खूबसूरती से भरा हिमाचल प्रदेश, जानें यहां की संस्कृति,परंपरा, इतिहास और भाषा Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi
Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi – खूबसूरती से भरा हिमाचल प्रदेश, जानें यहां की संस्कृति,परंपरा, इतिहास और भाषा
Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi – History, Culture and traditions, Local language, Religion,Traditional Costumes Himachal Pradesh in Hindi – हिमाचल प्रदेश, हिमालय के दक्षिण एवं उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। इसकी दो राजधानियां हैं पहली राजधानी शिमला है जिसे ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता है और दूसरी राजधानी धर्मशाला है जिसे शीतकालीन राजधानी कहा जाता है। यह 56019 किमी क्षेत्र में फ़ैला हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ “बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत” है। हिमाचल प्रदेश को “देव भूमि” भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया था। तो चलिए आपको बताते हैं हिमाचल प्रदेश की संस्कृति,परंपरा, इतिहास और भाषा।
Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi
हिमाचल प्रदेश का इतिहास – History of Himachal Pradesh – Himachal Pradesh ka Itihas
देव भूमि हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इतिहासकारों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता के समय से प्रारम्भ होता है। वैदिक काल में, जनपद के नाम से जाना जाने वाला यह एक छोटा गणराज्य था, जिस पर बाद में गुप्त साम्राज्य के शासकों ने कब्ज़ा कर लिया था। इस समय इस क्षेत्र में कोइली, हाली, दागी, धौग्री, दसा, खासा, किन्नर, किरात इत्यादि जैसे समुदाय के लोग निवास कर रहे थे। राजा हरिशचंद्र ने अपना प्रभुत्व इस क्षेत्र पर एक लंबे समय तक बनाये रखा। बाद के समय में दिल्ली सल्तनत ने इस राज्य पर आक्रमण किया लेकिन उन्हें कोई विशेष सफलता हाथ नहीं लगी। इनके बाद सरदारों और राजपूतो की अगुवाई में इस क्षेत्र को छोटे-छोटे भागो में विभाजित कर दिया गया।
आज़ादी के बाद जनवरी 1948 ई. में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन सम्मेलन सोलन में हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन में की गई थी। जब 26 जनवरी 1951 को भारतीय संविधान लागू हुआ और लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गई तब हिमाचल प्रदेश को पार्ट सी (C) राज्य का दर्जा दिया गया। इसके बाद 01 नवम्बर 1956 को हिमाचल प्रदेश को एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 01 नवम्बर 1966 को पंजाब पुनर्निर्माण एक्ट, 1966 के तहत पंजाब राज्य के कुछ भाग को हिमाचल प्रदेश में शामिल किया गया। 18 दिसम्बर 1970 को संसद ने हिमाचल प्रदेश एक्ट पास कर दिया। 25 जनवरी 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने शिमला आकर ऐतिहासिक रिज मैदान पर भारी बर्फबारी के बीच हिमाचल वासियों के समक्ष हिमाचल प्रदेश को 18वें राज्य के रूप में दर्जा दे दिया। शिमला को हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी बनाया गया। डॉ. यशवंत सिंह परमार राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने।
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति – Culture of Himachal Pradesh – himachal pradesh ki sanskriti |
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति – Culture of Himachal Pradesh – himachal pradesh ki sanskriti
