नागदेव मन्दिर पौड़ी गढ़वाल (Nagdev Temple Pauri Garhwal)
यह मंदिर पौड़ी-बुबाखाल रोड पाइन और रोडोडेंड्रन के घने जंगल के बीच में स्थित है। मंदिर के रास्ते में एक वेधशाला स्थापित की गयी है जहां से चौखंबा, गंगोत्री समूह, बन्दर पूँछ , केदरडोम, केदारनाथ आदि जैसे शानदार हिमालय पर्वतमाला के विशाल और रोमांचकारी दृश्य देखे जा सकते हैं। मंदिर बस स्टेशन से 5 किमी दूर स्थित है तथा यहाँ पर 1 और 1/2 किलोमीटर ट्रेक द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
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नागदेव मन्दिर पौड़ी गढ़वाल (Nagdev Temple Pauri Garhwal) |
नागदेव मन्दिर पौड़ी गढ़वाल
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नागदेव मन्दिर पौड़ी गढ़वाल (Nagdev Temple Pauri Garhwal) |
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FAQ (Frequently Asked Questions)
1. नागदेव मंदिर कहाँ स्थित है?
नागदेव मंदिर पौड़ी शहर से लगभग 3 किलोमीटर दूर कंडोलिया-बुबाखाल मार्ग पर स्थित है, जो घने देवदार, बांज और बुरांश के जंगलों के बीच स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए आप 1.5 किलोमीटर का ट्रेक भी कर सकते हैं।
2. नागदेव मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी क्या है?
नागदेव मंदिर की स्थापना डोभाल वंश के एक बालक द्वारा की गई थी, जो नाग रूप में उत्पन्न हुआ था। बालक ने अपनी स्थापना के लिए एक खास स्थान का चयन किया और वहां खुदाई करने पर एक शीतल जलधारा निकली, जिसे भक्तों ने पूजा अर्चना करके उस स्थान को नागदेव का मंदिर बना दिया।
3. क्या नागदेव मंदिर के बारे में कोई खास मान्यता है?
जी हां, नागदेव मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां नाग देवता की उपस्थिति महसूस होती है। यहां एक प्रस्तर शिला के पास एक छिद्र है, जिसमें एक कटोरी में दूध रखा जाता है, जो बाद में खाली मिलती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि नाग देवता की उपस्थिति होती है।
4. क्या मंदिर में कोई विशेष उत्सव मनाए जाते हैं?
हां, जून माह में यहां दो दिवसीय भजन-कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह एक प्रमुख उत्सव है, जिसमें भक्तगण बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं। इसके अलावा, नवविवाहित जोड़े और अन्य श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर इस मंदिर में आते हैं।
5. नागदेव मंदिर का इतिहास क्या है?
नागदेव मंदिर का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है। यह मंदिर नागवंशियों के प्रवास को सिद्ध करता है और डोभाल वंश के लोगों से जुड़ा हुआ है। मंदिर की स्थापना के समय के बाद से ही यह स्थान नागदेव का पवित्र स्थल बन गया।
6. नागदेव मंदिर का वातावरण कैसा है?
नागदेव मंदिर के पास का वातावरण बहुत शांति और ठंडा होता है, क्योंकि यह देवदार, बांज, और बुरांश के जंगलों से घिरा हुआ है। यहां की ठंडी हवा और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को शांति का अहसास कराता है।
7. मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
नागदेव मंदिर तक पौड़ी बस स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता तय करके पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा, यहां तक पहुँचने के लिए एक 1.5 किलोमीटर का ट्रेक भी किया जा सकता है, जो जंगलों के बीच से गुजरता है।
8. क्या इस मंदिर में कोई विशेष प्राकृतिक स्रोत है?
हां, मंदिर के पास एक प्राकृतिक जल स्रोत है, जो बालक के आदेश पर खुदाई करने से निकला था। यह शीतल जलधारा भक्तों के लिए संजीवनी के समान है।
9. नागदेव मंदिर के पास कौन-कौन सी आकर्षक जगहें हैं?
मंदिर के रास्ते में एक वेधशाला स्थित है, जहां से आप चौखंबा, गंगोत्री समूह, बंदर पूंछ, केदारनाथ आदि हिमालय पर्वतों का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं।
10. क्या मंदिर में नाग देवता की मूर्ति है?
नागदेव मंदिर में एक प्रस्तर शिला स्थापित की गई है, जिसे नाग देवता का रूप माना जाता है। यह शिला मंदिर के मुख्य स्थल पर स्थित है और यहां पर भक्तगण पूजा अर्चना करते हैं।
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