10 - प्रसिद्ध गढवाली ओखाण(Famous Garhwali Okhan)

 प्रसिद्ध गढवाली औखाणे गढ़वाली कहावतें (Okhan)

  • रौत और गौथ कख नि होंदा । 
पहाड़ में रावत जाती के लोग और गहत की दाल हर जगह मिल जाती है।
  • नौल गोरू नौ पू घासक ! 
नए कार्य पर  जोश के साथ काम करना।
  • पिनौक पातक पाणी !
 इधर की बात उधर करने वाला इंसान।
  • घर पिनाऊ बण पिनाऊ ! 
हर जगह एक ही चीज सुनाई देना।
  • नौ रत्ती तीन त्वाल ! 
अनुमान लगाना।
  • राती बयाणक भाल भाल स्वैण ! 
आलस्य के बहाने ढूढ़ना !
  • तात्ते खु जई मरू ! 
जल्दबाजी करना !
  • कभी स्याप टयोड, कभी लाकड़ !
 परिस्थितियां अनुकूल ना होना।
  • गुणी आपुण पुछोड  नान देखूं ! 
अपने दोषों को कम बताना।
  • गऊ बल्द अमुसी दिन ठाड़ !
 आलसी इंसान जब कार्य ख़त्म हो जाता है ,तब  उपलब्ध होता है।
  • का राजेकी रानी , का भगतविकि काणी !
 धरती आसमान का अंतर होना।
  • कब होली थोरी , कब खाली खोरी ! 
आशावान रहना।
  • आफी  नैक ऑफि पैक ! 
सब कुछ खुद ही करना।

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