उत्तराखंड की लोक कला एवं संस्कृति (Folk art and culture of Uttarakhand)

उत्तराखंड की लोक कला एवं संस्कृति (Folk art and culture of Uttarakhand)

उत्तराखण्ड के प्रमुख लोक नृत्य

  1. देवता को प्रसन्न करने के लिए गीतों एवं वाद्ययन्त्रों के स्वरों के आलौकिक कम्पन्न पर किन नृत्यों का आयोजन किया जाता है धार्मिक नृत्य का
  2. धार्मिक नृत्य के समय जिस व्यक्ति पर देवता आते हैं, वह कहलाता है पस्वा
  3. मृत अशान्त आत्मा नृत्य किया जाता है मृतकों की आत्मा शान्ति हेतु
  4. मृत अशान्त आत्मा नृत्य के दौरान किन कारुणिक गीतों का गायन किया जाता है रासो का
  5. मृत अशान्त आत्मा नृत्य का आयोजन किया जाता है डमरू तथा थाली के स्वरों पर
  6. मृत अशान्त आत्मा नृत्य के प्रकार हैं 6 (चर्याभूत नृत्य, हन्त्या भूत नृत्य, व्यराल नृत्य, सैद नृत्य, घात नृत्य और छल्या भूत नृत्य)
  7. गढ़वाल क्षेत्र में युद्ध में वीरगति को प्राप्त लोगों के सम्मान में किया जाने वाला नृत्य है रणभूत नृत्य
  8. शहीदों की आत्मा की शान्ति रणभूत नृत्य किया जाता हैपरिजनों द्वारा
  9. बसन्त पंचमी से मेष संक्रान्ति तक किया जाने वाला नृत्य है थड़िया नृत्य
  10. थड़या नृत्य खुले मैदानों में किया जाता है वैवाहिक स्त्रियों द्वारा
  11. गढ़वाल क्षेत्र का श्रृंगार भाव प्रधान नृत्य है चौफुला नृत्य
  12. किस नृत्य में किसी वाद्ययन्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता चौफुला नृत्य में
  13. हाथों की ताली, पैरों की थाप, झाँझ की झंकार, कंगन व पाजेब की सुमधुर, ध्वनियों का प्रयोग किया जाता है चौफुला नृत्य में
  14. पर्वत श्रृंखलाओं में घास काटते हुए समवयस्कों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है घसियारी नृत्य
  15. गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली (बग्वाल) तथा हरिबोधिनी (इगास) की रात्रि में किया जाने वाला नृत्य हैभैला नृत्य
  16. गति से मौज में किया जाने वाला नृत्य है खुसौड़ा नृत्य
  17. गढ़वाल क्षेत्र में स्त्री-पुरुषों द्वारा चाँदनी रात में किया जाने वाला शृंगारिक नृत्य है चाँचरी नृत्य
  18. कुमाऊँ क्षेत्र में 'चाँचरी नृत्य' को कहा जाता है झोड़ा
  19. तलवार नृत्य का अन्य नाम है छोलिया नृत्य
  20. ढोला-दमाऊँ के स्वरों में तलवार चलाने वाला स्त्री-पुरुषों द्वारा किया गया वीर भावना से प्रेरित नृत्य है छोलिया नृत्य
  21. किस नृत्य में ढोला-दमाऊँ के कठोर वाद्य स्वरों में तलवार एवं लाठी संचालन की ताण्डव शैली वाला अद्भुत प्रदर्शन किया जाता है केदार नृत्य
  22. युद्ध कौशल पर आधारित अद्भुत नृत्य है सरांव नृत्य
  23. गढ़वाल क्षेत्र में नन्ने बालक-बालिकाओं द्वारा मनोरंजन हेतु किया जानेवाला नृत्य है घुघती नृत्य
  24. गढ़वाल क्षेत्र का प्रमुख गीतप्रधान नृत्य है फौफटी नृत्य
  25. फौफटी नृत्य किया जाता अविवाहित लड़कियों द्वारा
  26. समवयस्का नन्द-भाभी को चिढ़ाने वाला विनोदी नृत्य है बनवारा नृत्य
  27. किस नृत्य आयोजन में किसी पर्व अथवा देवता का मुख्य रूप से वर्णन किया जाता है? जात्रा नृत्य
  28. जात्रा नृत्य किया जाता है स्त्रियों द्वारा
  29. किस नृत्य शैली में बद्दी ढोलक तथा सांरगी बजाकर गीत की प्रथम पंक्ति गाता है और उसकी पत्नी थालियों के साथ विभिन्न मुद्रा में नृत्य करती है? थाली नृत्य शैली में
  30. चैत्र माह में व्यावसायिक जातियों के लोगों द्वारा ठाकुरों के घरों में किया जाने वाला नृत्य है चैती पसारा
  31. किस नृत्य में बद्दी या मिरासी शिव के कथानक को लेकर पार्वती के जन्म से लेकर विवाह, संयोग, वियोग एवं पुत्रोत्पत्ति आदि अवस्थाओं का वर्णन किया जाता है? शिव पार्वती नृत्य में
  32. कुमाऊँ क्षेत्र में धार्मिक आयोजन के रूप में तलवार और ढाल के साथ किया जाने वाला नृत्य है छोलिया नृत्य
  33. किस नृत्य के दौरान गीत नहीं गाया जाता? छोलिया नृत्य
  34. छोलिया नृत्य का आयोजन विशेष रूप से किया जाता है किरजी कुम्भ मेले में
  35. जन समाज के मनोरंजनार्थ हास्यपूर्ण प्रसंगों पर किया जाने वाला नृत्य है नट-नटी नृत्य
  36. थाल में दीये सजाकर नर्तकी द्वारा किया जाने वाला नृत्य है दीपक नृत्य
  37. देवताओं के मुखोटे लगाकर किया जाने वाला नृत्य है रम्माण
  38. किस नृत्य को यूनेस्को ने 'विश्व अर्मूत सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया गया। रम्माण को
  39. उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकगीत
  40. प्रेम-मिलन, रति, ह्रास, अनुनय एवं मनुहार आदि मनोभावों के समावेशन से युक्त गीत है चौफुला गीत
  41. चौफुला गीता सामूहिक रूप से गाया जाता है स्त्री व पुरुष द्वारा