हिमाचल प्रदेश की संस्कृतिक कला और हस्तशिल्प के लिए विशेष सराहना की जाती है। हिमाचल प्रदेश ने बढ़ते हुए आधुनिकीकरण के बावजूद अपनी समृद्ध पारंपरिक संस्कृति को कायम रखा है। इस क्षेत्र के पहाड़ और घाटियाँ यहाँ के नृत्य रूपों में दिखाई देते हैं। यहाँ की संस्कृति न केवल हिमाचलवासियों के भौतिक दृष्टिकोणों में बल्कि उनके त्योहारों में संगीत, नृत्य और सरल जीवन शैली भी दिखाई देती है।
Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi
हिमाचल प्रदेश के त्यौहार – Festivals of Himachal Pradesh – Himachal Pradesh ke tyohar
त्यौहार और मेले हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये त्यौहार धार्मिक संस्कारों और सांस्कृतिक प्रथाओं से भरे हुए हैं। सभी भारतीय त्योहारों को मनाने के अलावा, कुछ स्थानीय त्योहारों को भी काफी उत्सुकता के साथ यहाँ के लोग मनाते हैं। यहां की कुल्लू घाटी देवताओं की घाटी के रूप में जानी जाती है। इसके चीड़ और देवदार के जंगल, फूलों से लदे हरे-भरे मैदान और फलों के बगीचे प्रत्येक शरद ऋतु में होने वाले दशहरा महोत्सव के लिए माहौल तैयार कर देते हैं। इस मौक़े पर मन्दिरों के देवताओं को सजी हुई पालकियों में गाजे-बाजे के साथ और नाचते हुए भव्य यात्रा निकली जाती है।
यहाँ के उत्सव में दुनिया भर के पर्यटक भाग लेते हैं। प्रत्येक साल अंतर्राष्ट्रीय हिमालयी उत्सव का आयोजन धर्मशाला में दिसंबर के दूसरे सप्ताह में आयोजित किया जाता है। सतलज नदी के तट पर तीन दिनों तक लवी मेला का आयोजन होता है जो हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में से एक है। लाहौल में चेशु त्योहार मनाया जाता है। लाहौल महोत्सव कीलोंग में आयोजित किया जाता है। हरियाली हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र और सिरमौर में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। श्रावण संक्रांति जुलाई में नाहन में होती है। बिलासपुर में प्रसिद्ध नैना देवी मेला अगस्त महीने में होता है।
कांगड़ा घाटी चित्रकला शैली – Kangra Valley Painting Style – Himachal Pradesh ki chitrakala shaili
हिमाचल प्रदेश अपनी कांगड़ा घाटी चित्रकला शैली के लिए भी जाना जाता है। भारतीय चित्रकला के इतिहास के मध्ययुग में विकसित पहाड़ी शैली के अंतर्गत कांगड़ा शैली का विशेष स्थान है। इसका विकास कचोट राजवंश के राजा संसार चन्द्र के समय में हुआ था। यह चित्रकला पहाड़ी चित्रकला का एक भाग है। इस चित्रकला का मुख्य विषय श्रृंगार है। इसकी विशेषता नारी-सौन्दर्य के प्रति अत्यधिक झुकाव है। पौराणिक कथाओं और रीतिकालीन नायक-नायिकाओं के चित्रों की प्रधानता तथा गौण रूप में व्यक्ति चित्रों को भी स्थान दिया गया है। इसके अलावा प्राकृतिक, विशेषकर पर्वतीय दृश्यों का भी चित्रण किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश का संगीत और डांस – Music and Dance of Himachal Pradesh – Himachal Pradesh ka sangeet or dance
यहाँ के निवासी नृत्य और संगीत के काफी शौकीन हैं। ये हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का प्रमुख भाग हैं। नृत्य और संगीत का मुख्य रूप से उत्सव के दौरान देवी-देवताओं के आह्वान में किया जाता है। यहाँ की प्रसिद्ध नृत्य शैलियाँ हैं- नाटी, खराईत, उज्गाजमा और चड्ढेब्रीकर (कुल्लू), शुंतो (लाहौल और स्पीति) और डांगी (चंबा)।
