दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड (Durga Devi Temple Kotdwar Pauri Garhwal Uttarakhand)

दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड (Durga Devi Temple Kotdwar Pauri Garhwal Uttarakhand)

 दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल 

उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर में स्थित एक प्राचीन पौराणिक एवम् लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है और जो की देवी दुर्गा माता जी को समर्पित है, दुर्गा देवी मंदिर को प्राचीनतम सिद्धपिठों में से एक माना जाता है।

दुर्गा देवी मंदिर, कोटद्वार शहर से लगभग 13 कि.मी. और लैंसडाउन से 28 किमी की दुरी पर समुद्रतल की सतह से लगभग 600 मीटर की ऊँचाई पर कोटद्वार दुग्गड़ा सड़क मार्ग पर स्थित है और यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित कोटद्वार शहर जिसे गढ़वाल का प्रवेश दवार भी कहा जाता है, में पूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर में स्थित एक प्राचीन पौराणिक एवम् लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है और जो की देवी दुर्गा माता जी को समर्पित है, दुर्गा देवी मंदिर को प्राचीनतम सिद्धपिठों में से एक माना जाता है।

दुर्गा देवी मंदिर, कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) शहर से लगभग 13 कि.मी. और लैंसडाउन से 28 किमी की दुरी पर समुद्रतल की सतह से लगभग 600 मीटर की ऊँचाई पर कोटद्वार दुग्गड़ा सड़क मार्ग पर स्थित है और यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित कोटद्वार शहर जिसे गढ़वाल का प्रवेश दवार भी कहा जाता है, में पूजा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

 दुर्गा देवी मंदिर इतिहास ( इतिहास )

 दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल 
 कोटद्वार शहर से 11 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर दुर्गा देवी मंदिर बहुत ही खूबसूरती से बना हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर में  माता दुर्गा  पहाड़ में प्रकट हुई थीं। नीचे जाने पर  12 फीट की एक गुफा  बनी है, जिसमें एक  शिवलिंग  स्थापित है। और मां दुर्गा के दर्शन के लिए आपको गुफा में लेटकर उसे बंद करना होगा। दूर-दूर से सभी भक्त  देवी दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।

कोटद्वार राजवंश से 11 किमी दूर एक पहाड़ी पर दुर्गा देवी मंदिर का निर्माण बहुत ही खूबसूरती से किया गया है। कहा जाता है कि इस मंदिर में माता दुर्गा पर्वत प्रकट हुई थीं। मंदिर के नीचे 12 फीट की एक गुफा बनी हुई है, जिसमें एक मूर्ति स्थापित है। और दुर्गा देवी के दर्शन के लिए आपको गुफा में लेटकर दर्शन करने होंगे। यहां दूर-दूर से भव्य मां दुर्गा का आशीर्वाद लेने आते हैं।

बहुत पहले इस स्थान को  जोगी की कुटिया के नाम से भी जाना जाता था । गुफा के नीचे की ओर जाने वाली गुफा वृत्त के आकार की है, जहां से आस-पास के गांवों के लोग आग लेकर आते थे । जोग्गी बाबा  रास्ते में पत्थर फेंककर आग लगा देते थे।

दुर्गा देवी मंदिर की लोकमान्यताएँ (Popularity of Durga Devi Temple Kotdwar)

यूं तो पूरे भारत देश में ऐसे कई मंदिर हैं। जिनके पीछे कई सालों पुराना रहस्य छुपा है। कुछ रहस्य आज भी बरकरार है तो कई रहस्य ऐसे हैं जिन्हें जानने के बाद वैज्ञानिक भी हैरान रहते है। भारत में ऐसे कई मंदिर है जहां अद्भुत घटनाएं होती हैं। इन घटनाओं पर लोगों की आस्था है। लोगों का मानना है कि, ऐसी जगह पर भगवान विराजमान है।

