कालरात्रि की महिमा: तीन बेहतरीन कविताएँ - The glory of Kalaratri: Three excellent poems.

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कालरात्रि की महिमा: तीन बेहतरीन कविताएँ

कविता 1: कालरात्रि का आशीर्वाद

अंधकार से भरी रात, जब भू में छाया धुआँ,
मां कालरात्रि आईं, लाया नन्हा चाँद सा।
दुष्ट रक्तबीज का संहार, किया जब उसने,
संकटों का नाश हुआ, सबने किया जयकारा।

चार हाथों में खड्ग, लोह शस्त्र चमकता,
अभय मुद्रा में खड़ी, मां का रूप अनमोल।
हर भक्त की आस्था, हर मन की आवाज,
मां कालरात्रि का नाम, सबका जीवन बन जाए।


कविता 2: शक्ति का प्रतीक

ओ मां कालरात्रि, तुम हो शक्ति की अवतार,
दुखों का नाश करती, तुम हो जग की पालनहार।
तुम्हारे चरणों में समर्पण, सारा संसार करे,
भक्ति के इस मार्ग पर, हर मन को शांति मिले।

काली कांति की देवी, अंधकार का अंत हो,
हर भक्त के दिल में, तुम हो सदा रक्षिका।
जब भी संकट आएं, तुम सहेज लो हमें,
मां कालरात्रि की महिमा, जग में हर ओर फैले।


कविता 3: माँ का आशीर्वाद

जब भी बुराई ने किया मुझ पर वार,
मां कालरात्रि आईं, संजीवनी का साकार।
काली रात में जब लहराई चाँदनी,
मां का नाम लिया, मिट गई हर कष्ट की कड़ी।

तुमसे है विश्वास, तुमसे है आस,
संकट में जो तुम हो, वो है जीवन का प्रकाश।
जय मां कालरात्रि, संकटों की हो तुम हार,
तेरे चरणों में अर्पित, मेरा हर सुख और प्यार।

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