नवरात्रि पूजा विधान (पद्मावती शुक्रवाखत उद्यापन )
पद्मावती मण्डल पूजा विधान
पंचरंगों से नक्शों के अनुसार स्वच्छ घुला हुआ एक सुन्दर कपड़ा बिछाकर मंडल माँड दें, उस मण्डल वेदी पर पंच कलशों को मौली) धागा बाँधकर नारियल फल रखें। उन कलशों को माण्डले के ऊपर सजाएँ। केले के स्तंभ आशा-पाल के पत्तों की बन्दनवार लगाएँ, चंदोवा बाँधे और मण्डल को खूब सजाएँ। फिर मण्डल के आगे अभिषेक पीठ की स्थापना कर दें। यजमान धुले हुए वस्त्र पहनकर स्थापनापूर्वक पंचामृतभिषेक करें, शान्ति धारा करें, फिर अंगपोच्छन करके माँडले के ऊपर भगवान का स्थापन करें। भगवान के वाम भाग में एक टेबल लगाकर उस पर पद्मावती देवी की मूर्ति को सिंहासन पर विराजमान करें। पद्मावती देवी की मूर्ति को सुन्दर-सुन्दर वस्त्राभूषणों से सजाएँ, षोडशभरण पहनाएँ, पूजा प्रारम्भ करें, अंकुरारोपण करें। संकलीकरण, इन्द्रप्रतिष्ठा, मण्डल वेदी शुद्धि, पंचकुमार पूजा, दशदिक्पाल पूजा, महर्षि उपासनादि करके नवदेवता पूजा करें। फिर पार्श्वनाथ पूजा करें, धरणेन्द्र पूजा करें, उसके बाद मण्डल विधान प्रारम्भ करें। पद्मावती पूजा करें। जो-जो सामान वस्त्राभूषणादि लेकर आये हैं उन सबको पहले ही पहना दे। पूजा में नाम आने पर पुष्पांजलि क्षेपण कर दे, फिर प्रथम कोठे पर चौबीस भुजा का चौबीस अर्ध्य चढा दें। द्वितीय कोठे के ऊपर पद्मावती सहस्रनाम दस पूजाओं में से प्रथम दिन की पूजा के १०० अर्घ्य चढ़ा दें। पूर्ण अर्ध्य चढ़ाकर शान्ति पाठ विसर्जन कर दें। यह प्रथम दिन की पूजा हुई।
दूसरे दिन की पूजा में पंचामृत अभिषेक, सक्षिप्त सकलीकरण, नवदेवता पूजा, पार्श्वप्रभु पूजा, धरणेन्द्र पूजा, पद्मावती पूजा चौबीस भुजा के अलग-अलग अर्ध्य चढ़ा दें। शान्ति पाठ विसर्जन करें। इसी प्रकार प्रतिदिन पूजा का क्रम रखें। मात्र सहस्रनाम का ही शतक बदलें, बाकी सब विधि दूसरे दिन की विधि के समान करें। दसों दिन इसी प्रकार करके पद्मावती सहस्रनाम के १००८ अर्ध्य १० दिन चढ़ाकर विधान समाप्त करें। होमादिक करके रथोत्सव करें। विधान समाप्त करे। सधर्मी जनों को भोजन कराएं। चतुर्विधि संघ को उपकरणादिक दान दे। शुक्रवार व्रत के उद्यापन में जो लिखा है उसी के अनुसार देन लेन अपनी शक्तिनुसार कर दे।
विधान की सामग्री
मण्डल : १५ फुट लम्बे, १५ फुट चौड़े तख्त २/२ फुट ऊँचे लगाएँ। १६ फुट लम्बा-चौड़ा एक सफेद कपड़ा लें। (स्थान के अनुसार मण्डल छोटा-बड़ा किया जा सकता है)। आधा-आधा किलो पाँच प्रकार के रंग लें। ५ बड़े लोटे, ५ सुपारी, ५ हल्दी की गांठें, सवा छह रुपये, १०० ग्राम पंचरंगा धागा २००० नारियल, (मौसमी) पूजा की सामग्री ११ जोड़े, १०० किलो चावल, १० किलो बादाम, १ किलो लौंग, ५ किलो गोले की चिटकी लें। प्रतिदिन १५० अर्ध्य के अनुसार नैवेद्य अलग-अलग बना लें। १० किलो छुआरे आदि अष्ट द्रव्य का सामान लें। (प्रत्येक दिन अष्टद्रव्य में कोई भी हरा फल जैसे सेब, मौसमी, संतरा, केला, अनानास, आम आदि लें। श्रावक अपनी सामर्थ्यानुसार अर्घ्य चढ़ाएँ।)
जितने पूजा करने वाले जोड़े हों, उन्हीं के अनुसार सामग्री घटा, बढ़ा दें। बर्तन, दीपक आदि। अखण्ड दीपक के लिये १० किलो शुद्ध घी, रुई, एक दर्जन माचिस, विधानाचार्य के लिये दो धोती, दो दुपट्टे, दो बनियान आदि लें। झण्डारोहण के लिये केसरिया झण्डा हो । अंकुरारोपण के लिये ११ मिट्टी के सकोरे, सप्त प्रकार का धान्य ( प्रत्येक २०० ग्राम), केसरी धोती, दुपट्टे, चौकी पाटे, मालाएँ, धूपदान आदि सब योग्य सामग्री विधानाचार्य तैयार करा दे। विधान में लिखा सभी सामान मोटे-मोटे रूप में है।
पद्मावती के शृंगार का सामान
- ५ मीटर की साड़ी,
- २ मीटर ब्लाउज के लिये,
- मुकुट,
- हार,
- चूड़ियाँ,
- कुण्डल,
- पायल,
- कंगन,
- जेवर का पूरा सैट,
- ५ बड़ी माला,
- कुंकुम,
- काजल,
- बिन्दी,
- इत्र,
- दर्पण,
- तेल,
- चुवेला,
- गजरा,
- बिछवा,
- तिलक,
- भीगे चने आधा किलो,
- नौ प्रकार की 99 किलो मिठाई,
- आधा-आधा किलो नौ प्रकार की मेवा,
- नौ प्रकार के हरे फल,
- गन्ना
- ५ पान,
- ५ सुपारी,
- १०० ग्राम इलायची आदि।
- प्रतिदिन देवी का पंचामृत अभिषेक करके खूब सजा दें। सुवर्णादिक आभरण आदि शृंगार का सभी सामान प्रतिदिन नौ दिन तक मँगवाएँ, अपनी शक्ति अनुसार जैसा ला सकें वैसा करें।
पद्मावती मूल मंत्र का सवा लाख जाप करें और अन्त में इस मंत्र की दशांग आहुति दें, होम का सामान समिधादि विधानाचार्य से लिखा लें।
Part 1
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