खुदेड़ गीत है विरह गीत

  1. प्रिय मिलन की आशा में गाया जाने वाला 'राह विरह गीत है चौमासा गीत
  2. गढ़वाल क्षेत्र में बसन्त पंचमी से विषुवत् संक्रान्ति के मध्य गाया जाने वाला वेदनापूर्ण गीत है झुमैला गीत
  3. किस गीत में गढ़वाली स्त्रियाँ बारह महीनों के लक्षणों का वर्णन करती हैं? बारहमासा गीत में
  4. बारहमासा गीतों में विशेष रूप से वर्णन किया जाता है मौसम एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का
  5. रवाई-जौनपुर क्षेत्र में गाया जाने वाला प्रणय संवाद नृत्य गीत है बाजूबन्द नृत्य गीत
  6. बाजूबन्द नृत्य गीत का अन्य नाम है दूड़ा नृत्य गीत
  7. औजी, बद्दी, मिरासी आदि जातियों के लोगों द्वारा अपने यजमानों के घरों में गाया जाने वाला गीत है चैती पसारा गीत
  8. कुलाचार विरुदावली गीतों का गायन किस जाति के लोगों द्वारा अपने यजमानों के वंश के गुणगान हेतु किया जाता है औजी तथा बद्दी जातियों द्वारा
  9. किन गीतों को देवताओं एवं पौराणिक व्यक्तियों के सम्मान में गाया जाता है? जागर गीतों को
  10. सामूहिक रूप से गाया जाने वाला प्रिय-मिलन प्रधान गीत है छोपती गीत
  11. कुमाऊँ क्षेत्र में प्रतियोगिता के रूप में आयोजित होने वाला तर्क प्रधान नृत्य गीत है बैरगीत
  12. बैर गीत शैली में गायन के माध्य से अपना पक्ष रखने वाला कहलाता है बैरीया
  13. कुमाऊँ क्षेत्र में प्रचलित कृषि सम्बन्धित गीत है हुड़के बोल गीत
  14. गढ़वाल क्षेत्र में बसन्त ऋतु के आगमन पर किशोरियों द्वारा गाया जाने वाला विरह गीत है बासन्ती गीत
  15. कुमाऊँ क्षेत्र में कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है ठुलखेल गीत
  16. ठुलखेल गीत गाया जाता है पुरुषो द्वारा
  17. छपेली गीत किस अवसर पर गाया जाता है? विवाह एवं मेले में
  18. वीरों की जीवनी से सम्बन्धित गीत है भडी गीत
  19. गढ़वाल क्षेत्र में भडौं गीत को कहा जाता है पँवाड़ा गीत
  20. युवा चरवाहों को सीख देने के लिए बूढ़े चरवाहों द्वारा गाया जाने वाला गीत है चूरा गीत
  21. कुमाऊँ क्षेत्र का अनुभूति प्रधान गीत है भगनौल गीत
  22. भगनौल गीत में प्रयोग किया जाने वाला वाद्ययन्त्र है हुड़के तथा नगाडे का न्यौली है अभूति प्रधान गीत

