जाप्य मन्त्र, पद्मावती देवी की आरती, आरती श्री क्षेत्रपाल
(१) ॐ आं कों ह्रीं क्लीं ह्रीं पद्मावत्यै मम सर्वकार्य सिद्धिं कुरु, कुरु नमः ।सवा लाख या साढ़े बारह हजार इस मंत्र का विधि पूर्वक जाप करें। दशांग होम कुण्ड में आहुति दें। देवी आवश्यक कार्य सिद्ध करेगी।
(२) ॐ ह्रीं नमः ।
अथवा इस एकाक्षरी पद्मावती देवी के मंत्र के सात लाख जाप करें। होम कुण्ड में दशांग आहुति दें। देवी आवश्य दर्शन या स्वप्न में दर्शन देगी या सर्वकार्य सिद्धि होगी।
(३) ॐ आं कों ह्रीं धरणेन्द्राय, हीं पद्मावती संहिताय को हैं हीं नमः ।
इस मंत्र के सवा लाख जाप करने से सर्व कार्य सिद्धि होगी। यह सर्वकार्य सिद्धि मंत्र है। जैसा योग्य समझें, वही मंत्र लें और दस दिन में जाप कर लें । नव रात्रि पूजा विधान में इन तीन मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जाप करें, फिर दशांग आहुति दें।
पद्मावती देवी की आरती
ॐ जय जगदम्बे माता, देवि पद्मावति माता,
आरती करूँ मंगलमय, देवो सुख साता ।। टेक ।।
श्री पार्श्वनाथ शासन देवि हो, सिर पर प्रभु सोहे, । माता, सिर।।
कुक्कुट सर्पवाहिनी माँ के सहस्र नाम मोहे । 19 ।। ॐ जय ।।
पोम्बुजपुर में आप विराजी अतिश अति भारी । माता, अति ।।
पुष्पों का वर प्रसाद देकर, आनन्द करतारी । । २ ।। ॐ जय ।।
मथुरा के जिनदत्तराय की आप करी रक्षा। माता, आप ।।
रत्नत्रय की शोभा देती द्वादशांगदक्षा । । ३ । । ॐ जय ।।
पद्मवर्ण पद्मासन पद्मा पद्महस्त सोहे ।। माता, पद्म ।।
पद्मवासिनी पद्मनयन की पद्मप्रभा मोहे ।।४।। ॐ जय ।।
नानामत में विविधनाम से आपकी भक्ती करे ।। माता, आप ।।
तारा, गौरी, बजा, प्रकृति, गायत्री नाम थरे । १५ ।। ॐ जय ।
कुंकुम, हल्दी, पान, सुपारी, चना, फूल, सजधार । माता, चना ।।
दीप, धूप, गंध, केला, श्रीफल, व्यंजन बहुत प्रकार | ६ || ॐ जय ।।
पूर्ण कलश ले नारी सुहागिन इह विधि पूज रचाय ।। माता इह ।।
सुख सौभाग्य बढ़े सेवक का, मन वांछित फल पाया। 1७ ।। ॐ जय ।।
आरती श्री क्षेत्रपाल
करूँ आरती क्षेत्रपाल की जिन-पद सेवक रक्षपाल की ।। टेक ।।
विजय वीर अरु मणिभद्र की अपराजित भैरव आदि की ।। करूँ
सिरपर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशूल जु राजै ।। करूँ
कूकर वाहन शोभा भारी, भूत प्रेत दुष्टन भयकारी ।। करूँ
लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना ।। करूँ
जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शान्तमय कीनी ।। करूँ
जिन भक्तन की रक्षा करते, दुख दारिद्र सभी भय हरते ।। करूँ
पुत्रादि वांछा पूरी करते, इसलिए हम आरती करते ।। करूँ
।। श्री पद्मावती देवी प्रसन्न ।।
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