नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev, Rishikesh)

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev, Rishikesh)

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev, Rishikesh)

समर्पित : भगवान शिव (भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक)
समय : प्रातः 05.00 बजे से सायं 06.00 बजे तक (सभी दिन खुला)।
स्थान : ऋषिकेश (हरिद्वार में स्वर्ग आश्रम से 22 किमी)
प्रवेश शुल्क : निःशुल्क

गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से 
पहले स्नान करते हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev, Rishikesh)

नीलकंठ महादेव मंदिर पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि नीलकंठ महादेव मंदिर उस पवित्र स्थान पर बनाया गया है जहां भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय जहर पी लिया था, जो देवताओं (देवताओं) और असुरों (राक्षसों) द्वारा समुद्र मंथन किया जा रहा था। विष उनके कंठ में रखा गया जिसके प्रभाव से उनका रंग नीला हो गया, इसलिए भगवान को नीलकंठ भी कहा जाता है। नील शब्द का अर्थ है नीला और कंठ शब्द का अर्थ है गला। भगवान शिव के भक्त हर साल भारी संख्या में मंदिर में आते हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर वास्तुकला

नीलकंठ महादेव मंदिर की वास्तुकला आकर्षक है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन की घटना अंकित है। मंदिर की दीवारों पर पूरी कहानी का चित्रण किया गया है। आंतरिक परिसर में शिव लिंग (भगवान का लिंग रूप) के रूप में दिव्य भगवान शिव हैं। मंदिर परिसर में एक प्राकृतिक झरना भी है जहाँ भक्त मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले स्नान करते हैं।

नीलकंठ महादेव मंदिर समारोह

नीलकंठ महादेव मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरात्रि है। त्योहार के दौरान, बड़ी संख्या में भक्त भगवान को श्रद्धांजलि देने के लिए मंदिर में आते हैं। भगवान को फूल, शहद, दूध, जल, नारियल और बेल के पत्तों का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह त्योहार साल में दो बार आता है, एक बार फरवरी-मार्च (महा शिवरात्रि) के महीने में और जुलाई-अगस्त (हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास) में। दोनों अवसरों पर मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है।
नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश (Neelkanth Mahadev, Rishikesh)
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नीलकंठ महादेव मंदिर स्थिति

नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 50 किलोमिटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर 25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है।

नीलकंठ महादेव मंदिर विशेषता

नीलकंठ महादेव मंदिर की नक़्क़ाशी देखते ही बनती है। अत्यन्त मनोहारी मंदिर शिखर के तल पर समुद्र मंथन के दृश्य को चित्रित किया गया है और गर्भ गृह के प्रवेश-द्वार पर एक विशाल पेंटिंग में भगवान शिव को विष पीते हुए भी दिखलाया गया है। सामने की पहाड़ी पर शिव की पत्नी, पार्वती जी का मंदिर है।
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नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश - सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. नीलकंठ महादेव मंदिर कहाँ स्थित है?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 22 किमी दूर, स्वर्ग आश्रम क्षेत्र में स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 5500 फीट की ऊँचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर है।
  2. नीलकंठ महादेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कब है?

    • मंदिर प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है। दर्शन करने के लिए सुबह या शाम के समय जाना अच्छा रहता है, ताकि भीड़ से बचा जा सके।
  3. नीलकंठ महादेव मंदिर का महत्व क्या है?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने विष ग्रहण किया था, जिससे उनका गला नीला पड़ गया, और उन्हें 'नीलकंठ' कहा गया। यह मंदिर भगवान शिव को उनकी नीली गला वाली रूप में समर्पित है।
  4. नीलकंठ महादेव मंदिर का प्रवेश शुल्क कितना है?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। यह सभी भक्तों और पर्यटकों के लिए मुफ्त है।
  5. नीलकंठ महादेव मंदिर में क्या किया जा सकता है?

    • भक्तगण भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकते हैं, मंदिर की आकर्षक वास्तुकला का आनंद ले सकते हैं, मंदिर के पास प्राकृतिक झरने में स्नान कर सकते हैं, और परिसर में घूम सकते हैं। यहाँ से कुछ स्मृतिचिन्ह भी खरीदी जा सकती हैं।
  6. नीलकंठ महादेव मंदिर में कौन से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार महा शिवरात्रि है, जो फरवरी या मार्च में मनाया जाता है। इसके अलावा श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में भी भक्तों की भारी भीड़ होती है। इन अवसरों पर मंदिर को सजाया जाता है और भक्त भगवान को विभिन्न वस्त्रों और प्रसाद अर्पित करते हैं।
  7. नीलकंठ महादेव मंदिर तक कैसे पहुँच सकते हैं?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर तक ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। आप टैक्सी या निजी वाहन द्वारा सीधे मंदिर तक पहुँच सकते हैं। इसके अलावा, आप 12 किमी की लंबी ट्रेकिंग भी कर सकते हैं, जो एक रोमांचक अनुभव है।
  8. क्या नीलकंठ महादेव मंदिर के पास अन्य दर्शनीय स्थल हैं?

    • हाँ, ऋषिकेश में कई अन्य प्रमुख आकर्षण हैं, जैसे बीटल्स आश्रम, लक्ष्मण झूला, त्रिवेणी घाट और गंगा आरती। आप इन स्थलों का भी दौरा कर सकते हैं और आसपास के प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं।
  9. नीलकंठ महादेव मंदिर की वास्तुकला कैसी है?

    • नीलकंठ महादेव मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर समुद्र मंथन का दृश्य उकेरा गया है। इसके अंदर शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा होती है, और दीवारों पर पूरी कथा चित्रित की गई है। यह वास्तुकला हिंदू मंदिरों की सुंदरता का एक अद्भुत उदाहरण है।
  10. क्या नीलकंठ महादेव मंदिर के पास आवास की सुविधा है?

    • हाँ, ऋषिकेश और स्वर्ग आश्रम के आस-पास कई गेस्ट हाउस और आवास सुविधाएँ उपलब्ध हैं। जो भक्त मंदिर के पास रुकना चाहते हैं, उनके लिए फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और अन्य सुविधाएं भी हैं।
  11. क्या मंदिर के पास जल में स्नान किया जा सकता है?

    • हाँ, मंदिर के पास एक प्राकृतिक झरना है, जहाँ भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले स्नान करते हैं। यह स्नान भक्तों को शुद्धि और ताजगी का अनुभव कराता है।
  12. क्या नीलकंठ महादेव मंदिर पूरे साल खुला रहता है?

    • हाँ, नीलकंठ महादेव मंदिर पूरे साल खुला रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण माह के दौरान यहाँ भक्तों की अधिक भीड़ होती है।


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