15 - प्रसिद्ध गढवाली ओखाण (Famous Garhwali Okhan Famous Garhwali Aukhane Garhwali Sayings )

 15 - प्रसिद्ध गढवाली ओखाण प्रसिद्ध गढवाली औखाणे गढ़वाली कहावतें (Okhan)

  1. भिंडी बिरालुओं मा मुषा नि मारिंदा - जादा लोगों में काम नहीं होता है।
  2. निगोस्यूं का गोरू उज्यार जंदन -  बिना अभिभावक की संतान बिगड़ जाती है।
  3. पधाने ब्वारि की नौ तोला नाथुली - बड़े लोग बड़ी बातें।
  4. सींग पल्योण - लड़ाई के लिए तैयार होना। 
  5. तात्ते खु जई मरू ! जल्दबाजी करना !
  6. कभी स्याप टयोड, कभी लाकड़ ! परिस्थितियां अनुकूल ना होना।
  7. गुणी आपुण पुछोड  नान देखूं ! अपने दोषों को कम बताना।
  8. गऊ बल्द अमुसी दिन ठाड़ ! आलसी इंसान जब कार्य ख़त्म हो जाता है ,तब  उपलब्ध होता है।
  9. का राजेकी रानी , का भगतविकि काणी ! धरती आसमान का अंतर होना।
  10. कब होली थोरी , कब खाली खोरी ! आशावान रहना।
  11. आफी  नैक ऑफि पैक ! सब कुछ खुद ही करना।
  12. तौ न तनखा, भजराम हवालदारी - बिना वेतन के बड़ा काम करना।
  13. कख नीति, कख माणा, रामसिंह पटवारी ने कहाँ - कहाँ जाणा । एक ही आदमी को ,एक समय मे अलग अलग काम देना
  14. सिंटोलों की पंचेत - अयोग्य लोगों की बैठक।
  15. रौत और गौथ कख नि होंदा । पहाड़ में रावत जाती के लोग और गहत की दाल हर जगह मिल जाती है।
  16. बिनडी बिरवो मा मूसा नि मोरदा । ज्यादा लोगो मे काम सफल नही होते।
  17. सिंटोलो की पंचेत । अयोग्य लोगो का ग्रुप या आयोग्य लोगो की मीटिंग।
  18. निगुस्यो का गोरु उजाड़ जन्दन ।  बिना अभिवावक की संतान खराब होती है।

टिप्पणियाँ