अष्टम कोष्ठ का अर्घ्यशतक
नानाविधि के
पुष्प मॅगाकर देवी के चरणों में चढ़ाय ।
पुष्पांजलि कर मन
हषार्यो दुःख दारिद्र सभी नश जाय ।।१।।
पुष्पांजलिं
क्षिपेत् ।
भुवनेश्वरी भी
नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय ।। २ ।।
ॐ आं को ही
भुवनेश्वर्ये नमः, अध्यं ।
भूषणा भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। ३ ।।
ॐ जां कों ह्रीं
भूषणायै नमः, अर्घ्य ।
भुवना भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। ४ ।।
ॐ आं को ह्रीं
भुवनायै नमः, अर्घ्य ।
भूमिपप्रिया भी
नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रब्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। ५ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भूमिपप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
भूमिभूर्चा भी
नाम है भक्तों के उर आय।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजें तुम पाय । ।६ ।।
ॐ आं कों हीं
भूमिभूभयैि नमः, अयं ।
भूपबंधा भी नाम
है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय । ७ ।।
ॐ आं कों ही
धूपबंधायै नमः, अर्घ्य ।
भुजगेशप्रिया भी
नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय ।। ८ ।।
ॐ आं कों हीं
पुजणेशप्रियायै नमः, अर्घ्य ।
भुजंगाम्बिका भी
नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। ६ ।।
ॐ आं कों हीं
भुजंगाम्बिकायै नमः, अर्घ्य ।
भुजंगभूषणा भी
नाम है भक्तों के उर आय।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय ।। १० ।।
ॐ आं को हीं भुजंगभूषणायै नमः, अर्घ्य ।
भोगा भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। ११ ।।
ॐ आं को ह्रीं
भोगायै नमः, अयं ।
भुजंगकरशायिनी भी
नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १२ ।।
ॐ आं कों हीं
भुजंगकरशायिन्यै नमः, अर्घ्य ।
मृगी भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १३ ।।
ॐ आं कों हीं पृग्यै नमः, अर्घ्य ।
भीतिहरा भी नाम
है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १४ ।।
ॐ आं कों ही भीतिहरायै नमः, अर्घ्य ।
भाग्या भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १५ ।।
ॐ आं को ह्रीं
भाग्यायै नमः, अर्घ्य ।
भीमभीमाट्टहासिनी
भी नाम है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं
भीमभीमादृट्टहासिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भारती भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं 'भारत्यै नमः, अर्घ्य ।
भवती भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भवत्यै नमः, अर्घ्य ।
भंगी भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। १६ ।।
ॐ आं कों हीं
भंग्यै नमः, अर्घ्य ।
भगिनी भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य लगायके
मैं पूजूँ तुम पाय ।। २० ।।
ॐ आं कों हीं
भगन्यै नमः, अर्घ्य ।
भोगमदिरा भी नाम
है भक्तों के उर आय।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। २१ ।।
ॐ आं को हीं
भोगमदिरायै नमः, अर्घ्य ।
भद्रिका भी नाम
है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। २२ ।।
ॐ आं कों हीं भद्रिकायै नमः, अर्घ्य ।
भद्ररूपा भी नाम
है भक्तों के उर आय।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय ।। २३ ।।
ॐ आं कों हीं
मदरूपायै नमः, अर्घ्य ।
भूतात्मा भी नाम
है भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुन पाय ।। २४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भूतात्मायै नमः, अर्घ्य ।
भूतभजिनी भी नाम
है भक्तों के उर आय।
वसुविधि द्रव्य
लगायके मैं पूजूँ तुम पाय ।। २५ ।।
ॐ आं कों हीं
भूतजिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भवानी भी नाम है
भक्तों के उर आय ।
वसुविधि द्रव्य
लगायके में पूजूँ तुम पाय ।। २६ ।।
ॐ आं कों हीं
भवान्यै नमः, अर्घ्य ।
भैरवी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। २७ ।।
ॐ आं को ही
भेव्यै नमः, अर्घ्य ।
भीमा भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक देक
स्तुति जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। २८ ।।
आं भीमायै नमः,
अर्ध्य ।
भामिनी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। २६ ।।
ॐ आं कों हीं
भामिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भ्रमनाशिनी भी
नाम कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३० ।।
ॐ आं कों हीं
भ्रमनाशिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भुजगिनी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३१ ।।
ॐ आं कों हीं
भुजगिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भुशुण्डी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३२ ।।
ॐ आं कों हीं
भुशुण्ड्यै नमः, अर्घ्य ।
भेदिनी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३३ ।।
ॐ आं कों हीं
भेटिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भूमि भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३४ ।।
ॐ आं कों हीं
भूम्यै नमः, अर्घ्य ।
भूषणा भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३५ ।।
ॐ आं कों ही
भूषणायै नमः, अर्घ्य ।
