हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास
हिमाचल प्रदेश का प्रागैतिहासिक काल -
मारकंडा और सिरसा-सतलुज घाटी में पाए गए औजार चालीस हजार वर्ष पुराने हैं। हिमाचल प्रदेश का प्रागैतिहासिक काल में मध्य एशिया से आर्यों तथा भारत के मैदानी इलाकों से पहाड़ों पर लोगों के बसने का इतिहास प्रस्तुत करता है। भारत के मैदानों से होकर आकर बसने वाले लोगों से पूर्व कोल जिन्हें आज कोली, हाली, डोम और चनाल कहा जाता है। सभवत: हिमाचल के प्राचीनतम निवासी है।
हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास |
हिमाचल प्रदेश का वैदिक काल और खस -
ऋग्वेद में हिमाचल प्रदेश के प्राचीन निवासियों का दस्यु, निषाद और दशास के रूप में वर्णन मिलता है। दस्यु राजा 'शांबर' के पास यमुना से व्यास के बीच की पहाड़ियों में 99 किले थे। दस्यु राजा शांबर और आर्य राजा दिवोदास के बीच 40 वर्षों तक युद्ध हुआ। अंत में दिवोदास के उदब्रज नामक स्थान पर शांबर का वध कर दिया। मंगोलोयड जिन्हें 'भोट और किरात ' के नाम से जाना जाता है। हिमाचल में बसने वाली दूसरी प्रजाति बन गई। आर्य और खस हिमाचल में प्रवेश करने वाली तीसरी प्रजाति थी। खसों के सरदार को 'मवाना' कहा जाता था। ये लोग खुद को क्षत्रिय मानते थे। समय के साथ खस समूह 'जनपदों' में बदल गए। वैदिक काल में पहाड़ों पर आक्रमण करने वाले दूसरा आर्य राजा सहस्रार्जुन था। जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने सहस्रार्जुन का वध कर दिया।
हिमाचल प्रदेश का महाभारत काल और चार जनपद -
महाभारत काल के समय त्रिगर्त के राजा सुशर्मा ने महाभारत में कौरवों की सहायता की थी। कश्मीर, औदुम्बर और त्रिगर्त के शासक युधिष्ठिर को कर देते थे। कुल्लू की कुल देवी राक्षसी देवी हडिम्बा का भीम से विवाह हुआ था। महाभारत में चार जनपदों का वर्णन निम्नलिखित है :-
- औदुम्बर जनपद - महाभारत के अनुसार औदुम्बर विश्वामित्र के वंशज थे जो कौशिक गौत्र से संबंधित थे। काँगड़ा, पठानकोट, ज्वालामुखी, गुरदासपुर और होशियारपुर आदि क्षेत्रों में औदुम्बर राज्य के सिक्के मिले हैं। ये लोग शिव की पूजा करते हैं। पाणिनि के 'गणपथ' में भी औदुम्बर जाति का विवरण मिलता है। अदुम्बर वृक्ष की बहुलता के कारण यह जनपद औदुम्बर कहलाया।
- त्रिगर्त जनपद - त्रिगर्त जनपद की स्थापना 8वीं BC से 5वीं BC के बीच सुशर्म चंद्र द्वारा की गई। सुशर्म चंद्र ने महाभारत के युद्ध में कौरवों की सहायता की थी। त्रिगर्त रावी, सतलुज और ब्यास नदियों के बीच का भाग था। सुशर्म चंद्र ने काँगड़ा किला बनाया और नागरकोट को अपनी राजधानी बनाया।
- कुल्लूत जनपद - कुल्लूत राज्य व्यास नदी के ऊपर का इलाका था। इसकी प्राचीन राजधानी 'नग्गर' थी। कुल्लू घाटी में राजा विर्यास के नाम से 100 ई. का सबसे पुराना
- कुलिंद जनपद - इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदी यमुना नदी है। जिसे प्राचीन समय में “कालिंदी” कहा जाता था और इससे लगते आसपास के क्षेत्रों को कुलिंद कहा जाता था। इसके साथ ही साथ इस क्षेत्र में कुलिंद वृक्ष की बहुलता के कारण भी इस जनपद का नाम कुलिंद पड़ा। यह क्षेत्र व्यास, सतलुज और यमुना के बीच में स्थित था।
गुप्त काल के समय हिमाचल प्रदेश की स्थिति?
गुप्त वंश के प्रसिद्ध शासक समुद्रगुप्त ने हिमाचल के ज्यादातर जनपदों पर अपना अधिपत्य कर लिया था जिसमें त्रिगत, औदुम्बर , कुल्लुत, भद्र और कार्तिकपुर जनपदों पर समुद्रगुप्त की विजय का उल्लेख हमें देखने को मिलता है। समुद्रगुप्त को भारत का “नेपोलियन” भी कहा जाता है। गुप्त काल के समय पर्वतीय क्षेत्रों में हिंदू धर्म का प्रचार बहुत बढ़ गया था जिसके परिणाम स्वरूप गुप्त काल के समय हिमाचल में बहुत सारे हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ।
हिमाचल प्रदेश का नाम किसने रखा ?
1948 में सोलन दरबार में आचार्य दिवाकर दत।
हिमाचल प्रदेश की स्थापना कब हुई थी ?
15 अप्रैल 1948 को 30 छोटी - बड़ी रियासतों को मिलाकर एक पहाड़ी प्रांत "हिमाचल प्रदेश " की विधिवत स्थापना हुई थी।
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिला था ?
25 जनवरी 1971 को।
15 अप्रैल 1948 को कितनी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ था ?
26 हिमाचल की और 4 पंजाब की पहाड़ी रियासतों कुल 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश की स्थापना हुई थी।
15 अप्रैल 1948 को हिमाचल में क्या हुआ ?
30 छोटी - बड़ी पहाड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल प्रदेश एक मुख्य आयुक्त प्रांत के रूप में उभरा। यह दिन हिमाचल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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