नाटी नृत्य – यह इस राज्य का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य है। राज्य के कुल्लू, सिरमौर, मण्डी, किन्नौर, शिमला इत्यादि जनपदों में नाटी नृत्य मुख्य रूप से किया जाता है। यह संगीतकारों के साथ लोगों के एक समूह द्वारा किया जाता है। इस समूह में पुरुष और महिला दोनों भाग लेते हैं। इसमें संगीतकारों को टूनिस कहा जाता है और प्रदर्शन के दौरान बाँसुरी, ढोल, नगाड़ा, नरसिंघा, करनाल और सनई वाद्ययंत्र का उपयोग किया जाता हैं। नाटी प्रदर्शन के अंत में नर्तकों द्वारा देवी और देवताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश का भोजन – Himachal Pradesh food
उत्तर भारतीय लोगों के द्वारा जो भोजन किया जाता है वही भोजन हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से प्रचलन में हैं। दाल-चवाल और सब्ज़ी-रोटी को एक बड़ी आबादी द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। हिमाचल प्रदेश के लोग मांसाहारी व्यंजन भी पसंद करते हैं। किसी भी अन्य उत्तर भारतीय खाद्य पदार्थों की तरह, अचार और चटनी भी लोगों को काफी पसंद हैं।
हिमाचल प्रदेश का भाषा और साहित्य – Language and Literature – Himachal Pradesh ka Bhasha or Sahitya
भाषा – हिमाचल प्रदेश एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राज्य है। यहाँ मुख्य रूप से हिन्दी, काँगड़ी, पहाड़ी, पंजाबी तथा डोगरी भाषाऐं बोली जाती है। सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से कुछ हिंदी और पहाड़ी हैं। राज्य में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है तथा अंग्रेजी भाषा को अतिरिक्त आधिकारिक भाषा के रूप में माना जाता है। अंग्रेज भाषाविद्वान जी ए ग्रिएर्सन (G.A Grierson) ने हिमाचली भाषाओं का पश्चिमी पहाड़ी भाषाओं के रूप में सर्वेक्षण किया। यहाँ की पहाड़ी भाषा का अपभ्रश शौरसैनी है। पहाड़ी भाषा की लिपि टांकरी है।
हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग भाषा व बोलियां बोली जाती हैं – Different languages are spoken in different regions of Himachal Pradesh – Himachal Pradesh bhasha or boliyan
चंबा – चंबा जिले में चंम्बयाली भाषा बोली जाती है। चंबा जिले में स्थानीय बोलियां भी बोली जाती हैं जिनमें भटियाली, चुराही, पंगवाली और भरमौरी हैं।
बिलासपुर – बिलासपुर जिले में मुख्य भाषा कहलूरी बोली जाती है। कहलूरी को बिलासपुरी भाषा भी कहा जाता है।
सिरमौर – सिरमौर जिले में सिरमौरी भाषा बोली जाती है। यहां की प्रमुख स्थानीय बोलियां बिशवाई और धारटी है।
मंडी – मंडी जिले में मण्डयाली, सरघाटी,सुकेती और बालडी भाषा बोली जाती है। यह बोलियां सुंदरनगर मंडी बल्ह और सरकाघाट के क्षेत्रों में बोली जाती है।
कांगड़ा – कांगड़ा जिले में कांगड़ी भाषा बोली जाती है। यहां की स्थानीय बोलियां पालमपुर और शिवालिक बोलियां हैं।
कुल्लू – कुल्लू की स्थानीय भाषा सीराजी और सैजी है। कुल्लू जिले में कुल्लवी भाषा बोली जाती है।
ऊना और हमीरपुर – इन जिलो मे कांगड़ी भाषा बोली जाती है।
किन्नौर – किन्नौर जिले मे किन्नौरी भाषा बोली जाती है। इसकी प्रमुख बोलियां छितकुली, होमस्कंद, शुम्को और सुनामी है।
सोलन – सोलन में महासुवी उपभाषा बोली जाती है। यहां की स्थानीय बोलियां भगाटी, हांडूरी और क्योंथली है।
लाहौल–स्पीति – लाहौल में लाहौली भाषा बोली जाती है। गेहरी, गारा, चागसा रंगलोई, मनचाटी यहां की प्रमुख बोलियां हैं। स्पीति मे भाषा तिब्बती बोली जाती है।
हिमाचल प्रदेश का साहित्य – Literature of Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश की संस्कृति पर हिंदी में सर्वाधिक लिखने वाले पहले लेखक महापंडित राहुल सांकृत्यायन हैं। यायावर राहुलजी ने हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों सहित विभिन्न भागों में भ्रमण किया।
