घिंघारू: उत्तराखंड का स्वादिष्ट और गुणकारी जंगली फल - ghingharu: uttarakhand ka svadisht aur gunkari jangali phal

घिंघारू: उत्तराखंड का स्वादिष्ट और गुणकारी जंगली फल


परिचय:

घिंघारू, उत्तराखंड के पहाड़ों में पाया जाने वाला एक विशेष जंगली फल है। अपने चटक लाल रंग के दानों और खट्टे-मीठे स्वाद के कारण यह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस फल के कई औषधीय और उपयोगी गुण भी हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। उत्तराखंड का शायद ही कोई ऐसा नागरिक होगा जिसने जंगल या खेतों में गाय बकरी चराते समय इसका स्वाद न चखा हो।


घिंघारू के उपयोग और लाभ:

  1. पहाड़ी हर्बल चाय: घिंघारू की पत्तियों से एक विशेष प्रकार की हर्बल चाय बनाई जाती है, जो न केवल स्वाद में उत्कृष्ट होती है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

  2. लाठी बनाने में उपयोग: इसकी मजबूत लकड़ियों का इस्तेमाल लाठी बनाने में किया जाता है, जो कि पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए अत्यंत उपयोगी होती है।

  3. ऊर्जा का स्रोत: घिंघारू के फलों का सेवन करने से शरीर को तत्काल ऊर्जा मिलती है क्योंकि इसमें शर्करा की मात्रा काफी होती है, जो कि शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।

  4. दांत दर्द में लाभ: इसका प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है, जो दांत दर्द में राहत देने में सहायक होता है।

  5. श्वास और पाचन क्रिया में सुधार: इसके बीजों और पत्तों में एक हल्का जहरीला द्रव्य ‘हायड्रोजन-सायनायड’ पाया जाता है, जो श्वास और पाचन क्रिया को ठीक करने में सहायक होता है। यह द्रव्य हानिरहित होता है और सही मात्रा में इसका सेवन लाभकारी होता है।

  6. कैंसर रोधी गुण: घिंघारू के बीजों और पत्तियों में मौजूद रसायन कैंसर रोधी होते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से श्वास समस्या उत्पन्न हो सकती है, इसलिए इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए।


निष्कर्ष:

घिंघारू एक ऐसा फल है जो उत्तराखंड की समृद्ध प्राकृतिक धरोहर का प्रतीक है। इसके औषधीय गुण और विभिन्न उपयोग इसे विशेष बनाते हैं। यदि इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह हमारी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है।



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