उत्तराखण्ड के वाद्ययन्त्र

  1. प्रसिद्ध वाद्ययन्त्र ढोल का निर्माण किया जाता है साल की लकड़ी एवं ताँबे से
  2. ढोल के बाईं एवं दाईं ओर क्रमशः किन जानवरों की खाल चढ़ी होती है? बकरी एवं बारहसिंहा की
  3. ताँबे की धातु से निर्मित नौ इंच गहरे कटोरे की आकृति का बना वाद्ययन्त्र है दमाऊ
  4. दमाऊँ वाद्ययन्त्र बजाया जाता है चन्द्र ढोल के साथ
  5. कपड़े का थैलीनुमा वाद्ययन्त्र, जिसमें 5 बाँसुरी जैसे यन्त्र लगे होते हैं मशकबीन
  6. हुड़की एक फुट लम्बा वाद्ययन्त्र है, जिसकी दोनों पुडियों को बनाया जाता है बकरी की खाल से
  7. विशेष रूप से पशुचारकों द्वारा होठों पर स्थिर कर अँगुली से बजाया जाने वाला यन्त्र है मोछंग
  8. एक छोटा वाद्ययन्त्र 'मोछंग बना होता है लोहे की पतली शिरा से
  9. ताँबे का बना फूंक वाद्ययन्त्र है रणसिंघा
  10. किस वाद्ययन्त्र का प्रयोग दमाऊँ के साथ देवताओं को नृत्य करवाने में किया जाता है रणसिंघा
  11. बाँस एवं रिंगाल की बनी बाँसुरी है अल्गोजा
  12. अल्गोजा वाद्ययन्त्र को विशेष रूप से बजाया जाता है खुदेड़ एवं झुमैला लोक गीतों के साथ
  13. किस वाद्ययन्त्र के दोनों सिरों को दाँतों के बीच दबाकर बजाया जाता है? बिणाई
  14. बिणाई वाद्ययन्त्र बना होता है लोहे का

उत्तराखण्ड की वास्तुकला

  1. उत्तराखण्ड में वास्तुकला के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं कालसी (देहरादून) से
  2. उत्तराखण्ड में वास्तुकला का विकास विशेषतः किया गया है चार रूपों में (सामान्य भवन, देवालय, राजप्रसाद एवं नौले)
  3. भवन निर्माण करने वाले कारीगरों को कहा जाता है ओढ़ या मिस्त्री
  4. सामान्य भवन की पहली, दूसरी एवं तीसरी मंजिल को क्रमश: कहा जाता है गोड़, पान तथा प्यौल
  5. ईंटों से बनी गरुड़ाकार वेदिका प्राप्त हुई है जगतग्राम से गरुड़ाकार वेदिका के निर्माण में कितनी ईंटों को क्रमानुसार व्यवस्थित क्या है एक हजार ईटों को
  6. वेदिका निर्माण में ईंटों को त्रिभुजाकार, आयताकार तथा समचतुर्भुजाकार की माप में स्थापित किया गया है जगतग्राम में

