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उत्तराखंड का औषधीय खजाना: किनगोड़ ( Berberis Aristata ) और शुगर का रामबाण इलाज
उत्तराखंड के हरे-भरे और विविधतापूर्ण जंगलों में पाया जाने वाला एक अनमोल जंगली फल है किनगोड़ (Berberis Aristata)। इसे शुगर जैसी भयानक बीमारी का रामबाण इलाज माना जाता है। यह पौधा न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके फलों का स्वाद भी इसे विशेष बनाता है। समुद्रतल से 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाला यह पौधा उत्तराखंड, हिमाचल, नेपाल और श्रीलंका में पाया जाता है।
किनगोड़ के औषधीय गुण
शुगर के लिए रामबाण इलाज:
किनगोड़ की जड़ें शुगर (मधुमेह) जैसी बीमारी से लड़ने में बेहद कारगर होती हैं। स्थानीय मान्यताओं और पारंपरिक ज्ञान के अनुसार, किनगोड़ की जड़ों को पानी में भिगोकर रोज़ाना सुबह सेवन करने से शुगर के रोगियों को काफी लाभ मिलता है। इसकी जड़ें शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं, जिससे यह शुगर रोगियों के लिए एक प्राकृतिक उपाय के रूप में काम करती है।
पीलिया के लिए लाभकारी:
किनगोड़ का पानी पीलिया जैसी गंभीर बीमारी में भी उपयोगी है। इसकी जड़ों से तैयार पानी पीलिया रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है और शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
किनगोड़ के फल और उनके फायदे
किनगोड़ का फल उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक पसंदीदा जंगली फल है। इसका अनोखा स्वाद हर किसी को आकर्षित करता है। इसके फलों का सेवन मूत्र संबंधी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा, किनगोड़ के फलों में विटामिन C की भरपूर मात्रा होती है, जो त्वचा रोगों के उपचार में सहायक होती है।
मूत्र संबंधी बीमारियों में लाभ:
किनगोड़ के फलों का सेवन मूत्र संबंधी बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक होता है। इसका नियमित सेवन शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और मूत्र प्रणाली को स्वस्थ रखता है।
त्वचा रोगों में लाभ:
विटामिन C से भरपूर किनगोड़ के फल त्वचा की समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होते हैं। यह फल त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है, जिससे त्वचा रोगों से भी राहत मिलती है।
किनगोड़ का वैज्ञानिक महत्व
वानस्पतिक नाम:
किनगोड़ का वानस्पतिक नाम Berberis Aristata है। इस पौधे में बरबरीन नामक रसायन की मौजूदगी के कारण इसका रंग पीला होता है। बरबरीन एक एंटी डायबेटिक गुणों से भरपूर रसायन है, जो इसे अन्य औषधीय पौधों से अलग बनाता है।
होम्योपैथी में उपयोग:
इस पौधे से होम्योपैथी में बरबरिस नामक दवा तैयार की जाती है, जो विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी होती है। यह दवा विशेष रूप से मूत्र संबंधी समस्याओं और गुर्दे की बीमारियों के इलाज के लिए प्रसिद्ध है।
अल्कोहल ड्रिंक और कपड़े रंगने में उपयोग:
किनगोड़ की जड़ों का उपयोग न केवल औषधीय रूप में होता है, बल्कि इससे एक विशेष प्रकार की अल्कोहल ड्रिंक भी बनाई जाती है। इसके अलावा, कपड़े रंगने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह प्राचीन समय से कपड़े रंगने के लिए एक प्राकृतिक रंग स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता रहा है।
किनगोड़ का संरक्षण और स्थानीय जागरूकता की आवश्यकता
किनगोड़ की जड़ी-बूटी बेहद लाभकारी होती है, लेकिन इसके बारे में स्थानीय लोगों को बहुत कम जानकारी होती है। बाहरी क्षेत्रों से आने वाले ठेकेदार अक्सर इसकी जड़ों को एकत्रित करके अपने साथ ले जाते हैं। इसीलिए इस अद्भुत पौधे के संरक्षण और इसके औषधीय गुणों की जानकारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
किनगोड़ उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक ऐसा अनमोल फल है, जो न केवल स्वाद में बेजोड़ है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसकी जड़ों का उपयोग शुगर, पीलिया, मूत्र संबंधी रोगों और त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है। इसके फलों में विटामिन C और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो इसे एक अद्भुत प्राकृतिक औषधि बनाते हैं। इस पौधे का वैज्ञानिक महत्व और पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग इसे उत्तराखंड के औषधीय खजाने में महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है।
कविता:
"किनगोड़ का स्वाद अनमोल,
औषधीय गुणों का खजाना बेमिसाल।
शुगर से राहत, पीलिया का इलाज,
प्रकृति ने दिया हमें अनमोल राज।"
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