Culture and Tradition of Himachal Pradesh in Hindi
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हिमाचल प्रदेश की वेशभूषा – Himachal Pradesh Costumes
हिमाचल प्रदेश का पहनावा अपने आप में बहुत विशिस्ट है। हिमाचल के हर जिले का अपना पहनावा, अपने वस्त्र विशेष के कारण उनकी अलग पहचान की जा सकती है। यहाँ के पुरुष और महिलायें दोनों के पहनावे अलग – अलग हैं। पुरुषो के परिधान में सबसे विशिस्ट गद्दियों का बना हुआ एक चोला होता है जिसे चोला-डोरा, या फिर ‘चोलू’ भी कहते हैं। चोला मुख्यता एक लंबे कोट की भांति होता है, जो पूर्णतयाः देशी ऊन का बना होता है। यह महिलाओ पर बहुत सुन्दर लगती हैं।
पुरुषों द्वारा पहनी जानी वाली कुल्लू टोपी भी बहुत प्रसिद्ध है। कोटगढ़ और आसपास के क्षेत्र में महिलाओं द्वारा ‘रेजटा’ पहना जाता है। ‘रेजटा’ लंबा, बंद कोटनुमा पहनावा है, जो कंधों से पैरों तक शरीर को ढांकता है। शिमला जिला के लोग ‘बुशैहरी टोपी’ और कोटनुमा ‘लोइया’ पहनते हैं।
किन्नौर का परिधान विश्वभर में प्रसिद्ध है। फिर चाहे किन्नौरी टोपी हो, किन्नौरी शॉल या किन्नौरी सदरी, हरकोई किन्नौरी वेशभूषा को देख आकर्षित हो जाता है। कहा जाता है कि किन्नौरी दुल्हन का श्रृंगार कम से कम 40 से 50 किलोग्राम की वेशभूषा से होता है।
हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू और मध्य भाग्य के क्षेत्र में पुरुष दोहड़ू पहनते हैं। यह भेड़ की ऊन से बनी हुई विशेष तरीके का एक चादर होता है। इसे पुरुष कमर के नीचे पहनते हैं। ढियाडू एक सुन्दर सूती का बना हुआ कपड़ा होता है जो स्त्रिया अपने सर पर बांधती हैं।
हिमाचल प्रदेश में कृषि – Agriculture in Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कामकाजी आबादी को सीधा रोज़गार मुहैया कराती है। किसान इंद्र देवता पर निर्भर रहते हैं।
बागवानी – प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं – सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खूमानी, गुठली वाले फल, नींबू प्रजाति के फल, आम, लीची, अमरूद, झरबेरी आदि।
हिमाचल प्रदेश की कला और शिल्प – Arts and Crafts of Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश की कला और शिल्प के उदाहरण है – कालीन, चमड़े का काम, शॉल, पेंटिंग, मेटलवेयर और लकडी की पेंटिंग आदि। पश्मीना शाल एक ऐसा उत्पाद है जो अत्यधिक मांग में है। उत्कृष्ट शैली में बनी किन्नौर शॉलें, कुल्लू की विशिष्ट ऊनी टोपियाँ, पश्मीना शॉल, रंग-बिरंगे टोपी और चंबा के क़सीदाकारी किये हुए रूमाल। लकड़ी के शिल्प के लिए प्रसिद्ध स्थान चंबा, टिज़ा, कल्प, किन्नौर जिले और कुल्लू हैं।
हिमाचल प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान – Himachal Pradesh national parks
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क – Great Himalayan National Park
द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के फेमस राष्ट्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। ये हिमाचल प्रदेश के कुल्लू क्षेत्र में स्थित है। इस नेशनल पार्क को साल 1984 में स्थापित किया गया था। ये तीनों ओर से हिमालय पर्वत से घिरा हुआ है। यहां आपको एशियाई काला भालू, हिमालयन मस्क डियर स्नो लेपर्ड, और ब्लू शीप जैसे कई दुर्लभ प्रजातियों के जानवर देखने को मिल जाएंगे।
पिन वैली नेशनल पार्क – Pin Valley National Park
हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले में पिन वैली नेशनल पार्क स्थित है। इस नेशनल पार्क की स्थापना 9 जनवरी 1987 में की गई थी। इस पार्क में आपको हिम तेंदुओं की ज़्यादा तादाद देखने को मिलेगी। इसके अलावा आप यहां पर कई अन्य प्रजातियों के जानवरों को भी देख पाएंगे जैसे साइबेरियाई आइबेक्स, फॉक्स आदि। कई दुर्लभ पक्षी भी आपको यहां देखने को मिल जाएंगे जैसे हिमालयन स्नोकॉक, पिका, स्नो पार्ट्रिज, गोल्डन ईगल आदि।
सिम्बलबाड़ा नेशनल पार्क – Simbalwada National Park
सिम्बलबाड़ा नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के सिमौर जिले के पांवटा में घने जंगलों के बीच स्थित है। यह हिमाचल के सबसे फेमस राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। जहाँ आप कई प्रकार के पशु-पक्षी देख पाएंगे जैसे लंगूर, तेंदुआ आदि।
खिरगंगा नेशनल पार्क – Khirganga National Park
ये राष्ट्रीय उद्यान कुल्लू में स्थित है। इस पार्क को देश के सबसे खूबसूरत और फेमस राष्ट्रीय उद्यानों में से एक माना जाता है। ये पूरा घनी हरी झाड़ियां से भरा हुआ है। यहां पर आप विभिन्न प्रजातियों के पशु – पक्षी देख सकते हैं। हर साल हज़ारों लोग इस पार्क को देखने के लिए आते हैं और घूमने का लुफ्त उठाते हैं। यहां का शांत वातावरण आपको बहुत सुकून देगा। यहां आने का सबसे अच्छा समय मई और नवंबर के बीच होता है। इस समय यहां का वातारण और मौसम अनुकूल रहता है। सर्दियों में ये जगह बर्फ से ढकी रहती है।
इंद्रकिल्ला नेशनल पार्क – Inderkilla National Park
इंद्रकिल्ला नेशनल पार्क हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में है। यहां आपको विभिन्न प्रकार के वनस्पतियां और वन्यजीव देखने को मिल जाएंगे। इस पार्क को मुख्य रूप से बाघों के संरक्षण के लिया बनाया गया था। इसके अलावा भूरे और काले भालू, तेंदुए और विभिन्न पहाड़ी हिरण दखने को मिलेंगे। पार्क में पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां हैं।
हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल – Himachal Pradesh tourist places
हिमाचल प्रदेश उत्तर भारत का सबसे चहीता पहाड़ी इलाका है जो ढ़ेर सारी खूबसूरत स्थलों के लिए मशहूर है। पहाड़ों से दिखते सौंदर्य पूर्ण नज़ारे, कितना आकर्षित करते हैं न? जी चाहता है कि इस दुनिया में ही विलीन हो जाए। निर्मल झीलें, ऊंचे पहाड़ और प्राचीन मंदिरों के अलावा ऊंची-ऊंची घाटियों और पहाड़ियों के साथ हिमाचल की प्राकृतिक खूबसूरती यहां आने वाले लोगों को शांति और सुकून प्रदान करती है। ट्रैकिंग, स्किईंग, पर्वतारोहण, आदि से आप अपने सफर को रोमांचक बनाने में भी यहाँ कामयाब हो जाऐंगे।
मनाली – Manali
हिमाचल प्रदेश का मनाली एक बेहद प्यारा हिल स्टेशन है। ये चीड़ की मोटी लकड़ी के जंगलों से ढका हुआ है। यहां के पहाड़ भारी बर्फ से ढके रहते हैं जो देखने में बेहद मनमोहक लगते हैं। अपने साथी के साथ मनाली की यात्रा की योजना बनाएं और ब्यास नदी के तट पर बसे इस प्राकृतिक स्वर्ग की सुंदरता का अनुभव करें। आप मनाली में सोलंग घाटी, रोहतांग दर्रे, ब्यास कुंड ट्रेक और हडिम्बा मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा मनाली में मॉल रोड़ भी घूमने के लिए अच्छी जगह है।
बीर-बिलिंग हिल स्टेशन – Bir-Billing Hill Station
हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरती के लिये दुनियाभर में प्रसिद्ध है। भारतीय हिमालय की तलहटी में चाय के बागानों और जंगलों के बीच मौजूद बीर बिलिंग पैराग्लाइडिंग के साथ-साथ कई एडवेंचर एक्टिविटीज के लिए लोकप्रिय है। ये जगह धीरे-धीरे पर्यटकों के बीच बेहद पसंदीदा हिल स्टेशन है। यहां हर साल कई हजारों पर्यटक घूमने के लिए जरूर आते हैं। बीर बिलिंग दुनिया का पहला ऐसा गांव है, जहां पर पैराग्लाइडिंग का वर्ल्ड कप खेला जाता है।