उत्तराखण्ड की मूर्तिकला

  1. उत्तराखण्ड में अधिकांश मूर्तियों का निर्माण किया गया है गवाक्षों, स्तम्भों, शिलापट्टिकाओं एवं मन्दिर प्राचीरों पर
  2. प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख मूर्तियाँ हैंशैव, वैष्णव धर्म सम्बन्धित
  3. भगवान शिव की प्राचीन मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं जागेश्वर के लकुलीश मन्दिर से
  4. लकुलीश मन्दिर से प्राप्त शिव की मूर्तियों का स्वरूप है त्रिरूपी
  5. उत्तराखण्ड के अधिकांश मन्दिरों में भगवान शिव की किस मुद्रा को दर्शाया गया है? नृत्य मुद्रा को
  6. केदारनाथ मन्दिर की द्वारपट्टिका पर शिव की मुद्रा उत्कीर्ण है वज्रासन मुद्रा
  7. भगवान शिव की किस मूर्ति में इनके चार हाथों को विभिन्न मुद्राओं में दर्शाया गया है? बैजनाथ की मूर्ति
  8. बाबा बैजनाथ का प्राचीन नाम है ब्रह्मनाथ
  9. भगवान शिव की 'संहारक मूर्ति प्राप्त हुई है लाखामण्डल से
  10. शैली एवं सज्जा की दृष्टि से 'संहारक मूर्ति' मानी गई है 8वीं शताब्दी की
  11. शिव-पार्वती की संयुक्त मूर्ति में भगवान शिव आसीन हैं ललितासन में
  12. बद्रीनाथ मूर्ति मिलता-जुलता स्वरूप है कालीमठ प्रतिमा का
  13. शैव मूर्तियों में सबसे विशिष्ट मूर्ति है बद्रीनाथ की मूर्ति
  14. बद्रीनाथ की मूर्ति के साथ गरुड़ प्रतिमा पर उत्र्कीण अभिलेख है 10वीं शताब्दी का
  15. भगवान गणेश की नृत्यधारी मूर्ति प्राप्त हुई है जोशीमठ से
  16. भगवान गणेश की चार हाथ एवं छ: सिर वाली मूर्ति प्राप्त हुई है लाखामण्डल से
  17. लाखामण्डल की मूर्ति पर किस कला का विशेष प्रभाव दिखाई देता है दक्षिण कला का
  18. शैव धर्म के पश्चात् उत्तराखण्ड का दूसरा प्रमुख धर्म है वैष्णव धर्म
  19. देवलगढ़ की खड़ी मूर्ति है भगवान विष्णु की
  20. भगवान विष्णु के किस रूप की मूर्तियाँ उत्तराखण्ड के मन्दिरों की प्राचीरों, पट्टिकाओं, छतों तथा द्वारों पर उत्कीर्ण हैं? शेषशयन मूर्ति
  21. भगवान विष्णु के 5वें अवतार के प्रतीक 'वामन' की मूर्ति प्राप्त हुई है काशीपुर ( ऊधमसिंह नगर)
  22. भगवान विष्णु की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं द्वाराहाट ( अल्मोड़ा)
  23. ब्रह्म देव की सर्वप्रथम मूर्ति प्राप्त हुई है द्वाराघाट (अल्मोड़ा)
  24. मूर्ति में ब्रह्म देव को दर्शाया गया है कमल पर आसीन
  25. ब्रह्म देव की दूसरी मूर्ति प्राप्त हुई है बैजनाथ संग्रहालय से
  26. सूर्य तथा नवग्रहों की मूर्तियाँ
  27. जागेश्वर की सूर्य मूर्ति निर्मित है काले पत्थर से
  28. जागेश्वर की सूर्य मूर्ति में भगवान सूर्य को दर्शाया गया है सात घोड़ों से सुशोभित रथ पर
  29. भगवान सूर्य की समभंग मुद्रा में खड़ी मूर्ति प्राप्त हुई है द्वाराहाट से

देवियों की मूर्तियाँ

  1. मेखण्ड़ा से प्राप्त प्रतिमा में देव आसीन है अंजलि हस्त मुद्रा में
  2. लाखामण्डल की गौरी प्रतिमा में देवी को दर्शाया गया है तपस्या करते
  3. सिंहवाहिनी प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं जागेश्वर एवं काली मठ से
  4. माँ दुर्गा की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं बैजनाथ संग्रहालय से
  5. महिषासुर मर्दिनी शक्ति रम्भा देवी की प्रथम मूर्ति प्राप्त हुई है चम्बा से
  6. उत्तराखण्ड में गजलक्ष्मी मूर्ति प्राप्त की गई है द्वाराहाट (अल्मोड़ा)

