20 - प्रसिद्ध गढवाली ओखाण(Famous Garhwali Okhan)

प्रसिद्ध गढवाली औखाणे गढ़वाली कहावतें (Okhan)

  1. जब जेठ तापलो ,तब सौंण बरखलो - जितनी अधिक मेहनत होगी उतना अच्छा फल मिलेगा।
  2. कख गिड़की, कख बरखी -     कुछ और बोलना, कुुुछ अलग करना।
  3. बांजा बणु बरखा -   जहां ज़रूरत ना हो वहाँ काम करना।
  4. अटकी अटकी मारी फाली, कर्म पर दुई नाली - अधिक मेहनत करने के बाद भी अच्छा परिणाम न मिलना
  5. अकुला का डेरा दूँई पथा दाली, अकुला सय उठी भभरताली - छोटी मानसिकता के व्यक्तियों को यदि बड़े अधिकार दे दिए जाए तो व उन अधिकारो का ग़लत इस्तेमाल करने लगता है।
  6. अपडा पारा लेगी आग, बिराडा पारा दिली जाग - जब तक मनुष्य स्वयं कार्यशिल होता है तब तक वह अपने काम स्वयं करता है परंतु जब व वृद्ध हो जाता है तब उसे अपने कार्यों के लिए भी दूसरो पर आश्रित होना पड़ता है।
  7. तौ न तनखा, भजराम हवालदारी - बिना वेतन के बड़ा काम करना।
  8. कख नीति, कख माणा, रामसिंह पटवारी ने कहाँ - कहाँ जाणा । एक ही आदमी को ,एक समय मे अलग अलग काम देना
  9. सिंटोलों की पंचेत - अयोग्य लोगों की बैठक।
  10. बटा मागे की कुड़ी चा मा उड़ी -  आसानी से उपलब्ध चीज जल्दी समाप्त हो जाती है। 
  11. कखी गिड़की कखी बरखी - कुछ बोलना और कुछ करना.
  12. त्वेते क्या होयूं जनु गोरख्याली राज - मनमानी करना।
  13. पंच भी प्रपंची व्हेगेन - न्याय करने वाला ही बेईमान हो गया।
  14. बेसाखू और सोणु बनीगणया  पंच - अयोग्य व्यक्ति प्रतिनिधि बन गए।
  15. अपणी करणी बेतरणी तरणी - अपनी मेहनत से ही अच्छा फल मिलता है।
  16. माणा मथै गौं नी, अठार मथे दौ नी -  माणा से ऊपर गांव नहीं, और अट्ठारह से ऊपर दाव नही ।
  17. छोटा ना दे होणी खाणी, बड़ा कय ना बीचे लोण पाणी - छोटी मानसिकता के व्यक्ति ज़रा सी सफलता मिलने पर इतराने लगते है वही अच्छे व सभ्य मानसिकता के व्यक्ति अपने बड़पन्न का कभी बखान नहीं करते।
  18. जब पेट मा लगी आग, तब क्या चेन्दु साग - जब भूख लगी हो तो साधारण सा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है।
  19. ना कर बाबा सत्यनारायण कथा, अपडा बेव्य बाबा ते कर लता - भले पूजा कथा ना करे परंतु मात पिता की सेवा  व देखभाल अवश्य करे।
  20. नि होण्या बरखा का बड़ा -बड़ा बूंदा - बारिश की बड़ी बड़ी बूंदे पड़ने का मतलब है ,अच्छी बारिश नही होगी।

टिप्पणियाँ