सप्तम कोष्ठ का अर्घ्यशतक
सरस्वती सत नाम
की पुष्पांजलि चढ़ाय ।
पुष्पों के अर्पण
से मिले, सुख शान्ति महान् ।| 9 ।।
पुष्पांजलिं
क्षिपेत् ।
सरस्वती मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। २ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सरस्वत्यै नमः, अर्ध्या ।
शरण्या मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। ३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शरण्यायै नमः, अर्ध्य ।
सहस्राक्षी मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। ४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं सहस्राक्ष्यै
नमः, अर्घ्य ।
सरोजगा मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।।५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सरोजगायै नमः, अर्ध्य ।
शिवा मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। ६ ।
ॐ आं कों ह्रीं
शिवायै नमः, अर्ध्या ।
सती मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। ७।।
ॐ आं कों ह्रीं
सत्यै नमः, अर्ध्य ।
सुधारूपा मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। ८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुधारूपायै नमः, अर्घ्य ।
माया मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता
कहता सेवक गाय ।। ६।।
ॐ आं को
शिवमायायै नमः, अर्ध्य ।
'सिता मम उर बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।| 90 |।
ॐ आं कों ह्रीं
सितायै नमः अर्ध्या ।
शुभ मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।| 99 ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शुभायै नमः, अर्घ्य ।
सुमेधा मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता
कहता सेवक गाय ।। १२ । ।
ॐ आं कों ह्रीं
सुमेधायै नमः, अर्ध्या ।
सुमुखी मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। १३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
समुख्यै नमः, अर्घ्य ।
सत्या मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। १४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सत्यायै नमः, अर्ध्य ।
सावित्री मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। १५ ।।
ॐ खां कों ह्रीं
सावित्र्यै नमः, अर्घ्य ।
सामगायिनी मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। १६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सामगायिन्यै नमः, अर्ध्य ।
सुरोत्तमा मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।।१७।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुरोत्तमायै नमः, अर्ध्या ।
सुप्रभा मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता, कहता सेवक गाय ।। १८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुप्रभायै नमः, अर्ध्या ।
श्रीरूपा मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।। १६ ।।
ॐ आं को हीं
श्रीरूपायै नमः, अर्घ्य ।
शास्त्रशालिनी मम
उर बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।। २० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शास्त्रशालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
शान्ता मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।।२१ ।।
ॐ आं कों हीं
शान्तायै नमः, अर्घ्य ।
सुलोचना मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।। २२ ।।
ॐ आं को ही
सुलोचनायै नमः, अर्घ्य ।
साध्वी मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।। २३ ।।
ॐ आं कों ही
साध्यै नमः, अर्घ्य ।
सिद्धसाध्या मम
उर बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।।२४ ।।
ॐ आं कों हीं
सिद्धसाध्यायै नमः, अर्घ्य ।
सुधात्मिका मम उर
बसो पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।।२५ ।।
ॐ आं कों हीं
सुधात्मिकायै नमः, अर्घ्य ।
शारदा मम उर बसो
पूर्ण तिष्ठो आय ।
रहे सदैव दयालुता,
कहता सेवक गाय ।।२६ ।।
ॐ आं को ही
शारदायै नमः, अर्घ्य ।
सरला मेरी बात को
सब भौति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।।२७ ।।
ॐ आं कों ही
सरलायै नमः, अर्घ्य ।
सार| मेरी बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो । । २८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सारायै नमः, अर्घ्य ।
सुवेणी मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। २६ ।।
ॐ आं कों हीं
सुवेण्यै नमः, अर्घ्य ।
सुयशप्रदा मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुयशःप्रदायै नमः, अर्घ्य ।
शंका मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंत्र की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शंकायै नमः, अर्घ्य ।
शमता मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शमतायै नमः, अर्घ्य ।
शुद्धा मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३३ ।।
ॐ आं को हीं
मुद्धायै नमः, अर्घ्य।
शकमान्या मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३४ ।।
ॐ आं को ही
शकमान्यायै नमः, अर्घ्य ।
शुभंकरी मेरी बात
को सब भाँति सुधारो
।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शुभंकर्यै नमः, अर्घ्य ।
सुधाहाररता मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं
सुधाहाररतायै नमः, अर्घ्य ।
श्यामा मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३७ ।।
ॐ आं को हीं
श्यामायै नमः, अर्घ्य ।
शमा मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया करो
दुःख दर्द निवारो ।। ३८ ।।
ॐ आं को ही शमायै
नमः, अयं ।
शीलवती मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ३६ ।।
ॐ आं कों हीं
शीलवत्यै नमः, अर्घ्य ।
शरा मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवासे ।। ४० ।।
ॐ आं कों हीं
शरायै नमः, अर्घ्य ।
शीतला मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शीतलायै नमः, अर्घ्य ।
