प्रसिद्ध गढवाली औखाणे गढ़वाली कहावतें (Okhan)
- रौत और गौथ कख नि होंदा ।
- नौल गोरू नौ पू घासक !
- पिनौक पातक पाणी !
- घर पिनाऊ बण पिनाऊ !
हर जगह एक ही चीज सुनाई देना।
- नौ रत्ती तीन त्वाल !
अनुमान लगाना।
- राती बयाणक भाल भाल स्वैण !
आलस्य के बहाने ढूढ़ना !
- तात्ते खु जई मरू !
जल्दबाजी करना !
- कभी स्याप टयोड, कभी लाकड़ !
परिस्थितियां अनुकूल ना होना।
- गुणी आपुण पुछोड नान देखूं !
अपने दोषों को कम बताना।
- गऊ बल्द अमुसी दिन ठाड़ !
आलसी इंसान जब कार्य ख़त्म हो जाता है ,तब उपलब्ध होता है।
- का राजेकी रानी , का भगतविकि काणी !
धरती आसमान का अंतर होना।
- कब होली थोरी , कब खाली खोरी !
आशावान रहना।
- आफी नैक ऑफि पैक !
सब कुछ खुद ही करना।
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