उत्तराखण्ड में चित्रकला

  1. उत्तराखण्ड में चित्रकला के प्राचीनतम (शैलचित्र) साक्ष्य मिलते हैं ग्वारख्या, लाखु, हुडली, पेटशाल गुफाओं में
  2. ग्वारख्या गुफा शैलचित्र स्थित है चमोली में
  3. लाखु गुफा शैलचित्र में दर्शाया गया है मानव को नृत्य करते हुए
  4. विशेष रूप से पशुओं का चित्रण किया गया है लाखु गुफा में
  5. लाखु गुफा में पशुओं एवं मानवों का चित्रण सुसज्जित है रंगों से
  6. लाखु गुफा शैल चित्र से अधिक आकर्षक एवं चटकदार चित्र है ग्वारख्या गुफा में
  7. किस शैलचित्र में मानव को शिकार करते हुए प्रदर्शित किया गया है? ल्वेथाप शैलचित्र में
  8. ल्वेथाप शैल चित्रण में मानव को दर्शाया गया है नृत्य मुद्राओं में
  9. ल्वेथाप शैलचित्र स्थित है। अल्मोड़ा में
  10. किन शैलचित्रों में हथियार एवं पशुओं को चित्रित किया गया है? किमनी गाँव शैलचित्र में
  11. किमनी गाँव शैलचित्र स्थित है चमोली में
  12. चमोली के किमनी गाँव में स्थित शैलचित्रों का रंग है सफेद
  13. गढ़वाल में चित्रकला का प्रारम्भ माना जाता है 15वीं शताब्दी के मध्य में
  14. 15वीं शताब्दी के मध्य का काल सम्बन्धित था महाराजा बलभद्र शाह से
  15. महाराजा बलभद्र शाह ने काशी के कलाकारों से राजमहल का निर्माण कराया था श्रीनगर (गढ़वाल में)
  16. महाराजा बलभद्र के पश्चात् किस शासक ने चित्रकला का पोषण किया? महाराजा फतेहशाह ने
  17. किसके शासनकाल में मुगल शहजादे सुलेमान शिकोह के दो चित्रकार कुँवर श्यामदास और हरदास गढ़वाल में बसे- गढ़वाल नरेश पृथ्वीपति के शासनकाल में
  18. गढ़वाल शैली के विकास हेतु उल्लेखनीय कार्य किए हरदास के वंशजों ने
  19. 16वीं से 19वीं शताब्दी के मध्य में जम्मू से गढ़वाल तक प्रचलित शैली थी पहाड़ी चित्रशैली
  20. गढ़वाली चित्रशैली मुख्य रूप से भाग है पहाड़ी चित्रशैली का
  21. गढ़वाल शैली का सूत्रपात कर्ता माना जाता है हीरालाल को
  22. गढ़वाल शैली के महानतम चित्रकार हैं मोलाराम तोमर

गढ़वाल चित्रशैली की प्रमुख कृतियाँ

  1. वर्ष 1916 में डॉ कुमार स्वामी द्वारा रचित पुस्तक है राजपूत पेण्टिग्स (ऑक्सफोर्ड)
  2. सम नोट्स ऑन मोलाराम' कृति के रचयिता कौन हैं? बैरिस्टर मुकुन्दीलाल
  3. 'द स्कूल ऑफ राजपूत पेण्टिग्स' के लेखक हैं अजीत घोष
  4. जे सी फ्रेंच द्वारा रचित कृति है हिमालयन आर्ट
  5. गढ़वाल पेण्टिंग (प्रकाशन लन्दन) पुस्तक की रचना की गई थी। वी आयर द्वारा
  6. वर्ष 1969 की प्रसिद्ध कृति 'पहाड़ी चित्रकला' के लेखक हैं किशोरीलाल वैद्य
  7. वर्ष 1973 में बैरिस्टर मुकुन्दीलाल की प्रसिद्ध कृति है गढ़वाल पेण्टिग्स
  8. किस लोक चित्रकला में कुछ निश्चित बिन्दुओं को बनाकर उनकी रेखाओं को जोड़कर दीवार पर विभिन्न नमूने बनाए जाते हैं बाद-बूंद चित्रकला
  9. एक ही नमूने से पूरी दीवार को चित्रित करने को कहा जाता है बार-बूंद बनाना
  10. किसी मांगलिक अवसर पर आँगन से प्रवेश द्वार तक बनाए जाने वाले रंगीन नमूने कहलाते हैं एपण
  11. ऐपण शब्द किसका स्थानीय रूपान्तरण है अल्पना का
  12. ऐपण का निर्माण किया जाता है लाल मिट्टी, चावल के लेई एवं पानी से
  13. ऐपण में बनाए जाने वाले प्रमुख चित्र हैं चन्द्र, सूर्य, स्वास्तिक एवं बेल-बूंटे
  14. लोक कला की किस शैली में देवी-देवताओं को विभिन्न रूपों में दर्शाया गया है ज्यूंति मातृका में
  15. ज्यूंति मातृका लोक चित्रकला बनाई जाती है जन्माष्टमी, दशहरा एवं दीपावली पर
  16. देवी-देवताओं की मिट्टी की तीन दिशाओं में उभारदार मूर्तियाँ कहलाती हैं दिकारा
  17. दिकारा का निर्माण किया जाता है कपास मिश्रित चिकनी मिट्टी से
  18. अँगुलियों से कागज, दरवाजों, चौराहों आदि पर किया गया चित्रण कहलाता है प्रकीर्ण
  19. महालक्ष्मी पूजा के दिन घर के मुख्य द्वार से तिजोरी एवं पूजाग्रह (थान) तक लक्ष्मी के पद चिह्न बनाए जाते हैं, वे कहलाते हैं पौ
  20. घर के पूजा स्थल व देहली को गेरु से लीपकर विस्वार के पतले घोल की धारा से बने चित्र कहलाते हैं वसुधारा चित्र