सुभगा मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४२ ।।
ॐ आं कों हीं
सुभगायै नमः, अर्घ्य ।
सावी मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विव्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४३ ।।
ॐ आं कों हीं
साब्यै नमः, अर्घ्य ।
सुकेशी मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नंक निहारो ।
करपंख की छाया करो
दुःख दर्द निवारो ।। ४४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुकेक्ष्यै नमः, अर्घ्य ।
शैलवासिनी मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
भन कामना को सिद्ध
करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवासे ।। ४५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शैलवासिन्यै नमः, अर्घ्य ।
शालिनी मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शालिन्यै नमः, अर्घ्य ।
साक्षिणी मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं साक्षिण्यै
नमः, अर्घ्य ।
सोमा मेरी बात को
सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४८ ।।
ॐ आं को हीं
सोमायै नमः, अर्घ्य ।
सुभिक्षा मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारी ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ४६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुषिक्षायै नमः, अर्घ्य ।
शिवप्रेयसी मेरी
बात को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ५० ।।
ॐ आं कों हीं
शिवप्रेयस्यै नमः, अर्घ्य ।
सुवर्णा मेरी बात
को सब भाँति सुधारो ।
मन कामना को
सिद्ध करो, विघ्न निवारो ।।
मत देर करो मेरी
ओर नेक निहारो ।
करपंख की छाया
करो दुःख दर्द निवारो ।। ५१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुवणायै नमः, अर्घ्य ।
तुम शोणवर्णरूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया । । ५२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शोणवणायै नमः, अर्घ्य ।
तुम सुन्दरी रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५३ ।।
ॐ आं कों ही
सुन्दर्ये नमः, अर्घ्य ।
तुम सुरसुन्दरी
रूपा मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५४ ।।
आं कों हीं
सुरसुन्दर्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम शक्ति रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५४ ।।
आं कों हीं
सुरसुन्दर्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम शक्ति रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
ॐ आं कों ह्रीं
शक्त्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम सुषा रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।।५६ ।।
ॐ आं को ही
सुषायै नमः, अर्घ्य ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५५ ।।
तुम शौरिका रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५७ ।।
ॐ आं कों ही
शौरिकायै नमः, अर्घ्य।
तुम सेव्या रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५८ ।।
ॐ आं कों हीं
सेष्यायै नमः, अर्घ्य ।
तुम श्रिया रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ५६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
श्रियै नमः, अर्घ्य ।
तुम सुजानिर्चिता
रूपा मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६० ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुजानिर्चितायै नमः, अर्घ्य ।
तुम शिवदूती रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६१।।
ॐ आं कों ही
शिवदूत्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम श्वेतवर्णा
रूपा मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की मरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
श्वेतवर्णाय नमः, अर्घ्य ।
तुम शुभ्राभा
रूपा मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की घरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६३ ।।
ॐ आं को ही
शुभ्राभायै नमः, अर्घ्य ।
तुम शोभनाशिखा
रूपा मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शोभनाशिखायै नमः, अर्घ्य ।
तुम सिंहिका रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ही
सिंहिकायै नमः, अर्घ्य ।
तुम सकला रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सकलायै नमः, अर्घ्य ।
तुम शोभा रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शोभायै नमः, अर्घ्य ।
तुम स्वामिनी
रूपा मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया || ६८ ||
ॐ आं कों ह्रीं
स्वामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम शिवपोषिणी
रूपा मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ६६ ।।
ॐ आं को ही
शिवपोविष्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम श्रेय का
रूपा मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्ताम गे समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ७० ।।
ॐ आं कों हीं
श्रेयस्कायै नमः, अर्घ्य ।
तुम श्रेयसी रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया । । ७१ ।।
ॐ आं कों ही श्रेयस्यै
नमः, अर्घ्य ।
तुम शौर्या रूपा
मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ७२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शौर्याय नमः, अर्घ्य ।
तुम सौदामिनी
रूपा मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ७३ ।।
ॐ आं को ही
सौदामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम शुचि रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ७४ ।।
ॐ आं कों हीं
शुष्यै नमः, अर्घ्य ।
तुम सौभागिनी
रूपा मन्त्र मूर्ति धरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।| ७५ ।।
ॐ आं को ही
सौभागिन्यै नमः, अयं ।
तुम शोषिणी रूपा
मन्त्र मूर्ति घरैया ।
चिन्तामणि समान
कामना की भरैया ।।
जग जाप योग जैन
की सब सिद्धि करैया ।
परवाद के पुरयोग
