(श्री रुद्रनाथ मंदिर )रूद्र मंत्र से शिव को करें प्रसन्न और जानें महत्व एवं जाप विधि।((Shri Rudranath Temple) To please Shiva with Rudra Mantra and know the importance and chanting method.)

रूद्र मंत्र से शिव को करें प्रसन्न और जानें महत्व एवं जाप विधि।

Shri Rudranath Temple(श्री रुद्रनाथ मंदिर)
रूद्र मंत्र के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की मंत्र क्या होता है। मंत्र अक्षरों द्वारा निर्मित दिव्य स्पंदन हैं, जिनके जाप किए जाने से वे दिव्य ऊर्जा को हमारी आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में केंद्रित करते हैं और हमारे चारों ओर दिव्य औरा का निर्माण करते हैं। वस्तुतः मंत्र का मूल अर्थ होता है मनन करना। मंत्र को जपने से शक्ति प्राप्त होती है। मंत्र नकारात्मकता को समाप्त करके हमें सकारात्मक बनाता है और हमारी रक्षा करता है।

रूद्र मंत्र की विशेषता

रुद्र मंत्र भगवान रूद्र को समर्पित है, जो भगवान शिव का ही रूप माने जाते हैं और व्यापक अर्थों में दोनों एक ही हैं। अर्थात सर्वशक्तिमान भगवान महादेव ही रुद्र हैं। रुद्र मंत्र के इष्ट देवता भगवान शिव ही हैं। रुद्र मंत्र की आवृत्तियों को बार-बार दोहराने अर्थात इनका जाप करने से भगवान शिव का पावन सानिध्य प्राप्त होता है और मंत्र जाप करने वाले की कोई भी इच्छा पूरी हो सकती है। देवों के देव कहे जाने वाले महादेव शिव, जिन्हें रुद्र के नाम से भी जाना जाता है, रुद्र मंत्र के जाप से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की मनोवांछित इच्छाओं की पूर्ति भी कर देते हैं। भगवान शिव दुखों का नाश करने के लिए जब भी अपने संहारक रूप में आते हैं और उस काल में रौद्र रूप को रूप धारण करके सभी शत्रुओं को रुलाने से ही वे शिव रुद्र बन जाते हैं और इन्हीं की कृपा पाने के लिए रुद्र मंत्र का जाप करना चाहिए।

रूद्र मंत्र का प्रभाव

Shri Rudranath Temple(श्री रुद्रनाथ मंदिर)
रुद्र मंत्र अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है, जिसके परिणाम स्वरूप बड़ी से बड़ी बीमारी भी दूर हो सकती है और जो व्यक्ति काफी समय से विभिन्न प्रकार के कष्टों में घिरा हुआ हो, उसे भी रूद्र मंत्र का जाप करने से उन सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और उसका जीवन धन्य हो जाता है। यही रूद्र मंत्र का विशेष प्रभाव है, जो इसको जपने वाले के साथ सदैव उपस्थित होता है।
रूद्र मंत्र एवं रूद्र मंत्र का अर्थ (Rudra Mantra and its meaning)
रुद्र मंत्र इस प्रकार है:
ॐ नमो भगवते रुद्राये।
Aum Namo Bhagwate Rudraye.
मैं भगवान रुद्र अर्थात भगवान शिव को नमन करता हूं। उन्हें प्रणाम करता हूं।

रूद्र गायत्री मंत्र

ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि | तन्नो रूद्र प्रचोदयात् ||

Aum Sarveshvaray Vidmahe, Shoolhastaye Dheemahi Tanno Rudra Prachodayat.

हे सर्वेश्वर भगवान आपके हाथ में त्रिशूल है और मेरा जीवन विभिन्न प्रकार के कष्टों और परेशानियों में घिरा हुआ है। ऐसे में आप मुझे अपनी कृपा में ले कर मेरे कष्टों को दूर कीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, क्योंकि मैं आपकी शरण में हूं।

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि; तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

Aum Tatpurushaye Vidmahe, Mahadevay Dheemahi Tanno Rudrah Prachodayat.

मैं महान भगवान आदर्श पुरुष भगवान महादेव के चरणों में प्रणाम करता हूं। हे प्रभु! आप मुझे बुद्धि दीजिए और ज्ञान के द्वारा मेरा मार्गदर्शन कीजिए।

शिव ध्यान मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

Karcharankritam Vaak Kaayjam Karmajam Va Shravan Nayanajam Va Maansamvapraadham.
Vihitam Vihitam Va Sarv Metat Kshamasv Jai Jai Karunabdhey Shri Mahadev Shambho.

हे परम दयालु भगवान महादेव, कृपया मुझे पापों के लिए क्षमा करें। कृपया मेरे हाथों, पैरों, शरीर और कार्यों के माध्यम से किए गए पापों के लिए मुझे क्षमा करें। जानबूझकर या अनजाने में मेरे कान, आँख और दिमाग के माध्यम से किए गए सभी पापों को क्षमा करें।

भगवान शिव के रुद्र एकादश नाम ऐसा माना जाता है कि जीवन में सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए भगवान रुद्र के इन एकादश रूद्र नामों को जपना चाहिए, जिससे सभी प्रकार की समस्यायें दूर हो सकती हैं। शिव के ये एकादश रूद्र नाम इस प्रकार हैंं : शिवपुराण में एकादश रुद्र के नाम
शिव पुराण में एकादश रूद्र को कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड, और भव के नाम से जाना जाता है।

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