कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर का रहस्य (Mystery of Bijli Mahadev Temple in Kullu)

कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर का रहस्य (Mystery of Bijli Mahadev Temple in Kullu)

कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर का क्या रहस्य है ?
बिजली (वज्र महादेव मंदिर) महादेव मंदिर भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू घाटी के कशावरी गांव में स्थित है । यह कुल्लू घाटी में लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । बिजली महादेव भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है और भगवान शिव (महादेव) को समर्पित है। ब्यास नदी के पार कुल्लू से 14 किमी दूर स्थित, यहां 3 किमी की पैदल यात्रा करके पहुंचा जा सकता है।
बिजली महादेव मंदिर - Kullu || Bijli Mahadev ||

मंदिर से कुल्लू और पार्वती घाटियों का मनोरम दृश्य देखा जा सकता है। बिजली महादेव मंदिर का 60 फीट ऊंचा स्टाफ धूप में चांदी की सुई की तरह चमकता है।

बिजली महादेव में लकड़ी का अमला

बिजली के इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी ऊंची छड़ें बिजली के रूप में दैवीय आशीर्वाद को आकर्षित करती हैं।

हर 12 साल में, शिवलिंग पर बिजली गिरती है, जिससे लिंग टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। फिर पुजारी टूटे हुए लिंग को मक्खन से लपेट देता है और कुछ दिनों के बाद लिंग वैसा ही हो जाता है।

भारत में भगवन शिव के अनेक अद्भुत मंदिर है उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्तिथ बिजली महादेव। कुल्लू का पूरा इतिहास बिजली महादेव से जुड़ा हुआ है। कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बिजली महादेव का प्राचीन मंदिर है।

पूरी कुल्लू घाटी में ऐसी मान्यता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का रूप है। इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। जिस स्थान पर मंदिर है वहां शिवलिंग पर हर बारह साल में भयंकर आकाशीय बिजली गिरती है। बिजली गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। यहां के पुजारी खंडित शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित कर मक्खन के साथ इसे जोड़ देते हैं। कुछ ही माह बाद शिवलिंग एक ठोस रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इस शिवलिंग पर हर बारह साल में बिजली क्यों गिरती है और इस जगह का नाम कुल्लू कैसे पड़ा इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है।
बिजली महादेव मंदिर - Kullu || Bijli Mahadev ||

रहता था कुलान्त राक्षस

कुल्लू घाटी के लोग बताते हैं कि बहुत पहले यहां कुलान्त नामक दैत्य रहता था। दैत्य कुल्लू के पास की नागणधार से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया। दैत्य रूपी अजगर कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था। इसके पीछे उसका उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीवजंतु पानी में डूब कर मर जाएंगे। भगवान शिव कुलान्त के इस विचार से से चिंतित हो गए।
बिजली महादेव मंदिर

बिजली महादेव मंदिर का इतिहास (Bijli Mahadev Temple History)

बिजली महादेव मंदिर का इतिहास पुराणों से मिलता है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। हालाँकि, वर्तमान मंदिर का निर्माण 20वीं शताब्दी में किया गया था।

बिजली महादेव मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Bijli Mahadev Temple)

बिजली महादेव मंदिर - Kullu || Bijli Mahadev ||
बिजली महादेव मंदिर एक सुरम्य स्थान पर स्थित है, जो देवदार के घने जंगलों से घिरा हुआ है। मंदिर कुल्लू घाटी के आश्चर्यजनक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, और एक स्पष्ट दिन पर, हिमालय श्रृंखला की बर्फ से ढकी चोटियों को भी देखा जा सकता है। मंदिर की वास्तुकला सरल लेकिन अद्वितीय है, एक प्रभावशाली लकड़ी और पत्थर की संरचना के साथ जो पारंपरिक पहाड़ी वास्तुकला का संकेत है। मंदिर में एक गर्भगृह, एक मंडप और एक गुंबद के आकार की छत है जो सोने के रंग के शिखर के साथ सबसे ऊपर है।

बिजली महादेव मंदिर में मनाए जाने वाले त्यौहार (Festivals celebrated at Bijli Mahadev Mandir)

बिजली महादेव मंदिर में साल भर विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। मंदिर में मनाया जाने वाला मुख्य त्योहार महाशिवरात्रि है। त्योहार के दौरान, देश भर से भक्त अपनी प्रार्थना करने के लिए मंदिर में आते हैं। मंदिर में मनाए जाने वाले अन्य त्योहारों में नवरात्रि, रक्षा बंधन और जन्माष्टमी शामिल हैं।

बिजली महादेव मंदिर का समय (Bijli Mahadev Temple Timings)
मंदिर सुबह 4:00 बजे से शाम को 08:00 बजे तक खुला रहता है।

कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर के पास पर्यटन स्थल (Tourist places near Bijli Mahadev Temple In Kullu)
बिजली महादेव मंदिर के आसपास कई अन्य छोटे मंदिर और पर्यटन स्थल भी हैं, जैसे रघुनाथ मंदिर, जो अपनी सुंदर वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है।

मणिकरण गुरुद्वारा (Manikaran Gurudwara)

