श्री शिवशंकरजी की आरती "हर हर हर महादेव! " (Lord Shiva / Mahadev - Aarti of Shri Shiva (Aarti of Shiva))
श्री शिवशंकरजी की आरती "हर हर हर महादेव! "
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान / देवी गणेश की पूजा के बाद नियमित रूप से शिव आरती गाना भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे अच्छा तरीका है।
श्री शिवशंकरजी की आरती "हर हर हर महादेव! " |
हर हर हर महादेव! आरती कैसे करें
सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने शिव आरती गानी चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको सबसे पहले शिव आरती का अर्थ हिंदी में समझना चाहिए।
हर हर हर महादेव! आरती के लाभ
हर हर हर महादेव! आरती का नियमित पाठ मन की शांति देता है और आपके जीवन से सभी बुराईयों को दूर करता है और आपको स्वस्थ, समृद्ध और समृद्ध बनाता है।
॥ श्री शिवशंकरजी की आरती ॥
हर हर हर महादेव!
सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।
अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥
अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥
हर हर हर महादेव!
आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥
हर हर हर महादेव!
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥
हर हर हर महादेव!
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥
हर हर हर महादेव!
मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी।
सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥
सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥
हर हर हर महादेव!
छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली।
चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥
चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥
हर हर हर महादेव!
प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी।
विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥
विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥
हर हर हर महादेव!
शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥
हर हर हर महादेव!
निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥
हर हर हर महादेव!
सत्, चित्, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।
प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥
प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥
हर हर हर महादेव!
हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।
सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥
सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥
हर हर हर महादेव!
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