उत्तराखंड की भाषा एवं साहित्य: गढ़वाली साहित्य पर MCQ प्रश्नोत्तरी
गढ़वाली साहित्य, उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। इस साहित्य में अनगिनत कहानियाँ, कविताएँ, और गाथाएँ छिपी हैं जो गढ़वाल की संस्कृति, परंपराओं, और सामाजिक संरचना को दर्शाती हैं। इस प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हम गढ़वाली साहित्य के बारे में आपकी जानकारी को परखेंगे और आपको इसके प्रमुख पहलुओं से परिचित कराएँगे।
1. सामान्यत: गढ़वाली साहित्य का प्रारम्भ कब से माना गया है?
- (a) 1659 ई.
- (b) 1698 ई.
- (c) 1750 ई.
- (d) 1789 ई.
उत्तर: (c) 1750 ई.
व्याख्या: गढ़वाली साहित्य का प्रारंभिक काल 1750 ई. से माना जाता है। इस काल में विभिन्न साहित्यिक रचनाएँ आरंभ हुईं, जिनमें कविताएँ, गद्य, और नाटक शामिल हैं।
2. 'गोरखवाणी' के रचयिता कौन हैं?
- (a) महाराजा सुदर्शनशाह
- (b) थोहरचन्द
- (c) हिमांशु जोशी
- (d) तोताकृष्ण गैरोला
उत्तर: (a) महाराजा सुदर्शनशाह
व्याख्या: 'गोरखवाणी' के रचयिता महाराजा सुदर्शनशाह हैं। यह साहित्यिक कृति गढ़वाली संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व है।
3. गढ़वाल लोकसाहित्य का हीरा मानी जाने वाली पुस्तक 'हिलांसी' के लेखक कौन हैं?
- (a) भगवती पंथरी
- (b) मानवेन्द्र शाह
- (c) सुमित्रानन्दन पन्त
- (d) मोलाराम
उत्तर: (a) भगवती पंथरी
व्याख्या: 'हिलांसी', गढ़वाल लोकसाहित्य का हीरा कही जाने वाली पुस्तक, भगवती पंथरी द्वारा लिखी गई है। यह गढ़वाली साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
4. गढ़वाली लोक साहित्य के आरम्भिक काल की प्रमुख काव्य रचनाएँ कौन-सी हैं?
- (a) बुरो संग
- (b) चेतावनी
- (c) हिन्दी
- (d) ये सभी
उत्तर: (d) ये सभी
व्याख्या: गढ़वाली लोक साहित्य के आरम्भिक काल की प्रमुख काव्य रचनाएँ 'बुरो संग', 'चेतावनी', और 'हिन्दी' हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को प्रकट करती हैं।
5. गढ़वाली बोली में लिखा गया प्रथम नाटक कौन-सा है?
- (a) जय-विजय
- (b) भक्त प्रहलाद
- (c) राजदरबारी
- (d) सभासार
उत्तर: (a) जय-विजय
व्याख्या: 'जय-विजय' गढ़वाली बोली में लिखा गया पहला नाटक है, जो गढ़वाली साहित्य के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था।
6. इनमें से किस भाषा में रायबहादुर डॉ. पातेराम ने पहली बार गढ़वाल का इतिहास प्रकाशित किया?
- (a) गढ़वाली
- (b) कुमाऊँनी
- (c) अंग्रेजी
- (d) विरह
उत्तर: (c) अंग्रेजी
व्याख्या: रायबहादुर डॉ. पातेराम ने गढ़वाल का इतिहास अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया, जो गढ़वाल की ऐतिहासिक यात्रा को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
7. गढ़वाल जनसाहित्य परिषद् की स्थापना किसके द्वारा की गई थी?
- (a) दामोदर प्रसाद थपलियाल
- (b) गोपेश्वर कोठियाले
- (c) घनश्याम रतूड़ी
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: गढ़वाल जनसाहित्य परिषद् की स्थापना दामोदर प्रसाद थपलियाल, गोपेश्वर कोठियाले, और घनश्याम रतूड़ी द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य गढ़वाली साहित्य को संरक्षित करना और उसे बढ़ावा देना था।
8. गढ़वाली कविता 'सिंहनाद' किसके द्वारा लिखी गई थी?
- (a) भगवती पंथरी
- (b) भजन सिंह
- (c) लीलानन्द कोटनाला
- (d) भवानी प्रसाद थपलियाल
उत्तर: (b) भजन सिंह
व्याख्या: 'सिंहनाद' भजन सिंह द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध गढ़वाली कविता है, जिसमें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाया गया है।
9. गढ़वाली लोक साहित्य में ऐतिहासिक लोकगाथाएँ क्या कहलाती हैं?
- (a) जागा
- (b) पँवाड़े
- (c) भड़ो
- (d) आण
उत्तर: (b) पँवाड़े
व्याख्या: गढ़वाली लोक साहित्य में ऐतिहासिक लोकगाथाएँ 'पँवाड़े' कहलाती हैं, जिनमें गढ़वाल के इतिहास और वीर गाथाओं का वर्णन होता है।
10. गढ़वाली लोक साहित्य में पौराणिक लोकगाथाएँ क्या कहलाती हैं?
- (a) जागर
- (b) पँवाड़े
- (c) आण
- (d) पण्डूली
उत्तर: (a) जागर
व्याख्या: 'जागर' गढ़वाली लोक साहित्य में पौराणिक लोकगाथाएँ कहलाती हैं, जो धार्मिक और पौराणिक कथाओं पर आधारित होती हैं।
11. निम्न में से किस विषय पर लोककथा आधारित नहीं होती है?
- (a) पशु-पक्षी सम्बन्धी
- (b) शिक्षा सम्बन्धी
- (c) देवी-देवताओं सम्बन्धी
- (d) भूत-प्रेत सम्बन्धी
उत्तर: (b) शिक्षा सम्बन्धी
व्याख्या: गढ़वाली लोक कथाएँ सामान्यतः पशु-पक्षी, देवी-देवताओं और भूत-प्रेत से संबंधित होती हैं, लेकिन शिक्षा से संबंधित कथाएँ इनमें नहीं मिलती हैं।
12. गढ़वाली भाषा में लोकोक्ति को क्या कहा जाता है?
- (a) आणा
- (b) परवाणा
- (c) माणा
- (d) रिक्थ
उत्तर: (b) परवाणा
व्याख्या: गढ़वाली भाषा में लोकोक्ति को 'परवाणा' कहा जाता है, जो समाज की समझ और अनुभव को दर्शाती हैं।
13. उत्तराखण्ड में शैली, भाषा, वर्ण, आदि के आधार पर लोकगीतों के कौन-से प्रकार हैं?
- (a) सांस्कारिक मांगलिक
- (b) मनोरंजनात्मक
- (c) देशभक्ति पूर्ण
- (d) ये सभी
उत्तर: (d) ये सभी
व्याख्या: उत्तराखण्ड में लोकगीतों के विभिन्न प्रकार हैं जैसे सांस्कारिक मांगलिक, मनोरंजनात्मक, और देशभक्ति पूर्ण, जो राज्य की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।
उपसंहार
गढ़वाली साहित्य और भाषा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस प्रश्नोत्तरी के माध्यम से हमने गढ़वाली साहित्य की विविधताओं, इतिहास, और प्रमुख लेखकों को समझने की कोशिश की। यदि आपके पास गढ़वाली साहित्य के बारे में कोई और प्रश्न या विचार हैं, तो हमें कमेंट्स के माध्यम से अवश्य बताएं!
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