उतराखंड मैं गली का पृयोग "तेरा कुड़ी मा भांगुलू जमी"(Street usage in Uttarakhand "Tera Kudi Ma Bhangulu Jami")

उतराखंड मैं गली का पृयोग "तेरा कुड़ी मा भांगुलू जमी"(Street usage in Uttarakhand "Tera Kudi Ma Bhangulu Jami") 

उत्तराखंड में भांग की खेती अब गाली नहीं बल्की रोजगार का जरिया

        उत्तराखंड में भांग का जमना गाली के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जब किसी के खेत व घर में भांग जम जाता है उसे समझा जाता खेत बंजर है और इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। भांग को अभी तक नशे के रूप में देखा जाता है भांग से बनने वाला नशा गांजा कहलाता है । ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसे तंबाकू के रूप में इस्तेमाल भी करते हैं लेकिन इसका बहुत ही दुष्प्रभाव होता है इसलिए उत्तराखंड में गाली के रूप में ही प्रयुक्त किया जाता है। भांग का नशा करने वाला मानसिक रूप से आंशिक या पूर्ण रूप से विकृत हो सकता है यद्यपि भांग का आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह भगवान शिव का भोग होता है लेकिन भगवान से हम अपनी तुलना नहीं कर सकते क्योंकि भगवान विषधर हैं किसी भी विष नशे का उन पर कोई प्रभाव नहीं होता।

भांग क्या है?

भांग (वानस्पतिक नामः Cannabis indica) एक प्रकार का पौधा है । भारतवर्ष में भांग के अपने आप पैदा हुए पौधे सभी जगह पाये जाते हैं। भांग विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के ऊपर की पत्तियां 1-3 खंडों से युक्त तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। 
#उत्तराखंड_में_भांग_का_इतिहास
 ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना कर ली थी। दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ जातियाँ भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं। भांग के पौधे का घर गढ़वाल में चांदपुर कहा जा सकता है।

भांग व्यावसायिक महत्व

  1. भांग के पौधों से रेशे बनाए जाते हैं। इनसे बने कपड़े टिकाऊ होते हैं।
  2. भांग को दर्द निवारक दवाई के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
  3. भांग के पौधों से अच्छी क्वालिटी का पेपर बनाया जाता है।
  4. उत्तराखंड में भांग की चटनी बड़े चावल से खायी जाती है।                                 

इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनती हैं। डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम देता है। पर्वतीय क्षेत्र में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। लेकिन उनके बीज खाने के उपयोग में नहीं आते हैं।


टनकपुर, रामनगर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोडा़, रानीखेत,बागेश्वर, गंगोलीहाट में बरसात के बाद भांग के पौधे सर्वत्र देखे जा सकते हैं। नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है। 

पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला के समाप्त हो जाने का भय है।
होली के अवसर पर मिठाई और ठंडाई के साथ इसका प्रयोग करने की परंपरा है।भांग का इस्तेमाल लंबे समय से लोग दर्द निवारक के रूप में करते रहे हैं। कई देशों में इसे दवा के रूप में भी उपलब्ध कराया जाता है। भांग एक हेक्टर भांग 25 हेक्टर जंगल जितना ऑक्सीजन छोड़ती है। भांग से हेम्प पेपर सबसे अच्छा और सबसे टिकाऊ होता है। इसके अलावा, क्योंकि यह परजीवी से खुद को बचा सकता है, इसे कीटनाशक की आवश्यकता नहीं है।

हेम्प टेक्सटाइल अपनी खुद की प्रॉपर्टीज पर फ्लैक्स उत्पादों का प्रदर्शन करते हैं। भांग किनारे, रस्सियों, बैग, जूते, टोपी के उत्पादन के लिए एक आदर्श पौधा है... 9. बुल्गारिया में भांग बैन है। लेकिन तकनीकी भांग में एक दवा नहीं है और इसकी खेती स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। 10. भांग के बीज का प्रोटीन वैल्यू बहुत ज्यादा है और उसमें निहित दो फैटी एसिड प्रकृति में कहीं और नहीं है। 11. भांग का उत्पादन सोया से बहुत सस्ता है। 12. जिन जानवरों को भांग खाते हैं उन्हें हार्मोन सप्लीमेंट की जरूरत नहीं है। 13. सभी प्लास्टिक उत्पादों को भांग के साथ बनाया जा सकता है, भांग प्लास्टिक पर्यावरण के अनुकूल और पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है। 14. इमारतों के थर्मल इन्सुलेशन के लिए भी भांग का उपयोग किया जा सकता है, यह टिकाऊ, सस्ता और लचीला है। 15. भांग साबुन और भांग प्रसाधन सामग्री पानी को प्रदूषित नहीं करते, इसलिए वे पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं।

भांग का अगर सही सदुपयोग किया जाए तो खाली पड़ी जमीनों में भांग की खेती की जा सकती है जिससे अच्छे उत्पादन तैयार किया जा सकता है इसकी खेती के लिए कोई खाद या मेहनत की आवश्यकता नहीं पड़ती यह स्वतः ही उगने वाला पौधा है ।

Written by #Pradeep_Premgiri_Nautiyal

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line)

हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )

हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)

महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)

गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)

हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )