मगरू महादेव मंदिर मण्डी Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh

 मगरू महादेव मंदिर मण्डी Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh

प्राचीन काष्ट कला का अद्धभुत नमूना 

Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh

 मगरू महादेव मंदिर

हिमाचल को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है तथा यहाँ के सभी मंदिर अपनी-अपनी विशेषता लिए हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर है मगरू महादेव जो एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है मगरू महादेव का मंदिर प्राचीन काष्ट कला का एक अद्धभुत नमूना है. मन्दिर में दीवारों पर लकड़ी की नक्काशी , इसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती है. मगरू महादेव मंदिर सतलुज वर्गीय शैली में तीन मंजिलों में है, जो उत्तरी भारत के उत्कृष्ट मंदिरों में स्थान रखता है. बाहर से साधारण लगने वाला यह मंदिर अंदर से पूर्णतया नक्काशी से सजा पड़ा है, जिसमें चित्रकारी के माध्यम से कई युगों का जिक्र किया गया है. 13वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के भीतर शिव और पार्वती की पाषाण प्रतिमाएं दर्शनीय हैं. वर्ष भर यहां मेलों का आयोजन होता रहता है तथा दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं. 

यह मंदिर दो छोटी- छोटी नदियों के बीच छतरी नाम के स्थान पर स्थित है. यह एक खूबसूरत जगह पर, पहाड़ों से घिरा हुआ है. श्रद्धालु दूर-दूर से यहाँ मन्नत मांगने और पूजा करने आते है. मगरू महादेव किसी को भी निराश नहीं करते और सबकी झोली भर देतें है.
Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh
मंदिर में मेले लगते रहते है, छतरी मेला उन में से सबसे प्रसिद्ध है. यह मेला अगस्त महीने में दिनांक 15 से शुरू हो के 20 अगस्त तक चलता है. यह मेला देखने लोग दूर -दूर से आते है, और मेले का मुख्य आकर्षण लोक गायक होते हैं जो मेले की शोभा को और बढ़ाते हैं. इस मेले के अलावा इस मंदिर में और भी मेले होते है.जैसे छतरी लबी, छतरी ठहिरषु आदि.

मंदिर में हर महीने (साजा) में लोग आते है और अपने दुःख दर्द बताते है.हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गांवों की यात्रा करते हैं.

मगरू महादेव छतरी मंडी

Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh
छतरी गाँव मंडी जिले की आखिरी सीमा निर्धारित करता है । इस गाँव से आनी 30 किलोमीटर दूर है । मंडी शहर से बाया पंडोह – सरोआ – कांडा इस मंदिर की दुरी 100 किलोमीटर है और समुद्रतल से 1750 मीटर की ऊँचाई पर बसा है । वहीँ करसोग से केवल 50 किलोमीटर की दुरी पर है । इस मंदिर में जंजहैली के रास्ते से भी लोग आते जाते रहते है । यह रास्ता बहुत ही आकर्षक है ।जंजहैली क्षेत्र प्राकृतिक संपदा से भरपूर है । यहाँ का परिदृश्य देखते ही बनता है ।

मगरू महादेव का यह प्राचीन मंदिर सतलुज वर्गीय पहाड़ी शैली का उत्कृष्ट नमूना उतरी भारत के मंदिरों में माना जाता है । मंदिर तीन मंजिलों वाला है । बाहर से अवलोकन करने पर मंदिर साधारण लगता है । मंदिर के भीतर गर्भगृह की छत पूर्णतय नक्काशी से सजी है । इसकी छत पर अत्यंत सूक्ष्मता से जो चित्रकारी की गई है वह अद्भूत और अद्वितीय है । इनमें कई युगों का जिक्र किया गया है । महाभारत के वीरों को दर्शाया गया है । एक स्थान पर राजा जनक हल चलाते हुए दिखाये गये है । एक जगह भीम को युद्ध करते हुए अवलोकित किया गया है । ब्रह्मा जी एक स्थान में सृष्टी को रच रहे है । श्रीकृष्ण लीला के चित्र भी मन को लुभा लेते है ।
Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh
यह उत्कृष्ट चित्रकारी आश्चर्यपूर्ण है । इसी कारण आअज इस मंदिर को पूरा तात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है । कुछ लोगों का मत है कि यह मंदिर 13 वीं सदी के मध्य का है । मंदिर के भीतर शिव और पार्वती की पाषाण प्रतिमा उलेखनीय है । गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है । इस पथ पर भगवान् के प्रहरी की मूर्ति भी दर्शनीय है । इसे मशाणु के नाम से भी पुकारते है । यह लकड़ी की प्रतिमा है ।

