षष्ठ कोष्ठ का अर्घ्यशतक
पुष्प सुगन्धित
ले कर पुष्पांजलि अर्पण करूँ ।
पद्मावती माता के
चरणों में अर्पण करूँ ।। १।।
पुष्पांजलिं
क्षिपेत् ।
जय-जय श्री कामदा
देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कामदायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री कमला
देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। ३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमलायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
काम्या देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। ४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
काम्यायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कामांगा देवी हमारी ।
'जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। ५ ।।
ॐ आं कों हीं
कामांगायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
काम्यसाधिनी देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय में अर्चना करूँ ।। ६।।
ॐ आं को हीं
काम्यसाधिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कलावती देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय में अर्चना करूँ ।। ७ ।।
ॐ आं को हीं
कलावत्यै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कलापूर्णा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की में वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। ८ ।।
ॐ आं कों हीं
कलापूणर्णायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कलाधरा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। ६।।
ॐ आं कों हीं
कलाषरायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कनीयसी देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की में वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। १० ।।
ॐ आं कों हीं
कनीयस्यै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कामिनी देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय में अर्चना करूँ || ११ ||
ॐ आं कों हीं
कामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कमनीयांगा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।।१२।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमनीयांगायै नमः, अर्ध्या ।
जय जय श्री
कनककांचनसन्निभा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।।१३।।
ॐ आं कों ह्रीं
कनककांचनसन्निभायै नमः, अर्ध्या ।
जय जय श्री
कात्यायनी देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कात्यायन्यै नमः, अर्ध्या ।
जय-जय श्री
कान्तिदा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।।१५ ।
ॐ आं कों ह्रीं
कान्तिदायै नमः, अर्ध्या ।
जय-जय श्री केवला
देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।।१६
ॐ आं कों ह्रीं
केवतायै नमः, अर्ध्या ।
जय-जय श्री
कामरूपिणी देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ।| 9७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कामरूपिण्यै नमः, अर्ध्या ।
जय-जय श्री
कानीना देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस देवी की मैं वन्दना करूँ।
जय अष्ट रिद्वि पाय मैं अर्चना करूँ ।। १८ ।|
ॐ आं कों ह्रीं
कानीनायै नमः, अर्ध्य ।
जय-जय श्री
कमलामोदा देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं बन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ।| 9६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमलामोदायै नमः, अर्ध्या ।
जय जय श्री कम्रा
देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय-जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्वि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २० ।
ॐ आं कों ह्रीं
कमायै नमः, अर्ध्या ।
जय जय श्री
कान्ता देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कान्तायै नमः, अर्ध्य ।
जय जय श्री
करप्रिया देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २२ ।|
ॐ आं कों ह्रीं
करप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
जय-जय श्री
कायस्था देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं बन्दना करूँ ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २३ ।
ॐ आं कों ह्रीं
कायस्थायै नमः, अर्ध्या ।
जय-जय श्री
कालिका देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालिकायै नमः, अर्घ्य ।
जय जय श्री काली
देवी हमारी ।
जय सर्व विघ्ननाश
सकल जीव उबारी ।।
जय जय श्री इस
देवी की मैं वन्दना करूँ।
जय अष्ट रिद्धि
पाय मैं अर्चना करूँ ।। २५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
काल्यै नमः, अर्ध्या ।
श्री कुमारी आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। २६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुमार्यै नमः, अर्घ्य ।
श्री कालरूपिणी
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। २७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालरूपिण्यै नमः, अर्घ्य ।
श्री काला आज सब
दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। २८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालायै नमः, ।
श्री कारा आज सब
दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ||२६||
ॐ ओ कों ह्रीं
कारायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कामधेनु आज
सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| ३० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कामधेन्वै नमः, अर्ध्या ।
श्री कासी आज सब
दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३१ ।।
ओं कों ह्रीं
कास्यै नमः, अर्घ्य ।
श्री कमललोचना आज
सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३२ ।।
ओं कों ह्रीं
कमललोचनायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कुन्तला आज
सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुन्तलायै नमः, अर्ध्य ।
श्री कनकामा आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| ३४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कनकाघायै नमः, अर्ध्य ।
श्री काश्मीर कुंकुमप्रिया
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
काश्मीरकुंकुमप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
श्री कृपावती आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ |। १३६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कृपाक्त्यै नमः, अर्ध्या ।
श्री कुण्डलिनी
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय बिराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३७ ।।
ओं कों ह्रीं
कुण्डलिन्यै नमः, अर्ध्या ।
श्री
कुण्डलाकारशायिनी आज सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३८ ।।
आ कों ह्रीं
कुण्डलाकारशायिन्यै नमः अर्घ्य ।
श्री कर्कशा आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ३६ ।|
ॐ आं कों ह्रीं
कर्कशायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कोमला आज सब
दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ||४०||
ॐ आं को ही
कोमलायै नमः, अर्ध्या ।
श्री काष्ठा आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| 89 ।।
ॐ आं कों ह्रीं
काष्ठायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कौलिकी आज
सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| ४२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कौलिक्यै नमः, अर्ध्य ।
श्री कुलवालिका
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ४३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुलबालिकायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कालचक्रधरा
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| ४४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालचकधरायै नमः, अर्घ्य ।
श्री कल्पा आज सब
दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ४५ ।।
ओं कों ह्रीं
कल्पायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कलिका आज सब
दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढ़े ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ || ४६ ||
आ कों ह्रीं
कलिकायै नमः, अर्ध्य ।
श्री काम्यकारिणी
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ४७ ||
ॐ आं को हीं
काम्यकारिण्यै नमः, अर्ध्य ।
श्री कविप्रिया
आज सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निञ्चिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार तुम्हारे
पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ४८ |।
ओं कों ह्रीं
कविप्रियायै नमः, अर्ध्या ।
श्री कौशाम्बी आज
सब दुःख दूर करो।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।| ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कौशाम्ब्यै नमः, अर्घ्य ।
श्री कारिणी आज
सब दुःख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।।५० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कारिण्यै नमः, अर्ध्य ।
श्री
कोषवर्द्धिनी आज सब दुख दूर करो ।
मैं भक्ति करूँ
निशिदिन ज्ञान की ज्योति बढे ।।
मैं आया द्वार
तुम्हारे पूजन करने को ।
तुम हृदय विराजो
आज चरणों का ध्यान करूँ ।। ५१ ।।
ओं कों ह्रीं
कोषवर्द्धिन्यै नमः, अर्ध्य ।
कुशावती को भक्ति
दश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुशाक्त्यै नमः, अर्ध्या ।
करालामा को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
करालाभायै नमः, अर्ध्य ।
कौशस्था को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कौशस्थायै नमः, अर्ध्या ।
कान्तिवर्द्धिनी
को भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ५५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं कान्तिवर्द्धिन्यै
नमः, अर्घ्य ।
कादम्बरी को
भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ५६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कादम्बर्ये नमः, अर्ध्या ।
कोशधरा को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोशधरायै नमः, अर्घ्य ।
कोशाक्षी को
भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोशाक्ष्यै नमः, अर्घ्य ।
कोशवासिनी को
भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ५६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोशवासिन्यै नमः, अर्ध्या ।
कालघ्नी को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान || ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालम्यै नमः, अर्ध्या ।
कालहननी को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ६१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कालहनन्यै नमः, अर्ध्या ।
कौमारी को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कौमार्यै नमः, अर्ध्य ।
कुलजा को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ६३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुलजायै नमः, अर्ध्य ।
कृती को भक्ति वश
कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान || ६४ ॥
ॐ आं कों ह्रीं
कृत्यै नमः, अर्ध्या ।
कुलीना को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।| ७५ ||
ॐ आं कों ह्रीं
कुलीनायै नमः, अर्ध्य । "
कुन्दपुष्पाभा को
भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ७६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुन्दपुष्पाभायै नमः, अर्ध्या ।
कुक्कुटोरगवाहिनी
की जो वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ७७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुक्कुटोरगवाहिन्यै नमः, अर्घ्य ।
कलिप्रिया की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ७८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कलिप्रियायै नमः, अर्ध्या ।