मिन्ना भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।।३६ ।।
ॐ आं को ही
भिन्नायै नमः, अर्घ्य ।
भाग्यवती भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३७ ।।
ॐ आं कों ही
भाग्यवत्यै नमः, अर्घ्य ।
भाषा भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३८ ।।
ॐ आं को ही
भाषायै नमः, अर्घ्य ।
भोगिनी भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवाविक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ३६ ।।
ॐ आं कों ही
योगिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भोगवल्लभा भी नाम
कहायो इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी तुम सब को शान्ति जु दीनी ।। ४० ।।
ॐ आं को ही
भोगवल्लभायै नमः, अर्घ्य ।
भूरिदा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४१।।
ॐ आं कों ही
भूरिदायै नमः, अर्घ्य ।
मुक्तिदा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४२ ।।
ॐ आं को हीं
मुक्तिदायै नमः, अर्घ्य ।
भुक्ति भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४३ ||
ॐ आं को ही
भुक्त्यै नमः, अध्य।
भवसागरतारिणी भी
नाम कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४४ ।।
ॐ आं को ही
भवसागरतारिण्यै नमः, अर्घ्य ।
भास्वती भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।| ४५ ।।
ॐ आं कों ही
भास्वत्यै नमः, अर्घ्य ।
भास्वरा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
। ।४६ ।।
ॐ आं को ही
भास्वरायै नमः, अर्घ्य ।
भूति भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवाविक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४७ ।।
ॐ आं को ही
मूत्यै नमः, अर्घ्य ।
भूतिदा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४८ ।।
ॐ आं कों हीं
भूतिदायै नमः, अर्घ्य ।
भूतिवर्द्धिनी भी
नाम कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवाविक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ४६ ।।
ॐ आं को ही
भूत्तिवर्द्धिन्यै नमः, अर्घ्य ।
भाग्यदा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
जु कीनी, तुम सबको शान्ति जु दीनी
।। ५० ।।
ॐ आं कों हीं
भाग्यदायै नमः, अर्घ्य ।
भोगदा भी नाम
कहायो, इस युग में नाम बढ़ायो ।
देवादिक स्तुति
स्तुति जु कीनी, तुम, सबको शान्ति जु दीनी ।। ५१ ।।
ॐ आं को ह्रीं भोगदायै
नमः, अर्थ ।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय !
भोग्या पूजूँ सदा
हरे सभी का गर्व ।। ५२ ।।
ॐ आं को ही
भोग्यायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर हष्ट मित्र सब पाय ।
भाविनी पूजें सदा
हरे सभी का गर्व ।।५३ ।।
ॐ आं कों ही
भाविन्यै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भवनाशिनी पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।।५४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भवनाशिन्यै नमः अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भिक्षु को पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ५५ ।।
ॐ आं कों ही
भिक्षवे नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को पायकर
इष्ट मित्र सब पाय ।
भट्टारिका पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ५६ ।।
ॐ आं कों ही
भट्टारिकायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय।
भीरू पूजूँ सदा
हरे सभी का गर्व ।।५७ ।।
ॐ आं को ह्रीं
भीर्षे नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भ्रामा पूजूँ सदा
हरे सभी का गर्व ।। ५८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
प्रामायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भ्रामरी पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ५६ ।।
ॐ आं कों ही
भ्रामयै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भवा पूजें सदा
हरे सभी का गर्व ।। ६० ।।
ॐ आं को हीं
भवायै नमः, अर्थ ।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भण्डिनी पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ६१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भण्डिन्यै नमः, अर्ध।
भाण्डदा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६२ ।।
ॐ आं कों हीं
भाण्डादायै नमः, अर्ध ।
भाण्डी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६३ ।।
ॐ आं कों हीं भाण्ड्रयै
नमः, अर्ध ।
भल्लकी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६४ ।।
ॐ आं को हीं
भल्लक्यै नमः, अर्ध। ।
भूरिभजिनी की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६५ ।।
ॐ आं कों हीं
पूरिभजिन्यै नमः, अर्ध।
भूमिगा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रष्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं
भूमिणायै नमः, अर्ध ।
भूमिदा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६७ ।।
ॐ आं कों हीं
भूमिदायै नमः, अर्ध ।
भाष्या की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६८ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भाष्यायै नमः, अर्ध।
भक्षिणी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६६ ।।
ॐ आं को हीं
मक्षिप्यै नमः, अर्ध।
