमुख वृक्ष है. सिलवरफर, नीला पाइन, स्पूस, देवदार, साइप्रस, वर्च यहाँ के अन्य प्रमुख वृक्ष हैं.
अल्पाइन पेटी-
3000 से 4500 मीटर की ऊँचाई तक विस्तार मिलता है. महान हिमालय श्रेणी के उत्तरी भाग में वर्च के वृक्ष मिलते हैं. ऊँचाई के साथ साथ वर्च व सिलवर फर के वृक्ष धीरे-धीरे झाड़ियों व छोटी घास में बदल जाते हैं. इन वनों से प्राप्त होने वाले मुख्य वृक्ष हैं-देवदार, स्प्रूस, सिलवरफर ब्ल्यूपाइन आदि.
घास के मैदान-
अधिक ऊँचाई पर पहुँचने पर उत्तराखण्ड में 3800 मीटर से 4200 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में वृक्ष विहीन क्षेत्र है, क्योंकि यहाँ की जलवायु कठोर है यह क्षेत्र हिमाच्छादित रहता है. इसलिए यहाँ केवल छोटी छोटी घासें ही उगती हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में बुग्याल और पयार आदि नामों से जाना जाता है. अधिक ऊँचाई में स्थित इन घास के मैदानों को मीडो तथा अल्पाइन पाश्चर भी कहते हैं.
बन संरक्षण हेतु राजकीय प्रयास
उत्तराखण्ड में वनों के विकास के लिए 1 अप्रैल, 2001 को वन विकास निगम का गठन किया गया है. 5 जुलाई से 31 अगस्त तक हरियाली योजना के रूप में वृक्षारोपण किए जाने का कार्यक्रम निर्धारित है. वन अपराधों पर नियंत्रण हेतु राजस्व पुलिस एवं वन विभाग की संयुक्त टास्क फोर्स का गठन किया गया है. वन पंचायतों के अधिकारों में वृद्धि कर उन्हें अधिक शक्तिशाली बनाया गया है. वन क्षेत्र. में पड़ने वाले नदी नालों में रेत, वजरी एवं पत्थर खनन का कार्य वन निगम द्वारा कराया जा रहा है ताकि अविध खनन पर रोक लग सके. इसके अतिरिक्त प्रत्येक वन प्रभाग में जड़ी-बूटी की नर्सरी विकसित की जा रही है.
उत्तराखंड के किस जिले में सबसे ज्यादा वन क्षेत्र है?
उधम सिंह नगर में वन क्षेत्र का हिस्सा लगभग 17% है। पौडी गढ़वाल, नैनीताल और चंपावत जिलों में वन क्षेत्र सबसे अधिक है यानी क्रमशः 63.71%, 71.55% और 69.40%। पिथोरागढ़ में 29.33% क्षेत्र वन है।
उत्तराखंड की प्रसिद्ध वनस्पति कौन सी है?
पेड़: पहाड़ियों में जंगली चेरी, जंगली सेब, स्पिंडल वुड, ओक, अंजीर, चिनार, होली, रोडोडेंड्रोन, मसूरी बेरी, डॉगवुड, हॉर्स चेस्टनट और पहाड़ी ट्यूना प्रचुर मात्रा में हैं। अधिक ऊंचाई पर, जंगल हिमालयी सरू, देवदार, नीले देवदार, देवदार और लंबी पत्ती वाले देवदार से भरे हुए हैं।
उत्तराखंड में वनस्पति क्या है?
इस क्षेत्र की वनस्पतियों को उष्णकटिबंधीय, हिमालयी उपोष्णकटिबंधीय और उप अल्पाइन और अल्पाइन वनस्पति में वर्गीकृत किया जा सकता है। अल्पाइन और उपअल्पाइन क्षेत्रों को सबसे बड़ी संख्या में औषधीय पौधों का प्राकृतिक निवास स्थान माना जाता है।
वनस्पति
उष्ण कटिबंधीय सूखा पर्णपाती वन
साल वन
चीड़ वन
देवदार वन, फर वन
ओंक वन
अल्पाइन चारागाह
उत्तराखंड का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कौन सा है?
सही उत्तर गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान है। 1989 में स्थापित गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, भागीरथी नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में उत्तरकाशी जिले में स्थित है। कुल 2390.02 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल वाला यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
उत्तराखंड का फल क्या है?
काफल की बात करें तो इसे उत्तराखंड के राजकीय फल का दर्जा हासिल है.
उत्तराखंड का फूल कौन सा है?
kafal uttarakhand fruit |
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला क्वेराल का फूल. नैनीताल. उत्तराखंड में कई ऐसे पेड़ पौधे पाए जाते हैं, जो खूबसूरत होने के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.\
उत्तराखंड का राज्य फूल कौन सा है?
गुलाबी ब्रह्म कमल , जिसे आमतौर पर हिमालयी फूलों के राजा के रूप में जाना जाता है, उत्तराखंड का राज्य फूल है। उत्तराखंड का चमोली क्षेत्र बद्रीनाथ मंदिर, रूप कुंड की बर्फ की चादर और नंदा देवी चोटी जैसे लुभावने स्थलों के साथ-साथ भव्य ब्रह्म कमल फूलों की बहुतायत से भी भरा हुआ है, जो इस क्षेत्र को कवर करते हैं।
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