कसौली- Kasauli
कसौली एक हिल स्टेशन है, जो 2000 मीटर की उचाई पर बसा हुआ है। कसौली की हवा और पर्यावरण को इतना पवित्र माना जाता है की कई बार डॉक्टर भी मरीजों को यहाँ जाकर समय बिताने का सलाह देते हैं। कसौली में आपको देखने के लिए सन सेट पॉइंट, क्रिस्ट चर्च, मॉल रोड, बाबा बालक नाथ मंदिर जा सकते हैं। कालका रेलवे स्टेशन, कसौली से मात्र 25 किलोमीटर दूर है जबकि चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से 50 किलोमीटर दूर है। इसके सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ हवाई अड्डा है जो 60 किलोमीटर दूर है।
धर्मशाला – Dharamshala
धर्मशाला कांगड़ा घाटी की भूमि के सुंदर खंड पर स्थित है। यह पर्यटकों को अपनी शानदार सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर देती है। यहां की बर्फ से लदे धौलाधार पर्वत इस जगह को बेहद खास बना देते हैं। साथ ही धर्मशाला दलाई लामा का पवित्र स्थान भी है। धर्मशाला सबसे शांत स्थलों में से एक है।
कांगड़ा का ज्वालामुखी मंदिर – Jwalamukhi Temple of Kangra
कांगड़ा के ज्वालाजी में बना ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मां की जलती हुई ज्योत के कारण प्रसिद्ध है और यह ज्योत चट्टानों से निकलती है। इन चट्टानों की दरारों में से ज्वाला हर समय निकलती रहती है। मुग़ल शासक सम्राट अकबर ने इस ज्वाला को बुझाने के कई प्रयास किए, लेकिन वह असफल रहा।
बिलासपुर का नैना देवी मंदिर – Naina Devi Temple of Bilaspur
हिमाचल प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर नैना देवी का है जो बिलासपुर के सुन्दर पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर उन 51 शक्तिपीठों में से एक है जो मां सती से सम्बंधित है। कहा जाता है कि यहाँ मां सती के नैन गिरे थे। यहां धार्मिक श्रद्धालु और तीर्थयात्री पूरे वर्ष आते रहते हैं।
हिमाचल प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल – Other Important Pilgrimage Places of Himachal Pradesh
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हिमाचल प्रदेश में कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं जहां आप घूमने के साथ मन की शांति भी पा सकते हैं। शिमला की पहाड़ियाँ, कुल्लू घाटी और डलहौज़ी पर्यटकों के बड़े आकर्षण हैं। स्कीइंग, गॉल्फ़, मछली पकड़ना, पर्वतारोहण ऐसी गतिविधियाँ हैं, जिनके लिए हिमाचल प्रदेश एक आदर्श स्थान है। कुछ पौराणिक धर्मस्थलों पर पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं।
हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल – Himachal Pradesh tourist places – himachal pradesh ke paryatan sthal
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कुल्लू, डलहौजी, मैक्लॉडगंज, धर्मशाला, स्पीति घाटी, चितकुल, खज्जियार, फागु, कुफरी इत्यादि।
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल – Famous pilgrimage places of Himachal Pradesh –himaachal pradesh ke prasidh teerth sthal
चामुण्डा देवी मंदिर – कांगड़ा, शिव मंदिर बैजनाथ – कांगड़ा, ब्रजेश्वरी मंदिर – कांगड़ा, हिडिम्बा मंदिर – मनाली, लक्ष्मी नारायण मंदिर – चंबा, जाखू मंदिर – शिमला इत्यादि।
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