गढ़वाली संस्कृति में पहेलियाँ एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और ये न केवल मनोरंजन का स्रोत होती हैं, बल्कि स्थानीय परंपरा और भाषा के भी अहम पहलू हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम प्रस्तुत कर रहे हैं कुछ मजेदार और चुनौतीपूर्ण गढ़वाली पहेलियाँ और उनके उत्तर। ये पहेलियाँ गढ़वाली भाषा और संस्कृति की अनूठी झलक पेश करती हैं और आपके ज्ञान को भी बढ़ाएंगी। चलिए, जानते हैं गढ़वाली पहेलियाँ और उनके उत्तर:
गढ़वाली पहेलियाँ और उनके उत्तर
बूण जांद त घार मुख, घार आंद ते बूण मुख।
- उत्तर: कुल्हाड़ी
भीदडू बामण की सुना की टोपी।
- उत्तर: हिस्रा, हिसालु
काली छौं, कलचुंडी छौ। काला डण्डा रैंदु छौ। लाल पाणी पेंदु छौ।
- उत्तर: जू
घैणा जंगलम स्वाणु बाटू
- उत्तर: स्यून्द या मांग
छुटि छोरी को लम्बू फंदा
- उत्तर: सुई धागा
चम्म चमकी मोती का दाणा। फट हर्चि गीन कैल नी पाणा।
- उत्तर: ओला
फट फूटी घेड़ी, निकलू कालू पाणी। इन्नी मिठू होंद पैली नि जाणी।
- उत्तर: किन्गोड़
उनकि ऊनि छू। ऊनि ले नी देखि। जानी ले नि देखि।
- उत्तर: नींद
एक मनिख का तीन खुट।
- उत्तर: जैंती, जातीं
लस्स खुटी, लस्स पौ। तीन मुंड दस पौ।
- उत्तर: हल लगाता हुआ किसान
हथु -हथु में रैंदु सदनी, पर नीच हाड मांस। ऊँचा डंडा जौंदु छौ जख छौ झक्क घास।
- उत्तर: कंधी
मुंड मा मेरु छारु छौ। इन ना बोल्या जोगी छौ। कमर मेरी पतली छौ, इन ना बुल्या टुटदु छौ। पुटगु मेरु गड़गड़ कनु छौ। इन ना बोल्या रुग्णया छौ।
- उत्तर: हुक्का चिलम
गैरी बबरी, तीतरी बास। गजे सिंह जवँगा मलास।
- उत्तर: छाछ मथने की आवाज
एक सिंग्या खाडू दर दर हगन।
- उत्तर: जंदरु
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