उत्तराखण्ड में शिल्पकला

  1. कण्डी, चटाई, सूप, टोकरी एवं मोस्टा आदि का निर्माण किया जाता है रिंगाल से
  2. उत्तराखण्ड के कौन-से क्षेत्र कालीन उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं? (धारचूला एवं मुस्यारी) पिथौरागढ़ एवं चमोली
  3. भेड़ों से प्राप्त ऊन द्वारा बनाई गई प्रमुख वस्तुएँ हैं कम्बल, दन, थुलमा, चुटका एवं पंखी
  4. उत्तराखण्ड में भांग के पौधों से प्राप्त रेशों से बनाई गई वस्तुएँ हैं दरी, रस्सियाँ एवं कम्बल
  5. उत्तराखण्ड की ताम्र नगरी कहा जाता है अल्मोड़ा को
  6. ताम्र शिल्प से सम्बन्धित कारीगर कहलाते हैं टम्टा
  7. ताँबे से बनने वाली प्रमुख वस्तुएँ हैं गागर, रणसिंह, कलश, पंचपात्र एवं दीप
  8. मृदा शिल्प के अन्तर्गत बनाई गई विभिन्न वस्तुएँ हैं सुराही, कलश, चिलम एवं गुल्लक
  9. घर में प्रयुक्त मिट्टी से देवी-देवताओं की मूर्ति बनाना कहलाता है कण्डी
  10. उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषा में चमड़े का कार्य करने वालों को कहा जाता है बड़ई या शारकी
  11. उत्तराखण्ड में चर्मशिल्प के प्रसिद्ध क्षेत्र हैं लोहाघाट, जोहारी घाटी, नाचनी एवं मिलम
  12. बाँस से बनाए जाने व वाले प्रमुख हस्तशिल्प हैं छापड़ी, टोकरी, डाले, कण्डी एवं सूप
  13. काण्ठ शिल्प से बनाए जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ हैं पाली, ठेकी, कुमया, भदेले एवं नाली
  14. राज्य के प्रमुख लोक कलाकार
  15. उत्तराखण्ड की प्रथम गढ़वाली फिल्म कौन-सी थी? जग्वाल
  16. उत्तराखण्ड में कुमाऊँनी भाषा की पहली फिल्म कौन-सी थी? मेघा आ
  17. उत्तराखण्ड की सबसे सफल फिल्म कौन-सी थी? घरजर्व
  18. उत्तराखण्ड की प्रथम म्यूजिक वीडियो एलबम है झुम्पा
  19. उत्तराखण्ड में किस वर्ष से राज्य फिल्म नीति लागू की गई थी? वर्ष 2015
  20. किस वर्ष उत्तराखण्ड का पहला फिल्म अवार्ड मुम्बई में आयोजित किया गया था? 27 मई, 2018
  21. प्रथम उत्तराखण्ड फिल्म अवार्ड की अध्यक्षता किसके द्वारा की गई थी? पारेश्वर गौड़
  22. वर्ष 1985 में बनी फिल्म बद्रीकेदार के निर्माता कौन थे? विश्वेश्वर दत्त नौटियाल
  23. कभी सुख कभी दुःख' फिल्म के निर्माता कौन थे? बन्देश नौटियाल
  24. किस फिल्म को गंगोत्री चित्रकला द्वारा निर्मित किया गया तथा चन्दन ठाकुर द्वारा निर्देशित किया गया था? बेटी ब्वारी
  25. ब्वारी हो तो इनी' फिल्म को किसके द्वारा निर्मित किया गया था? सूरज प्रकाश शर्मा
  26. गढ़वाली फिल्म 'बोई' किस वर्ष प्रदर्शित हुई थी? वर्ष 2004
  27. जौनसार-भाबर क्षेत्र की एकमात्र डॉक्यूमेण्ट्री फिल्म कौन-सी है? चालदा जातरा
  28. उत्तराखण्ड की 'मंगतू बौल्या' फिल्म किसके द्वारा निर्देशित की गई थी? महेश प्रकाश
  29. उत्तराखण्ड की कौन-सी फिल्म श्रीदेव सुमन के जीवन पर आधारित है? अमर शहीद श्रीदेव सुमन
  30. उत्तराखण्ड की 'चक्रचाल' फिल्म के निर्देशक कौन थे? नरेन्द्र कुमार
  31. वर्ष 2010 में अनुज जोशी द्वारा किस फिल्म का निर्देशन किया गया था? याद आली टिहरी
  32. किस गढ़वाली फिल्म को वर्ष 2014 में प्रदर्शित किया गया था? ल्या ढुंगार
  33. किस कुमाऊँनी फिल्म को वर्ष 2015 में प्रदर्शित किया गया था? सत मंगालिया
  34. उत्तराखण्ड की कौन-सी फिल्म राज्य से होने वाले पलायन पर आधारित है? बौड़िगी गंगा
  35. जून, 2018 में प्रदर्शित होने वाली कौन-सी फिल्म पूर्व मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के उपन्यास पर आधारित है? मेजर निराला

