मेरा पुश्तैनी घर और मैं
यह कविता जीवन के संघर्ष, जड़ें, और अपने गाँव की ओर लौटने की चाह को बखूबी बयाँ करती है। यह कविता एक व्यक्ति की कहानी कहती है जो शहर की चकाचौंध में अपनी जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गया है। लेकिन उसका दिल अभी भी अपने गाँव, उसकी मिट्टी और उसके पुराने घर के लिए धड़कता है।
गाँव की पुकार: जड़ों की ओर लौटने की चाह
जड़ों की ओर लौटने की चाह
1. शहर की चमक और गाँव का सुकून
2. जिम्मेदारियों का बोझ और आत्मीय पुकार
3. गाँव के जीवन की मधुर स्मृतियाँ
4. पुश्तैनी घर और बंधनों का आह्वान
5. घर लौटने की उम्मीद और पश्चाताप
6. फिर लौट आऊंगा गाँव की मिट्टी में
यहाँ इस कविता का विश्लेषण और अर्थ विस्तार से बताया गया है:
1. चंद सिक्को की खनक और रईशी ठाठ बाट की चमक
- चंद सिक्को की खनक बहुत दूर ले आयी मुझे:
- कुछ पैसों की चाहत और ज़रूरत व्यक्ति को अपने गाँव से दूर ले जाती है। यहाँ "सिक्को की खनक" उन आर्थिक आवश्यकताओं का प्रतीक है जो व्यक्ति को अपने परिवार से दूर जाने पर मजबूर करती हैं।
- रईशी ठाठ बाट की चमक बहुत आगे ले आई मुझे:
- आधुनिक जीवन की चमक-दमक और रईसी की तलाश ने व्यक्ति को और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, लेकिन यह उस जीवन की गहराई खो देता है जो उसकी जड़ों से जुड़ा था।
2. जिम्मेदारियों का बोझ और घर लौटने की चाहत
- कुछ जिम्मेवारियां पूरी करने दे ऐ!! जिंदगी मैं फिर वापस आऊंगा:
- व्यक्ति जिम्मेदारियों से बंधा हुआ है, और उन जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद अपने गाँव लौटने की इच्छा व्यक्त कर रहा है। यह जीवन की वास्तविकता को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति को अपनी प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।
- उसी गाँव में खेत खलिहानों में मशगूल मिलूंगा तुझे:
- यह पंक्ति गाँव के जीवन की सरलता और उसमें छिपे सुख को दर्शाती है, जहाँ व्यक्ति को अपने खेत-खलिहान में शांति मिलती है। यह वापस लौटने की तड़प और अपने मूल जीवन में लौटने की प्रतीक्षा को बयां करता है।
3. गाँव का जीवन और उसकी मधुर यादें
पानी के धारों में फिर गागर से पानी लाता दिखूंगा तुझे:
- गाँव की जीवन शैली की यादें, जैसे धारों से पानी लाना, व्यक्ति के दिल में बसती हैं। यह प्राकृतिक जीवन की ओर लौटने की इच्छा को दर्शाता है।
ठूलबोज्यू संग चाख में बैठ फिर हुक्का गुड़गुड़ाता नजर आउंगा तुझे:
- गाँव में रिश्तेदारों के साथ बिताए गए समय की यादें, जहाँ हुक्का पीते हुए जीवन का आनंद लिया जाता था। "ठूलबोज्यू" का उल्लेख किसी बड़े व्यक्ति के साथ बिताए गए सुखद पलों का संकेत है।
सांझ ढले चूल्हे में बाड़ो भंगाड़ो का साग पात पकाता रिस्यान में बैठा नजर आऊंगा तुझे:
- शाम के समय की शांति, जब चूल्हे पर खाना पकता था, और परिवार के साथ समय बिताना, यह सभी बातें गाँव के जीवन की यादों को ताजा कर देती हैं। "बाड़ो भंगाड़ो का साग" उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन का प्रतीक है।
4. गाँव की मिट्टी की पुकार और आत्मीयता का एहसास
ईजा जिन देलियो को रोज लिपती वो बहुत उदास रहते हैं:
- "ईजा" का अर्थ होता है 'माँ', जो घर की देखभाल करती हैं। देलियो को रोज लिपने का उल्लेख घर की सफाई और सजावट का प्रतीक है, और जब व्यक्ति वहाँ नहीं होता, तो वह घर उदास हो जाता है।
बंधार का पानी चक्की की आवाजें अक्सर मुझे ढूँढते हैं:
- बंधार (नहर) का पानी और चक्की की आवाजें, गाँव के प्राकृतिक वातावरण और दिनचर्या की याद दिलाती हैं। यह आवाजें जैसे व्यक्ति को अपने मूल स्थान की ओर पुकार रही हों।
5. जिम्मेदारियों से मुक्त होकर घर लौटने की उम्मीद
- बस कुछ और... मैं जिम्मेदारियों से निजात पा घर लौटूंगा:
- व्यक्ति की इच्छा है कि वह अपनी जिम्मेदारियों से जल्द ही मुक्त होकर अपने गाँव वापस लौट सके। यह आशा और इंतजार की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- फिर वही बिरादरों की जमात में संगत जमाऊंगा:
- अपने परिवार और बिरादरी के बीच वापस लौटने की उम्मीद और उनके साथ मिलकर समय बिताने की इच्छा व्यक्ति के दिल में बसी है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक बंधनों का प्रतीक है।
6. पुश्तैनी घर की पुकार और वापसी की उम्मीद
वे गाँव के रास्ते, मेरी बाट जोहता मेरा जीर्ण शीर्ण पुश्तैनी घर:
- व्यक्ति का पुश्तैनी घर जो समय के साथ जर्जर हो गया है, उसे वापस लौटने के लिए पुकारता है। यह घर उस विरासत और इतिहास का प्रतीक है, जो व्यक्ति से जुड़ा हुआ है।
वो बिन बरसात वहाँ बंधार टपकाता मैं पश्चाताप में यहाँ आँसू बहाता:
- गाँव में बिन बरसात बंधार का टपकना, गाँव की स्थिति और उसके प्रति व्यक्ति के मन में बसे पश्चाताप की भावना को दर्शाता है। यह उस समय की याद दिलाता है जब व्यक्ति गाँव में रहकर उसकी देखभाल कर सकता था।
निष्कर्ष
इस कविता में भावनात्मक गहराई के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बहुत ही सुंदर तरीके से उकेरा गया है। यह जीवन के संघर्षों, गाँव की यादों, और अपने घर लौटने की चाह को बयां करती है। यह उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने मूल स्थान से दूर रहकर जीवन की जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं, लेकिन उनका दिल अभी भी उनकी जड़ों की ओर खिंचा हुआ है।
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- कविता का शीर्षक है आपणी गौ की पुराणी याद(The title of the poem is Purana Yaad of Aapni Gau )
- इस कविता द्वारा घर #गाँव की #भूली #बिसरी #पुरानी यादो को स्मरण करने का प्रयास किया गया है।
- कविता का शीर्षक है "आपणी गौ की पुराणी याद"
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