को तत्काल हरैया ।। ७६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शोषिष्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सुगन्धि चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को आनन्द
कन्द पूरी करा है।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है। । ७७ ।।
ॐ आं कों हीं
सुगन्ध्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सुमनःप्रिया चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है।। ७८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सुमनःप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सौरभेयी चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग मान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ७६ ।।
ॐ आं कों हीं
सौरभेव्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सुसुरषि चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ८० ।।
ॐ आं कों हीं
सुसुरभ्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
श्वेतातपत्रधारिणी चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।| ८१ ||
ॐ आं कों ह्रीं
श्वेतातपत्रधारिष्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
शृंगारिणी चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ८२ ।।
ॐ आं को ह्रीं
श्रृंगारिष्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सत्यवक्त्री चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोष धरा है । । ८३ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सत्यवकयै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सिद्धार्था चन्द्र घरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है।।
जुग भान ऊर्ण
कुण्डल सो ज्योति परा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ८४ ।।
ॐ आं को हीं
सिद्धार्यायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
शीलभूषणा चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ८५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
शीलभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सत्यार्थिनी चन्द्र परा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ८६ ।।
ॐ शं कों ह्रीं
सत्यार्थिन्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
संध्यामा चन्द्र घरा है।
पुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ८७ ।।
ॐ आं को ही
संध्याभायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
शची चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ८८ ।।
ॐ आं कों हीं
शच्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सत्कृती चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है। । ८६ ।।
ॐ आं को हीं
सत्कृत्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सिद्धिदा चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ६० ।।
ॐ आं को ह्रीं
सिद्धिदायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
संहारकारिणी चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ६१ ।।
ॐ आं को ह्रीं
संहारकारिण्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सिंही चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
सिंह्यै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सप्तार्चिषु चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है।। ६३।।
ॐ आं कों ही
सप्तार्चिषे नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सफला चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ६४ ।।
ॐ आं कों ही
सफलायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
अर्घ्यदा चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है।। ६५ ।।
ॐ आं कों हीं
अर्ध्यदायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
संध्या चन्द्र घरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्च पूरी करा है।।
जुग भान कर्ण
कुण्ड कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ६६ ।।
ॐ आं कों हीं
संध्यायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सिन्दूरवर्णाभा चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।।६७ ।।
ॐ आं को ही
सिन्दूरवर्णाभायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र ता
सिन्दूरतिलकप्रिया चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।। ६८ ।।
ॐ आं कों ही
सिन्दूरतिलकप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सारंगा चन्द्र घरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग मान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है ।। ६६ ||
ॐ आं कों ही
सारंगायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
सुतरा चन्द्र धरा है ।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति घरा है ।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ धरा है ।| 900 ||
ॐ आं कों ह्रीं
सुतरायै नमः, अर्घ्य ।
मुख चन्द्र सा
शुभभाषिणी चन्द्र धरा है।
भुवि वृन्द को
आनन्द कन्द पूरी करा है ।।
जुग भान कर्ण
कुण्डल सो ज्योति धरा है।
अंग वस्त्र फूल
माला अति शोभ घरा है।। १०9 11
ॐ आं कों ह्रीं
शुभभाषिण्यै नमः, अर्घ्य ।
मंत्रजाप १०८
लोगों से
ॐ ह्रीं श्री
पद्मावतीदेव्यै नमः।
मम
इच्छितफलप्राप्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
पूर्ण अर्घ्य
वसुद्रव्यसंवारी,
तुमढिगधारी, आनन्दकारी दृग प्यारी ।
तुम हो सुखकारी,
करुनाधारी याते तव शरण नरनारी ।।
त्वं पद्मेशं
भक्तजिनेशं नुत जनेतं वृष राजेशं राजेशं ।
हनो दुःख अरिशेषं,
गुणगण ईशं दयामूलेंशं मूर्तेशं ।।
ॐ आं को हीं
सरस्वत्यादि शुभभाषिष्यन्तशतकनामधारिण्यै अर्घ्य समर्पयामि ।
।। शांतिधारा,
पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।
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