नाम सम्बन्ध

  1. हीरा सिंह राणा कुमाउंनी गीतकार एवं गायक
  2. बीना तिवारी कुमाउंनी गायिका
  3. शेरदा अनपढ़ कुमाउंनी जनकवि
  4. गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' कुमाउंनी जनकवि
  5. हेमा ध्यानी कुमाउंनी गायिका
  6. चन्द्रसिंह राही गढ़वाली लोक गायक/ गीतकार/ संगीत निर्देशक
  7. जीत सिंह नेगी गढ़वाली के प्रमुख गीतकार
  8. अनुराधा निराला गढ़वाली गायिका
  9. नरेन्द्र सिंह नेगी गढ़वाली बोली के प्रमुख गीत-गायक और संगीतकार
  10. गणेश वीरान गीतकार/संगीतकार
  11. सन्तोष खेतवाल गढ़वाली लोक गायक/गीतकार/संगीतकार
  12. जगदीश बकरोला गढ़वाली गीत गायक
  13. अनिल बिष्ट गढ़वाली गीत गायक/निर्देशक
  14. मीना राणा गढ़वाली गायिका
  15. कल्पना चौहान गढ़वाली गायिका
  16. प्रीतम भरतवाण गढ़वाली गायक/गीतकार
  17. रतन सिंह जौनसारी कवि / साहित्यकार / रंगकर्मी
  18. जगतरात वर्मा जौनसारी गायक
  19. फकीरा सिंह चौहान जौनसारी गायक
  20. नन्दलाल भारती जौनसारी गायक/रंगकर्मी
  21. विद्योत्तमी नेगी गढ़वाली गायिका
  22. रेखा धस्माना गढ़वाली गायिका
  23. कबूतरी देवी कुमाऊनी गायिका
  24. मंगलेश डंगवाल गढ़वाली गायक
  25. वीरेन्द्र डंगवाल गढ़वाली गायक
  26. गजेन्द्र राणा गढ़वाली गायक
  27. वीरेन्द्र नेगी संगीतकार (गढ़)
  28. राजेन्द्र चौहान संगीतकार (गढ़)
  29. संजय कुमोला संगीतकार (गढ़)
  30. बसन्ती बिष्ट गढ़वाल / कुमाऊँ की जागर गायिका
  31. सुमन वर्मा जौनसारी/ बाउरी / हिमाचली गायिका
  32. वीरेन्द्र राजपूत गढ़वाली गायक

उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक संस्थाएँ

  1. वर्ष 1918 में श्री राम सेवक सभा का गठन किया गया था नैनीताल में
  2. वर्ष 1940 में शास्त्रीय एवं वाद्य संगीत में प्रशिक्षण, लोकनृत्य एवं लोकनाट्य के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित सभा है श्रीहरि कीर्तन सभा (नैनीताल)
  3. नैनीताल में बोट हाऊस क्लब का गठन कब किया गया? वर्ष 1948 में
  4. पारम्परिक भारतीय संगीत एवं नाटक को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से स्थापित संस्था है संस्कृत कला केन्द्र (हल्द्वानी)
  5. प्रदेश के कलाकारों को सहयोग एवं प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से पर्वतीय कला केन्द्र (दिल्ली) की स्थापना की गई थी वर्ष 1968 में
  6. वर्ष‌ 2000 में नाट्य एवं लोक कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित संस्था है रंगमण्डल (देहरादून एवं अल्मोड़ा)
  7. वर्ष 2002 में नाट्य एवं संगीत अकादमी की स्थापना की गई थी अल्मोड़ा में
  8. वर्ष 2003 में अल्मोड़ा में स्थापित 'उदयशंकर नृत्य व नाट्य अकादमी' का उद्देश्य है नृत्य एवं नाट्य क्षेत्र को बढ़ावा देना
  9. वर्ष 2004 में संस्कृति, साहित्य एवं कला परिषद् की स्थापना कहाँ की गई थी? देहरादून में
  10. हरिद्वार में जसराम आश्रम संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गई थी वर्ष 2005 मे
  11. प्रदेश में सांस्कृतिक विरासत को आधुनिकता प्रदान करने एवं इसके विकास हेतु स्थापित केन्द्र है हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र
  12. वर्ष 2010 में 'हिमालय सांस्कृतिक केन्द्र' की स्थापना कहाँ की गई थी? देहरादून में

