बागवानी का परिचय,परिभाषा ( Introduction to Gardening,Definition )

 बागवानी का परिचय,परिभाषा एवं अर्थ क्या है?

बागवानी शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है उद्यान की खेती । इसका वास्तविक अर्थ खेत की खेती भी है। आमतौर पर इसका यह अर्थ होता है कि खेत में विभिन्न प्रकार का पौधरोपण करके उनकी विकास की देखभाल करना। बागवानी एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें फलों सब्जियों फूलों मसालों और मशरूम इत्यादि की खेती से संबंधित फसलें उगाई जाती हैं।
बागवानी बहुत ही गहन अध्ययन का क्षेत्र है जिस पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है बागवानी जो एक उद्यान जैसा होता है बागवानी व्यापक विज्ञान है जिसके कई अतिरिक्त विषय होते हैं, उद्यान और बागवानी सौंदर्य शास्त्र के पीछे जो अध्ययन करता है उसे बागवानी विज्ञान कहा जाता है।

उदाहरण के लिए हम कह सकते हैं-अंगूर की खेती विशुद्ध रूप से अंगूर का अध्ययन करती है एवं फूलों की खेती फूलों का अध्ययन करती है।

आलूबुखारा या प्लम की खेती (Plum cultivation) अधिकतर उत्तराखंड, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में की जाती है. आलूबुखारा को अलूचा नाम से भी जाना जाता है. अगर बागान प्लम बागवानी से अधिकतम और गुणवत्तायुक्त उत्पादन चाहते है, तो इसकी खेती वैज्ञानिक तकनीक से करनी चाहिए. इसके साथ ही प्लम की वैरायटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कैलिफोर्निया वैरायटी के प्लम काफी धूम मचा रहे हैं, क्योंकि बागवानों को इन वैरायटी के प्लम के दाम काफी अच्छे मिल रहे हैं.

आलूबुखारा या प्लम

लीची गर्मियों के खास फलों में से एक है।

लीची रीठा कुल सैपिन्डेसी के खाद्य फलों का सर्वाधिक प्रसिद्ध समूह है। इसका वानस्पतिक नाम लीची चाइनेन्सिस है। लीची वातावरण की दृष्टि से सर्वाधिक सवेंदनशील उपोष्णकटिबंधीय फलवृक्ष है। फल रूचिकर मीठे अम्लीय स्वाद वाले सफेद भुरभुरे पारम्परिक बीजचोल वाला एक बीज होता है। इसे ताजे, हिमशीतित चाशनी में डिब्बाबन्द या लीची नट बनाने के लिए शुष्कित रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका वृक्ष अपनी गहरी हरी पत्तियों एवं चमकीले लाल फल के साथ सुन्दर भू-दृश्य बनाता है। लीची का उत्पत्ति स्थान दक्षिण चीन है और भारत में यह १७वीं शताब्दी के अंत से उगाया जा रहा है। भारत लीची का दूसरा सबसे बड़ा लीची उत्पादक देश है जो विश्वव्यापी उत्पादन के लगभग पांचवें भाग के लिए उत्तरदायी है और अच्छी निर्यात की सम्भावना रखता है। बिहार, देश में लीची उत्पादन में प्रमुख राज्य है जबकि असम, उड़ीसा, झारखण्ड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड एवं पश्चिम बंगाल अन्य मुख्य लीची उत्पादक राज्य है। बिहार देश के लीची उत्पादन के लगभग तीन-चौथाई भाग के लिए उत्तरदायी है। राज्य की कृषि जलवायु दशाएं लीची की बागवानी के लिए आदर्श है। चीन के बाद, भारत में लीची के अन्तर्गत 63000 हैक्टेयर क्षेत्र है और उत्पादन 3,81,000 मी.टन है।
लीची 

लीची गर्मी से बचाने में मददगार है. लीची गर्मियों के खास फलों में से एक है। गर्मियों में लीची के खाने से शरीर को कई समस्याओं से बचाया जा सकता है. लीची को पानी का अच्छा सोर्स माना जाता है। लीची में विटामिन सी, विटामिन बी6, नियासिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, तांबा, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्निशियम और मैग्नीज जैसे खनिज पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर और पेट को ठंडक देते है. लीची में पाए जाने वाले पोषक तत्व इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार माने जाते हैं. इतना ही नहीं लीची को पाचन के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है।
लीची खाने के फायदे

लीची खाने के फायदेः

  • डिहाइड्रेशन)

लीची को पानी का अच्छा सोर्स माना जाता है. गर्मियों में शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए आप लीची को डाइट में शामिल कर सकते हैं।

  • (इम्यूनिटी)

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार है ये फल. लीची में विटामिन सी, बीटा कैरोटीन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और फोलेट भरपूर होता है जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।

  • (हार्ट)

एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर लीची हार्ट को हेल्दी रखने में मददगार है. लीची को खाने से हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिल सकती है।

  • लीची खाने के नुकसानः

लीची के ज्यादा सेवन से वजन बढ़ सकता है. क्योंकि लीची में चीनी बेहद अधिक मात्रा में होती है, जिससे मोटापा बढ़ सकता है।

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