भृगुरजिनी की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय । ।७० ।।
ॐ आं को हीं
भृगुरजिन्यै नमः, अर्ध ।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय।
भाराकृन्ता पूजें
सदा हरे सभी का गर्व ।। ७१ ।।
ॐ आं को ही
भाराकृत्तायै नमः, अर्ध ।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भूमिभूषा पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ७२ ।।
ॐ आं कों हीं
भूमिभूषायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
मंजिनी पूजें सदा
हरे सभी का गर्व ।। ७३ ।।
ॐ आं को ही
भेजिन्यै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भूमिपालिनी पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ७४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भूमिपालिन्यै नमः, अर्ध ।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भद्रा को पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व ।। ७५ ।।
ॐ आं कों ही
भद्रायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भगवती को पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व । ।७६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
भगवत्यै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भक्ता को पूजूँ
सदा हरे सभी का गर्व । ।७७ ।।
ॐ आं कों हीं
भक्तायै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
वत्सला पूजें सदा
हरे सभी का गर्व ।| ७८ ।।
ॐ आं को ही
वत्सलायै नमः, अर्ध। गर्व । १७८
।।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
भाग्यशालिनी
पूजूँ सदा हरे सभी का गर्व ।। ७६ ।।
ॐ आं कों हीं
भाग्यशालिन्यै नमः, अर्ध।
अष्ट रिद्धि को
पायकर इष्ट मित्र सब पाय ।
खेचरी पूजें सदा
हरे सभी का गर्व ।। ८० ||
ॐ आं कों हीं
खेचर्ये नमः, अर्ध ।
खड्गहस्ता की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रब्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८१ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
खड्गहस्तायै नमः, अर्ध।
खण्डिनी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८२ ।।
ॐ आं कों हीं
खण्डिन्यै नमः, अर्ध ।
खलमर्दिनी की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८३ ।।
ॐ आं कों हीं
खलमर्दिन्यै नमः, अर्ध ।
खट्वांगधारिणी की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८४ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
खटूबांगधारिण्यै नमः, अर्ध।
खट्टा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८५ ।।
ॐ आं कों हीं
खट्वायै नमः अर्ध ।
खड्गा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
खड्गायै नमः, अर्ध।
खगवाहिनी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८७ ।।
ॐ आं कों हीं
खगवाहिन्यै नमः, अर्ध।
षट्चकमेदिनी की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रब्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८८ ।।
ॐ आं कों हीं
षट्चकभेदिन्यै नमः, अर्ध ।
ब्याता की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ८६ ।।
ॐ आं को हीं
ख्यातायै नमः, अर्ध ।
खगपूज्या की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६० ।।
ॐ आं कों हीं
खगपूज्यायै नमः, अर्थ ।
खगेश्वरी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय । ।६१ ।।
ॐ आं कों हीं
खगेश्वर्यै नमः, अर्ध।
लांगली की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।| ६२ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
लांगल्यै नमः, अर्ध।
ललना की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।| ६३ ।।
ॐ आं कों हीं
ललनायै नमः अर्ध।
लेखा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६४ ।।
ॐ आं कों हीं
लेखायै नमः, अर्घ ।
लेखिनी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६५ ।।
ॐ आं कों ही
लेखिन्यै नमः, अर्घ ।
ललितालता की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
ललितालतायै नमः, अर्ध। ।
लक्ष्मी की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६७ ।।
ॐ आं कों ह्रीं
लक्ष्यै नमः, अर्ध ।
लक्ष्मवती की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६८ ।।
ॐ आं को हीं
लक्ष्मवत्यै नमः, अर्ध।
लक्ष्या की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का
थाल सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। ६६ ।।
ॐ आं कों हीं
लक्ष्यायै नमः, अर्ध ।
ॐ आं कों ह्रीं
लाभदायै नमः, अर्घ ।
लोभवर्जिता की
पूजा करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। १०० ।।
ॐ आं कों हीं
लोभवर्जितायै नमः, अर्ध।
लाभदा की पूजा
करके मन अति आनन्द सुख उपजाय ।
अष्ट द्रव्य का थाल
सजाकर नाचूँ गाऊँ मन हर्षाय ।। १०० ।।
मंत्रजाप १०८ लोगों से
ॐ ह्रीं श्री
पद्मावतीदेव्यै नमः। मम इच्छितफलप्राप्तिं कुरु कुरु स्वाहा ।
पूर्ण अर्घ्य
जल आदि साजि सब
द्रव्य लिया ।
कनकधार धार हम
नृत्य किया ।।
सुखदाय पाय यह अर्ध
है ।
देवी तुम चरण
सेवत हैं ।।
ॐ आं कों ही
भुबनेश्वर्यादिलोपवर्जितान्त शतनाममारिष्यै अर्थ समर्पयामि शांतिधारा,
पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।
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