मद्महेश्वर मंदिर(Madmaheshwar Temple)
जहां भगवान शिव के नाभि की पूजा होती है। भगवान शिव के दर्शन के साथ-साथ यह क्षेत्र घूमने के लिए भी बहुत ही अच्छा स्थान है यहां अधिकतर लोग मानसून के समय में आते हैं। हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, यह शिवजी का एक पौराणिक व प्राचीन मंदिर है।
मद्महेश्वर मंदिर(Madmaheshwar Temple) |
उत्तराखंड में स्थित पंचकेदार में से एक मदमहेश्वर या फिर कहें मध्य महेश्वर की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. पंच केदार में इसे दूसरे केदार के रूप में पूजा जाता है. देवों के देव महादेव का यह मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है, जिसकी हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा मान्यता है क्योंकि यहां पर भगवान शिव के बैल स्वरूप की नाभि की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस मंदिर को महाभारतकाल में पांडवों द्वारा बनवया गया था. आइए मदमहेश्वर मंदिर से जुड़ी 7 बड़ी बातों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मद्महेश्वर मंदिर(Madmaheshwar Temple) |
- उत्तराखंड जिले के रुद्रप्रयाग में स्थित मद्महेश्वर नाथ मंदिर भगवान शिव के पंच केदार मंदिरों में से एक मंदिर है
- मद्महेश्वर मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चौखम्बा पर्वत की तलहटी पर स्थित है. जहां पर जाने के लिए ऊखीमठ से कालीमठ और फिर वहां से मनसुना गाँव होते हुए 26 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.
- उत्तराखंड के पंचकेदार में भगवान शिव के पांच अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. भोले के भक्त केदारनाथ में बैलरूपी शिव के कूबड़ की, तुंगनाथ में भुजाओं की, रुद्रनाथ में मस्तक की, मदमहेश्वर में नाभि की और कल्पेश्वर में जटाओं की पूजा करके पुण्यफल प्राप्त करते हैं.
- हिंदू मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति मद्महेश्वर मंदिर में जाकर भगवान शिव की नाभि का दर्शन और पूजन करता है, उस पर महादेव की असीम कृपा बरसती है, जिसके पुण्य प्रभाव से वह सुखी जीवन जीता हुआ अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है.
- हिंदू मान्यता के अनुसार प्रकृति की गोद में बसे इसी मंदिर कभी महादेव और माता पार्वती ने रात्रि बिताई थी. मदमहेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा के लिए दक्षिण भारत के लिंगायत ब्राह्मण पुजारी के रूप में नियुक्त होते हैं.
- मध्यमहेश्वर मंदिर के साथ इस पावन धाम के निकट स्थित बूढ़ा मदमहेश्वर मंदिर, लिंगम मदमहेश्वर, अर्धनारीश्वर व भीम के मंदिर की पूजा और दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
- भगवान शिव का यह मंदिर काफी ऊंचाई पर है, जहां जानें के लिए कई किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है. मद्महेश्वर का मंदिर सर्दियों में नवंबर से अप्रैल माह तक बंद रहता है.
- मध्यमहेश्वर मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून के बीच रहता है क्येांकि इस दौरान यहां का मौसम सुहावना होता है और आप यहां की यात्रा करते हुए प्रकृति का पूरा आनंद ले सकते हैं
लोग मद्महेश्वर मंदिर ट्रेक, रुद्रप्रयाग के बारे में भी पूछते हैं
मद्महेश्वर मंदिर(Madmaheshwar Temple) |
- प्रश्न.1मद्महेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
हिमालय की ओर एक शांतिपूर्ण और साहसिक यात्रा की तलाश में, मार्च से मई और जुलाई से अक्टूबर में यात्रा करने के लिए यह सबसे अच्छा ट्रेक है। यहां आपको पूरे साल बर्फ से ढके पहाड़ देखने को मिलेंगे।
- प्रश्न 2:मद्महेश्वर ट्रेक क्या है?
मद्महेश्वर ट्रेक भारत के उत्तराखंड क्षेत्र में एक लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्ग है। ट्रेक आपको आश्चर्यजनक जंगलों, सुंदर घास के मैदानों से होकर ले जाता है और हिमालय के मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।
- प्रश्न 3:मद्महेश्वर ट्रेक कितना लंबा है?
मद्महेश्वर ट्रेक 6 दिनों का ट्रेक है जो लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करता है।
- प्रश्न 4.मद्महेश्वर ट्रेक का कठिनाई स्तर क्या है?
मद्महेश्वर ट्रेक को मध्यम से कठिन स्तर का ट्रेक माना जाता है। राह कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकती है और इसके लिए एक निश्चित स्तर की फिटनेस और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है।
- प्र.5 मद्महेश्वर ट्रेक की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
मद्महेश्वर ट्रेक के मुख्य आकर्षण में हिमालय के शानदार दृश्य, सुंदर जंगल और घास के मैदान, प्राचीन मंदिरों के दौरे और स्थानीय संस्कृति और जीवन शैली का अनुभव करने का मौका शामिल है।
- प्र.6 मद्महेश्वर ट्रेक के लिए मुझे क्या पैक करना चाहिए?
आपको गर्म कपड़े, आरामदायक ट्रैकिंग जूते, एक रेनकोट, एक सन हैट, सनस्क्रीन, एक प्राथमिक चिकित्सा किट और एक स्लीपिंग बैग पैक करना चाहिए। भरपूर मात्रा में पानी और नाश्ता ले जाना भी महत्वपूर्ण है।
- प्र. 7 क्या मद्महेश्वर ट्रेक के लिए किसी परमिट की आवश्यकता है?
हाँ, आपको ट्रेक शुरू करने से पहले वन विभाग से परमिट प्राप्त करना होगा। परमिट और शुल्क पर नवीनतम जानकारी के लिए स्थानीय अधिकारियों से जांच करना महत्वपूर्ण है।
- प्र . 8 क्या मद्महेश्वर ट्रेक करना सुरक्षित है?
हां, मद्महेश्वर ट्रेक आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। हालाँकि, सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करना, निर्दिष्ट मार्ग पर बने रहना और उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहना महत्वपूर्ण है।
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- मद्महेश्वर मंदिर(Madmaheshwar Temple)
- मद्महेश्वर मंदिर का इतिहास(History of Madmaheshwar Temple)
- मध्यमहेश्वर धाम मंदिर खुलने की तारीख: 22 MAY, 2024(Madhyamaheshwar Dham Temple Opening Date)
- मध्यमहेश्वर धाम मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय(Best Time To Visit Madhyamaheshwar Dham Temple)
- मद्महेश्वर धाम यात्रा के साथ घूमने लायक शीर्ष स्थान(Top places to visit with Madmaheshwar Dham Yatra)
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