बिजली महादेव मंदिर से लगभग 22 किमी दूर स्थित, मणिकरण गुरुद्वारा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अपने गर्म झरनों और सुंदर परिवेश के लिए जाना जाता है। गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए एक विशेष महत्व रखता है और हर साल बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है।

कसोल (Kasol)

बिजली महादेव मंदिर से लगभग 30 किमी की दूरी पर स्थित, कसोल पार्वती घाटी में बसा एक सुरम्य गांव है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आरामदेह माहौल के लिए जाना जाने वाला, कसोल बैकपैकर्स और प्रकृति प्रेमियों के बीच एक लोकप्रिय गंतव्य है।

तीर्थन घाटी  (Tirthan Valley)

हिमालय की तलहटी में बसी तीर्थन घाटी प्रकृति के सान्निध्य में रहने वालों के लिए एक रमणीय स्थल है। बिजली महादेव मंदिर से लगभग 60 किमी दूर स्थित, घाटी घने जंगलों, शानदार झरनों और साल भर सुखद मौसम का घर है।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (Great Himalayan National Park)

बिजली महादेव मंदिर से लगभग 75 किमी दूर स्थित, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है जो अपने विविध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाना जाता है। पार्क हिमालय तहर और हिम तेंदुए जैसी कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, और हिमालय पर्वत श्रृंखला के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है।

बिजली महादेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Bijli Mahadev Temple)
इस जगह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय वह है जब आप बिजली महादेव मंदिर के उत्सव में भी भाग ले सकते हैं, जिसका स्थानीय लोग बहुत आनंद लेते हैं - जहां दुनिया भर से यात्री और भक्त आध्यात्मिक सद्भाव को देखने और अनुभव करने आते हैं।

यहां मानसून जुलाई में शुरू होता है और अगस्त तक रहता है। मानसून के मौसम में कुल्लू की यात्रा करना आदर्श नहीं है क्योंकि इस अवधि के दौरान भूस्खलन एक आम बात बन जाता है।

बिजली महादेव मंदिर ट्रेक (Bijli Mahadev Trek)

चांसारी गांव से शुरू होने वाली एक खड़ी और घुमावदार पहाड़ी सड़क पर ट्रेकिंग करके बिजली महादेव मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। ट्रेक चुनौतीपूर्ण है, खासकर अनुभवहीन लोगों के लिए, लेकिन ऊपर से देखने पर यह सब सार्थक हो जाता है। ट्रेक लगभग 3 किमी लंबा है, और शीर्ष तक पहुँचने में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। पथ ज्यादातर चढ़ाई वाला है और इसके लिए अच्छी शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है, इसलिए हाइकर्स को सलाह दी जाती है कि वे भरपूर मात्रा में पानी, एनर्जी बार और लंबी पैदल यात्रा के लिए उपयुक्त आरामदायक कपड़े और जूते पहनें।

रास्ते में, आश्चर्यजनक परिदृश्य, झरने और मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे जो इसे एक सार्थक और करामाती अनुभव बनाते हैं। मंदिर का ट्रेक कुल्लू घाटी में सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है और पर्यटकों और स्थानीय लोगों द्वारा समान रूप से किया जाता है।

कुल मिलाकर, कुल्लू घाटी में एक प्रामाणिक आध्यात्मिक अनुभव की तलाश करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बिजली महादेव मंदिर अवश्य जाना चाहिए। इसका आश्चर्यजनक स्थान, अद्वितीय वास्तुकला और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत इसे एक आकर्षक और मनोरम गंतव्य बनाती है जो हर यात्री की बकेट लिस्ट में होनी चाहिए। मंदिर का समृद्ध इतिहास और परंपरा, इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली घाटी के लुभावने दृश्यों के साथ मिलकर, इसे हिमालय श्रृंखला की सुंदरता और भारत की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं में डूबने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।

अजगर के कान में धीरे से बोले भगवान शिव

बड़े जतन के बाद भगवान शिव ने उस राक्षस रूपी अजगर को अपने विश्वास में लिया। शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है। इतना सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल वार कर दिया। त्रिशूल के प्रहार से कुलान्त मारा गया। कुलान्त के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया। उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था वह पूरा की पूरा क्षेत्र पर्वत में बदल गया। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलान्त से ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम के पीछे यही किवदंती कही जाती है।

भगवान शिव ने इंद्र से कहा था इस स्थान पर गिराएं बिजली

कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिरती है। इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा करके शिवजी का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है। कुछ समय बाद पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है।

बिजली शिवलिंग पर ही क्यों गिरती है

आकाशीय बिजली बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। भादों के महीने में यहां मेला-सा लगा रहता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है। शिवरात्रि पर भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

सर्दियों में भारी बर्फबारी

यह जगह समुद्र स्तर 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शीत काल में यहां भारी बर्फबारी होती है। कुल्लू में भी महादेव प्रिय देवता हैं। कहीं वे सयाली महादेव हैं तो कहीं ब्राणी महादेव। कहीं वे जुवाणी महादेव हैं तो कहीं बिजली महादेव। बिजली महादेव का अपना ही महात्म्य व इतिहास है। ऐसा लगता है कि बिजली महादेव के इर्द-गिर्द समूचा कुल्लू का इतिहास घूमता है। हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं।

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