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान,Uttarakhand General Knowledge, click 👇👇

  1. उत्तराखण्ड का सामान्य परिचय (General Introduction of Uttarakhand)uttarakhand ka samanya parichay
  2. उत्तराखंड का मध्यकालीन इतिहास(Medieval History of Uttarakhand)uttarakhand ka madhyakalin itihas
  3. उत्तराखंड में कृषि सिंचाई एवं पशुपालन(Agriculture Irrigation and Animal Husbandry in Uttarakhand)uttaraakhand mein krshi sinchaee evan pashupaalan
  4. उत्तराखण्ड की जलवायु एवं मृदा(Climate and soil of Uttarakhand) Climate and soil of Uttarakhand
  5. पृथक राज्य के रूप में उत्तराखंड की स्थापना (Establishment of Uttarakhand as a separate state)
  6. उत्तराखण्ड में अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान(Sanctuaries and National Parks in Uttarakhand) uttaraakhand mein abhayaarany evan raashtreey udyaan
  7. उत्तराखंड में वन- सम्पदा(Forest wealth in Uttarakhand)uttaraakhand mein van- sampada
  8. उत्तराखण्ड की प्रमुख झीलें, ताल एवं ग्लेशियर(Major lakes, ponds and glaciers of Uttarakhand) uttaraakhand kee pramukh jheelen, taal evan gleshiyar
  9. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं(Natural disasters in Uttarakhand)uttaraakhand mein praakrtik aapadaen
  10. उत्तराखंड में कृषि सिंचाई एवं पशुपालन(Agriculture Irrigation and Animal Husbandry in Uttarakhand) uttaraakhand mein krshi sinchaee evan pashupaalan
  11. उत्तराखंड में कृषि सिंचाई एवं पशुपालन(Agriculture Irrigation and Animal Husbandry in Uttarakhand) uttaraakhand mein krshi sinchaee evan pashupaalan
  12. उत्तराखंड का आधुनिक इतिहास (Modern History of Uttarakhand)
  13. उत्तराखंड की औद्योगिक संरचना (Industrial Structure of Uttarakhand)
  14. उत्तराखंड के धार्मिक स्थल (Religious Places in Uttarakhand)
  15. उत्तराखंड में नदियों का अपवाह तंत्र (Drainage system of rivers in Uttarakhand)
  16. उत्तराखंड में शिक्षा एवं स्वास्थ्य (Education and Health in Uttarakhand)
  17. उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल (Major tourist places in Uttarakhand)
  18. उत्तराखंड की लोक कला एवं संस्कृति (Folk art and culture of Uttarakhand)
  19. उत्तराखंड के पर्व त्योहार मेले एवं आभूषण (Festivals of Uttarakhand, Festivals Fairs and Jewellery)
  20. उत्तराखंड की अनुसूचित जातियां (Scheduled Castes of Uttarakhand)
  21. उत्तराखंड की भाषा एवं साहित्य (Language and Literature of Uttarakhand)
  22. उत्तराखंड की राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरचना (Political and Administrative Structure of Uttarakhand)
  23. उत्तराखंड में परिवहन एवं जनसंचार व्यवस्था (Transport and Mass Communication System in Uttarakhand)
  24. उत्तराखंड में खेल प्रमुख पुरस्कार एवं सैन्य परंपरा (Sports Major Awards and Military Traditions in Uttarakhand)
  25. प्रमुख कल्याणकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम (Major Welfare Schemes and Programmes)
  26. उत्तराखंड के प्रमुख व्यक्तित्व(Major personalities of Uttarakhand)
  27. उत्तराखंड में खनिज एवं ऊर्जा संसाधन(Mineral and Energy Resources in Uttarakhand )
  28. उत्तराखंड जनांकिकी जनसंख्या (Uttarakhand Demographic Population)

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