मंदिर निर्माण और लोक कथाओं को लेकर काफी भिन्नता है । कुछ लोग मानते है कि यह मंदिर एक ही पेड से निर्मित किया गया है । प्राचीनकाल में गाँव के एक व्यक्ति ने देवदार का एक पेड काट दिया था । वास्तव में उसने वह पेड घर की लकड़ी के लिए काट गिराया था लेकिन बहुत यत्न करने पर भी यह कटा हुआ वृक्ष अपनी जगह से नहीं हिला । इस पर उस व्यक्ति ने इश्वर को स्मरण किया तो उसे भविष्यवाणी हुई कि इसकी लकड़ी मंदिर निर्माण में लगाई जाए । गाँव के लोगों ने जब ऐसा सुना तो उसी निर्देश के अनुसार उस पेड से यह मंदिर बनाया गया । 
जय मगरू महादेव की
Magroo Maha Dev Temple Himachal Pradesh
  • मगरू महादेव का मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर हैl मगरू महादेव दीन  दुखियों के पालन हार,मगरू  महादेव का मंदिर करसोग से ५०,जंजैहली से ३०,आनी से ३०,तथा जिला मंडी से १००,शिमला से १३० किलोमीटर की दूरी पर  स्थित है.
  • यह दो छोटी छोटी नदियों के बीच छतरी नाम के  स्थान पर स्थित है. यह एक खूबसूरत जगह पर,पहाड़ों  से घिरा हुआ है.
  • श्रद्धालु दूर-दूर से यहाँ मन्नत  मांगने और पूजा करने आते है. मगरू महादेव किसी को भी निराश नहीं करते और सबकी झोली भर देतें है
  • मगरू महादेव का मंदिर प्राचीन काष्ट कला का एक अद्धभुत  नमूना हैl मन्दिर में दीवारों पर लकड़ी की नकाशी ,इसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती है
  • मंदिर में मेले लगते रहते है,छतरी मेला उन में से सबसे प्रसिद्ध है जो अगस्त महीने में दिनांक १५ से शुरू हो के २० तक चलता हैl यह मेला देखने लोग दूर -दूर से आते है,और मेले का मुख्य आकर्षण लोक गायक होते हैl जो मेले की शोभा को और बढ़ाते हैl इस मेले के अलावा इस मंदिर में और भी मेले होते हैl  जैसे छतरी लबी,छतरी ठहिरषु
  • मंदिर में हर महीने (साजा) में लोग आते है और अपने दुःख दर्द बताते है
  • हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गावों की यात्रा करते है
  • ये गावों मुख्यतः-लस्सी,रुछाड़,रुमनी,लहरी,टिप्रा,मेहरी ,सेरी,चपलांदी,बैठवा,शिंगल,चौंरा और काकड़ा इसके अलावा भी और बहुत से और गांव है
  • हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गावों की यात्रा करते है
  • ये गावों मुख्यतः-लस्सी,रुछाड़,रुमनी,लहरी,टिप्रा,मेहरी ,सेरी,चपलांदी,बैठवा,शिंगल,चौंरा और काकड़ा इसके अलावा भी और बहुत से और गांव है
  • हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गावों की यात्रा करते है
  • ये गावों मुख्यतः-लस्सी,रुछाड़,रुमनी,लहरी,टिप्रा,मेहरी ,सेरी,चपलांदी,बैठवा,शिंगल,चौंरा और काकड़ा हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गावों की यात्रा करते है

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