कामबाणा की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ७६ ।।
कों ह्रीं
कामबाणायै नमः, अर्ध्या ।
ॐ आं
कमठोपरिशायिनी की जो वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ८० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमठोपरिशायिन्यै नमः, अर्ध्य ।
कुलीना को भक्ति
वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ७५ ||
ॐ आं कों ह्रीं
कुलीनायै नमः, अर्ध्या । *
कुन्दपुष्पाभा को
भक्ति वश कोटि-कोटि प्रणाम ।
भक्ति का फल मैं
चाहूँ पाऊँ सम्यक् ज्ञान ।। ७६ ||
ॐ आं कों ह्रीं कुन्दपुष्पाभायै
नमः, अर्ध्या ।
कुक्कुटोरगवाहिनी
की जो वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ७७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुक्कुटोरगवाहिन्यै नमः, अर्ध्या ।
कलिप्रिया की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ७८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कलिप्रियायै नमः, अर्ध्या ।
कामबाणा की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ७६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कामबाणायै नमः, अर्ध्या ।
कमठोपरिशायिनी की
जो वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ |। ८० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमठोपरिशायिन्यै नमः, अर्ध्य ।
कठोरा की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें जूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ८१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कठोरायै नमः, अर्घ्य ।
कठिना की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ । । ८२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कठिनायै नमः, अर्ध्या ।
कूरा की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जिस पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।।८३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कूरायै नमः, अर्ध्या ।
कन्दला की जो
वन्दना करें।
दे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ | |८४ ||
ॐ आं कों ह्रीं कन्दतायै नमः, अर्ध्य ।
कदलीप्रिया की जो
बन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ८५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कदलीप्रियायै नमः, अर्ध्य ।
कोधिनी की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें जूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ६६ |।
ॐ आं कों ह्रीं
कोधिन्यै नमः, अर्ध्या ।
कोधरूपा की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ८७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोधरूपायै नमः, अर्ध्या ।
चकहुँकारवर्तिनी
की जो वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को घरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ८८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
चकहुँकारवर्तिन्यै नमः, अर्ध्या ।
कम्बोजिनी की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ८६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कम्बोजिन्यै नमः, अर्ध्या ।
काण्डरूपा की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
काण्डरूपायै नमः, अर्ध्य ।
कोदण्डकरधारिणी
की जो वन्दना करें ।
अल्पमृत्यु जित
पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ६१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोदण्डकरधारिण्यै नमः, अर्घ्य ।
कुहुक्रीडावती की
जो वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ |। ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुहुकीडावत्यै नमः, अर्ध्या ।
कीडा की जो
बन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ६३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कीडायै नमः, अर्घ्य ।
कुमारानंददायिनी
की जो वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुमारानंददायिन्यै नमः, अर्ध्या ।
कुतूहला की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुतूहलाये नमः, अर्ध्या ।
केतुरूपा की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें मजूँ ||६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
केतुरूपाये नमः, अर्ध्या ।
केतकी की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।| ६७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
केतक्यै नमः, अर्ध्य ।
कमलासना की जो
वन्दना करें ।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। ६८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कमलासनायै नमः, अर्ध्या ।
कोपिनी की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ । ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोपिन्यै नमः अर्ध्या ।
कोपरूपा की जो
वन्दना करें।
वे अल्पमृत्यु
जित पूर्ण आयु को धरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें भजूँ ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें भजूँ ।। १०० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कोपरूपायै नमः, अर्ध्या ।
कुसुमावासवासि की
वन्दना करे ।
वे अल्पमुत्युजित
पूर्ण आयु को घरें ।।
मैं कर्म अशुभ
मेटने को ही तुम्हें मजूं ।
सम्पूर्ण सिद्धि
प्राप्त करने को तुम्हें मजूं ।। १०१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कुसुमावास वासिन्यै नमः अर्ध्य ।
मंत्रजाप १०८
लौंगों से करें।
ॐ ह्रीं श्री
पद्मावतीदेव्यै नमः । मम इच्छितफलप्राप्तिं कुरु कुरु, स्वाहा ।
पूर्ण अर्ध्य
जय मलय तन्दुल
सुमन चरु दीप, धूप फलावलि ।
करि अरघ चरचों
चरनयुग माँ मोही दुःख से टार हि ।।
पद्मावती शत नाम
की जयमाल सुन्दर गावहुँ ।
तव भक्ति करहुँ
शोणपाणे मात सब दुःख टार हि ।।
ॐ आं कों ह्रीं
कामदादिकुसुमावास बासिन्यन्तशतनामधारिण्यै अर्घ्यं समर्पयामि ।
।। शांतिधारा, पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।
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