15 - प्रसिद्ध गढवाली ओखाण प्रसिद्ध गढवाली औखाणे गढ़वाली कहावतें (Okhan)
- भिंडी बिरालुओं मा मुषा नि मारिंदा - जादा लोगों में काम नहीं होता है।
- निगोस्यूं का गोरू उज्यार जंदन - बिना अभिभावक की संतान बिगड़ जाती है।
- पधाने ब्वारि की नौ तोला नाथुली - बड़े लोग बड़ी बातें।
- सींग पल्योण - लड़ाई के लिए तैयार होना।
- तात्ते खु जई मरू ! जल्दबाजी करना !
- कभी स्याप टयोड, कभी लाकड़ ! परिस्थितियां अनुकूल ना होना।
- गुणी आपुण पुछोड नान देखूं ! अपने दोषों को कम बताना।
- गऊ बल्द अमुसी दिन ठाड़ ! आलसी इंसान जब कार्य ख़त्म हो जाता है ,तब उपलब्ध होता है।
- का राजेकी रानी , का भगतविकि काणी ! धरती आसमान का अंतर होना।
- कब होली थोरी , कब खाली खोरी ! आशावान रहना।
- आफी नैक ऑफि पैक ! सब कुछ खुद ही करना।
- तौ न तनखा, भजराम हवालदारी - बिना वेतन के बड़ा काम करना।
- कख नीति, कख माणा, रामसिंह पटवारी ने कहाँ - कहाँ जाणा । एक ही आदमी को ,एक समय मे अलग अलग काम देना
- सिंटोलों की पंचेत - अयोग्य लोगों की बैठक।
- रौत और गौथ कख नि होंदा । पहाड़ में रावत जाती के लोग और गहत की दाल हर जगह मिल जाती है।
- बिनडी बिरवो मा मूसा नि मोरदा । ज्यादा लोगो मे काम सफल नही होते।
- सिंटोलो की पंचेत । अयोग्य लोगो का ग्रुप या आयोग्य लोगो की मीटिंग।
- निगुस्यो का गोरु उजाड़ जन्दन । बिना अभिवावक की संतान खराब होती है।
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