मां चिन्तपूर्णी (छिन्नमस्तिका) चालीसा (Maa Chintpurni (Chinnamastika) Chalisa)

मां चिन्तपूर्णी (छिन्नमस्तिका) चालीसा (Maa Chintpurni (Chinnamastika) Chalisa)

मां चिन्तपूर्णी (छिन्नमस्तिका) चालीसा (Maa Chintpurni (Chinnamastika) Chalisa)

 दोहा 

छिन्नमस्तिका मां मेरी वंदन करो स्वीकार, 
चिन्ता हर लो दास की दे संतोष धन अपार ||
मंगल करो सर्वमंगला हे मां कृपा-निधान, 
दीन-हीन हूं शरण में करो सर्व विधि कल्याण ||

 चौपाई 

नमो नमो सुखकरनी माता
भाग्य संवारो भाग्यविधाता 

जय जय जय मां चिन्तापुरनी
विघ्न विनाशक मां सुखकरनी 

पूजन आपका परम फलदायक
ऋधी सिद्धी व सुखदायक 

मन मन्दिर में करो बसेरा
हर पल पाऊं मां दर्शन तेरा 

ममतामयी आंचल ओढ़ाना
रोग संताप मां दूर भगाना

चौसठ योगिनी मंगल गावे
स्तुतिगान कर शीश निवावे

तुम्हरी महिमा अगम अपारा
शीश निवाये जगत है सारा

एकाग्रचित्त जो होय समर्पित
सब सुख करती मां हो अर्पित

कर में खप्पर, खण्डे वाली
आप सा न कोई मां बलशाली

अपनी दया बनाये रखना
सेवाभाव जगाये रखना

भक्ति में मन-चित्त लगाऊं
मुक्ति की युक्ति यूं पाऊं

भगतन पे हो दया की सागर
भर देना मां ज्ञान की गागर

अवगुण पे मां ध्यान न धरना
असंभव को भी संभव करना

मैं याचक तू सुख प्रदायिनी
कल्याण करो मां हे कल्याणी

जगजननी मां पालन करनी
दया द्रिष्टी सदा ही करनी

हरो अमंगल मंगल कर दो
वर्दानों की मां वर्षा कर दो

संतोष का दीजो मोहे दान मां
बल-बुद्धी मैं पाऊं ज्ञान मां

दिव्य आलौकिक रूप तिहारा
भव सागर से तारनहारा

सौभग्या, आरोग्या दान में देना
सुख-सुविधा वरदान में देना

दानव दलिनी, भयमोचिनी
हे दुखभंजन, पिण्डी रूपिणी

आपके हाथ मेरे लाभ व हानी
कल्याण करो मां हे कल्याणी

हाथ जोड़ कर करूं मैं वंदन
जीवन में हो मां कभी न क्रंदन

विनती पे सदा ध्यान मां धरणा
कारज सकल संपूर्ण करना

आप की कृपा जो है पाता
निर्बल से वह सबल हो जाता

पिण्डी रूपिणी, भय नाशिनी
हरो मां चिन्तापर्वत वासिनी

सुमिरिन करे भाव से जोई
जन्म-मरण से छूटे सोई

आप तो नाना रूप धारिणी
दैत्या दलिनी मां भय संहारिणी

भगतन पे मां जब हर्षाती
यश, कीर्ति मां फैलाती

जब हो विपद ने मुझको घेरा
चिंतामुक्त करो मन मेरा

निर्मल मन जो करे प्रणाम
सुख-सुविधा का देती हो दान

तेरो दास मां शरण में आया
मान-सम्मान व वैभव पाया
 
श्रद्धा सहित जो नाम ध्यावै
पाप संताप निकट नहीं आवै 

याद करूं, तब ही मां आना
संकट मोचन, मां बन जाना

विनती पे मेरी ध्यान मां धरणा
हर विधि काज संपूर्ण करना

सर्व सुखों की आप हो दाता
दुष्ट आप से भय को पाता

दुविधा में सुविधा बन जाती
आपकी दया है सुख प्रदाती
 
श्रद्धा सहित जो पूजन करते
दुःख दरिद्र तन से झरते

असंभव को मां संभव करती
वरदानों से मां झोली भरती

पढ़ै चालीसा जो चित्त लाय
परम सौभग्या, नवनिधि पाय 

बुरी आत्मा नहीं है सताती
“दास” कवच है मां बन जाती

 दोहा 
|| पिण्डी रूपिणी मां मेरी, सर्वकला संपन्न ||
|| शरणागत हूं द्वार पे, होना मां प्रसन्न ||

🙏जय मां छिन्नमस्तिका जी🙏

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