दुर्गा देवी मंदिर (Durga Devi Temple Kotdwar) का आधुनिक मन्दिर राष्ट्रीय राजमार्ग 534 सड़क किनारे पर पास में स्थित है। देवी दुर्गा माता का प्राचीन मंदिर आधुनिक मंदिर से थोड़ा नीचे एक 12 फीट लम्बी गुफा में स्थित है, जिसमें भगवान शिव जी का एक शिवलिंग भी स्थापित है | मंदिर में देवी माँ के चट्टानों से उभरी एक प्रतिमा है और अन्दर एक ज्योति है, जो कि सदैव जली रहती है |

मां दुर्गा के दर्शन करने आता है शेर

मां दुर्गा देवी का यह मंदिर पहाड़ियों के बीच स्थित है। जो मुख्य सड़क मार्ग पर ही है। चारों तरफ हरे-भरे जंगल और बड़े-बड़े ऊँचे पहाड़ इस मंदिर की सुदंरता बढ़ाते हैं। तो वहीं मंदिर के नीचे बहती खो नदी की आवाज लोगों को काफी आकर्षित करती है।

इस मंदिर में आकर प्रकृति के करीब होने का अहसास होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहाँ नवरात्रों में माँ दुर्गा का वाहन “सिंह या शेर” मंदिर में आकर देवी दुर्गा के दर्शन करके शांत भाव से लौट जाता है।

स्थानिया लोगों के अनुसार दुर्गा देवी मंदिर (Durga Devi Temple Kotdwar) के निर्माण में कहा जाता है, कि मंदिर प्राचीन समय में बहुत छोटे आकर में हुआ करता था किन्तु दुगड्डा-कोटद्वार के बीच सड़क निर्माण कार्य में व्यवधान आने पर ठेकेदार द्वारा भव्य मंदिर की स्थापना की गई तो कार्य तेजी से संपन्न हुआ।

दुर्गा देवी मंदिर के आस-पास कई छोटे-छोटे झरने हैं और पहाड़ियों का जंगल इस जगह को और भी शानदार बनाता है। मां दुर्गा के मंदिर में एक गुफा भी है जिसे लेकर ऐसी मान्यता है कि, ये गुफा जंगल की तरफ जाती है। हालांकि, इस गुफा के अंदर एक ज्योत भी है जो हमेशा जलती रहती है।

चैत्रीय व शारदीय नवरात्र पर मंदिर में भक्तों या श्रद्धालु की भीड़ लगी रहती है श्रावण मास के सोमवार और शिवरात्रि को बड़ी संख्यां में शिवभक्त यहां भगवान शिवजी का जलाभिषेक करने आते हैं ।
 दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल 

कोटद्वार के प्रमुख सिद्धपीठ मंदिर (Major Siddhpeeth Temple of Kotdwar)

सुखरो देवी मंदिर, सिंदूरा देवी मंदिर, नव दुर्गा मंदिर, संतोषी माता मंदिर, श्रीसिद्धबली बाबा मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, गीता भवन मंदिर, बालाजी मंदिर, दुगड्डा स्थित दुर्गा देवी मंदिर आदि कोटद्वार (Durga Devi Temple Kotdwar) शहर के प्रमुख मंदिर है।

कैसे पहुंचें ( कैसे पहुंचाएं )

हवाई जहाज से
 कोटद्वार का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून है , जो कोटद्वार से लगभग 105 किमी दूर है।
ट्रेन से
कोटद्वार का अपना रेलवे स्टेशन कोटद्वार है , जो उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क द्वारा
दुर्गा देवी मंदिर कोटद्वार से लगभग 11 किमी की दूरी पर स्थित है ।

घूमने का सबसे अच्छा समय :-

दुर्गा देवी मंदिर की यात्रा पूरे साल की जा सकती है, लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के महीने के बीच है। इन महीनों में यहां यात्रा करना सबसे अच्छा और आनंददायक होता है। सर्दी के मौसम में यहां का मौसम ठंडा रहता है। सर्दी के मौसम में ठंड के कारण यहां का तापमान बहुत नीचे चला जाता है। बरसात के मौसम में भारी बारिश के कारण बारिश के कारण यहां की यात्रा करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

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FAQs - दुर्गा देवी मंदिर, कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल

1. दुर्गा देवी मंदिर कहां स्थित है?

