जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa)
उत्तराखण्ड में स्थित विश्व का इकलौता मन्दिर जहां रात भर नंगे पांव कठिन चढ़ाई चढ़कर प्रात:काल दर्शन किये जाते हैं !
जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa) |
सुबह के 4 बजे सूर्योदय के दर्शन
जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa) |
जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa) |
जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa) |
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Frequently Asked Questions (FQCs) - जय रशुलांण दीबा माँ (Jai Rashulan Diba Maa)
1. जय रशुलांण दीबा माँ कहां स्थित है?
जय रशुलांण दीबा माँ उत्तराखंड में स्थित एक अद्भुत मंदिर है, जो हिमालय और कैलाश पर्वत के बीच स्थित है। यह मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है जहां रातभर कठिन चढ़ाई चढ़कर सुबह के समय सूर्योदय के दर्शन किए जाते हैं।
2. क्या यहां सूर्योदय का दृश्य अनोखा है?
हां, इस मंदिर में सूर्योदय का दृश्य बेहद अनोखा होता है। हर सुबह, सूर्योदय के समय भगवान सूर्य के रूप में तीन रंगों में परिवर्तन होता है – लाल, केसरिया और फिर चमकीला सुनहरा रंग। इस दृश्य को देखने के लिए लोग रात को यहां ठहरते हैं।
3. इस मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
यह मंदिर गांव से काफी दूर स्थित है, जहां से सुविधाओं का अभाव होता है। गांव खत्म होने के बाद, आपको अपनी सुविधा के अनुसार चलकर इस स्थान तक पहुंचना होता है। यहाँ जाने के लिए उपरी स्थान पर खाने और रहने की व्यवस्था करनी पड़ती है।
4. यहां कब जाना उचित है?
जय रशुलांण दीबा माँ मंदिर जाने के लिए मई और जून के महीने सबसे उचित माने जाते हैं। इन महीनों में यहां का मौसम ठंडा रहता है, इसलिए आपको गर्म कपड़े और कम्बल साथ लेकर जाना चाहिए।
5. क्या यहां रात के समय जाना सुरक्षित है?
हां, माता रानी के आशीर्वाद से यहां रात के समय यात्रा करना सुरक्षित माना जाता है। इस मंदिर के जंगलों में, लोग अकेले भी रात में गुजर सकते हैं और यह यात्रा पूरी तरह सुरक्षित रहती है।
6. क्या यहां किसी प्रकार के विशेष मंत्र या पूजा की प्रक्रिया होती है?
हां, यहां के स्थानीय लोग और श्रद्धालु विशेष रूप से रात के समय मंदिर में पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं। "रात घनघोर मांजी" जैसे भजन और काव्यात्मक शेर इस मंदिर की पूजा का हिस्सा हैं।
7. मंदिर की यात्रा के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
इस यात्रा के दौरान विशेष ध्यान रखें:
- गर्म कपड़े और कम्बल जरूर ले जाएं।
- यात्रा के दौरान ध्यान रखें कि मार्ग में कठिनाई हो सकती है, इसलिए मजबूत और आरामदायक जूते पहनें।
- रात के समय यात्रा करते समय सतर्क रहें और अगर संभव हो तो समूह में यात्रा करें।
8. किस समय यहां सूर्योदय होता है?
उत्तराखंड में इस मंदिर के स्थान पर सूर्योदय का समय आम तौर पर सुबह के 4 बजे होता है। यहां सूर्योदय के दृश्य का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु रात में ही ठहरने की व्यवस्था करते हैं।
9. क्या यहां कोई विशेष स्थानीय नृत्य या संगीत होता है?
हां, यहां का पारंपरिक गीत और नृत्य, जैसे "रात घनघोर मांजी" बहुत प्रसिद्ध है। यह गीत श्रद्धालुओं द्वारा प्रार्थना और आशीर्वाद के रूप में गाया जाता है।
10. क्या यह मंदिर हर किसी के लिए खोलता है?
हां, यह मंदिर सभी श्रद्धालुओं के लिए खुला है, लेकिन इसे पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, जो केवल साहसी और समर्पित श्रद्धालुओं के लिए है।
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