आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था (Uttarakhand also had a major contribution in the Azad Hind Fauj)
आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक योगदान
आजाद हिन्द फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) की स्थापना का उद्देश्य भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराना था। इस फौज की बुनियाद रखने और इसे ताकत देने में उत्तराखंड के वीर सपूतों का योगदान अविस्मरणीय है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में गठित इस फौज में उत्तराखंड के सैकड़ों सिपाहियों ने न केवल अपनी बहादुरी का परिचय दिया, बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अमूल्य भूमिका निभाई।
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आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था |
आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड के वीर
उत्तराखंड के कई सपूतों ने आजाद हिंद फौज में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए नेताजी का साथ दिया। इनमें प्रमुख नाम हैं:
लेफ्टिनेंट कर्नल चंद्र सिंह नेगी - आजाद हिंद फौज में सिंगापुर स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के कमांडर के रूप में सेवा दी।
मेजर देब सिंह दानू - नेताजी के पर्सनल एडजुटैन्ट (सुरक्षा अधिकारी) के रूप में कार्यरत थे।
कैप्टन बुद्धि सिंह रावत - नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निजी सहायक के रूप में नियुक्त हुए।
कर्नल पितृशरण रतूड़ी - नेताजी ने इन्हें "सरदार-ए-जंग" की उपाधि से नवाजा था। इन्हें सुभाष रेजीमेंट की प्रथम बटालियन का कमांडर नियुक्त किया गया था।
मेजर पदम सिंह - तीसरी बटालियन के कमांडर के रूप में जिम्मेदारी निभाई।
गढ़वाल राइफल्स का योगदान
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आजाद हिन्द फौज में उत्तराखण्ड का भी बड़ा योगदान था |
21 सितंबर 1942 को गढ़वाल राइफल्स की 2/18 और 5/18 बटालियनें आजाद हिंद फौज में शामिल हुईं, जिनमें करीब ढाई हजार सैनिक थे। इनमें से 800 से अधिक सैनिक देश के लिए शहीद हो गए। आजाद हिंद फौज में कुल 23266 भारतीय सैनिक थे, जिनमें 12 प्रतिशत उत्तराखंड से थे।
आजाद हिंद फौज की स्थापना और नेताजी का आह्वान
1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की आवश्यकता को महसूस करते हुए जापान की सहायता से रासबिहारी बोस ने टोकियो में इस फौज की स्थापना की। नेताजी के आह्वान पर हजारों भारतीय, विशेषकर उत्तराखंड के सपूत, इस संघर्ष में शामिल हुए।
4 जुलाई 1943 को रासबिहारी बोस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज की कमान सौंप दी। नेताजी का मानना था कि अन्य देशों की सशस्त्र सहायता के बिना भारत से अंग्रेजों को हटाना संभव नहीं है।
आज़ाद हिंद फौज के वीरों का बलिदान
उत्तराखंड के वीर सैनिकों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया। वे न केवल नेताजी की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए चुने गए थे, बल्कि विभिन्न बटालियनों में भी महत्वपूर्ण पदों पर तैनात थे। इन वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को सिद्ध किया।
निष्कर्ष
आजाद हिंद फौज में उत्तराखंड के वीरों का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सबसे विश्वासपात्र सिपाही उत्तराखंड से ही थे। उनके इस अमूल्य योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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