दुर्गा देवी मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार-दुगड्डा सड़क मार्ग पर स्थित है। यह कोटद्वार से लगभग 11-13 किलोमीटर और लैंसडाउन से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर है।


2. दुर्गा देवी मंदिर की विशेषता क्या है?

  • यह मंदिर एक प्राचीन गुफा के अंदर स्थित है और देवी दुर्गा को समर्पित है।
  • गुफा के भीतर 12 फीट लंबी जगह में शिवलिंग भी स्थापित है।
  • देवी की मूर्ति चट्टान से उभरी हुई है और गुफा में एक ज्योति हमेशा जलती रहती है।
  • नवरात्रों में यहाँ माँ दुर्गा का वाहन "सिंह" (शेर) के दर्शन होने की मान्यता है।

3. दुर्गा देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?

  • प्राचीन समय में यह स्थान "जोगी की कुटिया" के नाम से प्रसिद्ध था।
  • स्थानीय लोगों का मानना है कि माता दुर्गा यहाँ पहाड़ में प्रकट हुई थीं।
  • गुफा के भीतर स्थित शिवलिंग और प्राचीन मूर्ति धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र हैं।

4. मंदिर तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो कोटद्वार से लगभग 105 किलोमीटर दूर है।
  • रेल मार्ग: कोटद्वार रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है, जो उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  • सड़क मार्ग: कोटद्वार-दुगड्डा मार्ग पर दुर्गा देवी मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है।

5. मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

  • अक्टूबर से अप्रैल का समय मंदिर यात्रा के लिए आदर्श है।
  • सर्दियों में यहाँ का मौसम ठंडा और सुखद होता है।
  • मानसून के समय यात्रा में बारिश के कारण कुछ कठिनाई हो सकती है।

6. दुर्गा देवी मंदिर की लोक मान्यताएँ क्या हैं?

  • स्थानीय मान्यता के अनुसार, नवरात्रों में माँ दुर्गा का वाहन "शेर" मंदिर में आकर देवी के दर्शन करता है।
  • इस मंदिर के निर्माण के समय सड़क निर्माण कार्य में तेजी आने की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।

7. कोटद्वार के अन्य प्रमुख मंदिर कौन-कौन से हैं?

  • श्री सिद्धबली बाबा मंदिर
  • सुखरो देवी मंदिर
  • सिंदूरा देवी मंदिर
  • नव दुर्गा मंदिर
  • संतोषी माता मंदिर
  • सत्यनारायण मंदिर

8. दुर्गा देवी मंदिर के आसपास क्या विशेषता है?

  • मंदिर चारों ओर हरे-भरे जंगल और ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है।
  • मंदिर के नीचे बहती "खो नदी" की आवाज और आसपास के झरने यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं।

9. दुर्गा देवी मंदिर में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?

  • चैत्र और शारदीय नवरात्र में यहाँ बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं।
  • श्रावण मास के सोमवार और शिवरात्रि पर शिव भक्त यहाँ जलाभिषेक करने आते हैं।

10. क्या दुर्गा देवी मंदिर में रात्रि ठहरने की व्यवस्था है?

निकटतम ठहरने की व्यवस्था कोटद्वार में उपलब्ध है, जो मंदिर से 11-13 किलोमीटर की दूरी पर है।


11. दुर्गा देवी मंदिर का आधुनिक महत्व क्या है?

राष्ट्रीय राजमार्ग-534 के किनारे स्थित इस मंदिर का धार्मिक और पर्यटन दोनों दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है। यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।

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