पहाड़ी कविताएं - पहाड़ों की सुबह, पहाड़ी वादियों की महक, पहाड़ी कविता (Pahari Poems - Morning of the Mountains, Smell of the Hill Valleys, Pahari Poetry)

 पहाड़ी कविताएं - पहाड़ों की सुबह, पहाड़ी वादियों की महक, पहाड़ी कविता (Pahari Poems - Morning of the Mountains, Smell of the Hill Valleys, Pahari Poetry)

यहाँ एक पहाड़ी कविता है जो पहाड़ों की सुंदरता और उनकी मनोहरता को दर्शाती है

भाग 2 पहाड़ी कविताएं -

  1. पहाड़ों की सुबह, 
  2. पहाड़ी वादियों की 
  3. महक, पहाड़ी कविता

"पहाड़ों की सुबह"

हरी-भरी वादियों में, सुबह की लाली है,
पहाड़ों की गोद में, प्रकृति की थाली है।

चिड़ियों का चहकना, जैसे बांसुरी की तान,
सुबह की ठंडी हवा, जैसे कोई सजीव गान।

धुंध में लिपटे हुए, पर्वतों के शिखर,
जैसे कोई साधु, ध्यान में हो प्रखर।

नदियों का कल-कल, झरनों की झंकार,
हरियाली में छिपा, स्वर्ग सा संसार।

मिट्टी की सौंधी खुशबू, फूलों का रंगीन बिछावन,
प्रकृति का ये उपहार, दिल को करता भावन।

सूरज की पहली किरण, जैसे सुनहरी चादर,
फैलती है जब पर्वतों पर, मन होता सागर।

पहाड़ों की सुबह, जीवन का अनमोल पल,
प्रकृति के आँचल में, हर दुख हो जाता हल।

यहीं मिलता सुकून, यहीं मिलती शांति,
पहाड़ों की गोद में, मिलती जीवन की भ्रांति।
- Trilok Singh Negi

पहाड़ी वादियों की महक

हरी-भरी घाटियाँ, फूलों की बगिया,
सुबह की ठंडी हवा, पंछियों की संगत।

नदियों का संगीत, झरनों की धारा,
सुरम्य ये दृश्य, मन को लुभाने वाला।

पर्वतों की ऊँचाई, आसमान को छूती,
हरियाली की चादर, मानो प्रकृति सजी।

खेतों में काम करते किसान की खुशबू,
मिट्टी की सौंधी महक, बंसी की धुन सुनाता।

बुजुर्गों की कहानियाँ, अतीत की यादें,
बच्चों की हंसी, नयी उमंग जगाती।

सादा जीवन, मीठी बोली,
स्नेह की धारा, मानो गंगा-यमुना।

इस पहाड़ी भूमि में बसता है सौंदर्य,
जो हर दिल को बांधता है, हर आँखों को मोहता है।

चाँदनी रात में, तारे झिलमिलाते,
प्रकृति का अनुपम उपहार, दिल को लुभाते।

चलो, इस पहाड़ी वादियों की ओर,
जहाँ मिलती है सुकून, प्रेम की डोर।
- Trilok Singh Negi

पहाड़ी कविता


नीले आकाश के नीचे, हरे-भरे पर्वत,
शांत घाटियाँ, बहते झरने,
नदियाँ कल-कल करतीं,
हरियाली में बसी सुंदरता।

पेड़ों की छाँव में बसी,
चिर शांति, सुकून की बस्ती,
पंछियों की चहचहाहट,
स्वर्गीय संगीत की धुन।

सुनहरी धूप, ठंडी हवा,
मिट्टी की सोंधी महक,
पर्वतों की ऊँचाईयों में,
मन की गहराईयाँ खो जाएँ।

पथरीली राहों पर चलती,
पगडंडियों की यात्रा,
हर मोड़ पर नया दृश्य,
नया अनुभव, नया सपना।

घरों की छतों पर बैठकर,
दूर-दूर तक देखना,
मानो सब कुछ थम गया हो,
बस यह पल हो सजीव।

यह पहाड़ों का जादू है,
जो दिल को छू जाता है,
शांति और सुकून का,
एक अनमोल खजाना है।

पर्वतों की गोद में बसे,
गाँवों की सादगी में,
जीवन की सच्ची मिठास,
और प्रेम की धारा बहती है।

यह पहाड़ी कविता है,
प्रकृति की अनमोल धरोहर,
जो हमें सिखाती है,
जीवन की सच्ची परिभाषा।
- Trilok Singh Negi

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