मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता - I don't go to my village

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शहर की सुख-सुविधाओं के बीच गांव की यादें


कविता:

मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता
ऐसा नहीं कि मुझको शहर नहीं भाता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

छोले, राजमा, अरहर बनती है अक्सर
चड़कवानी वाला वो स्वाद नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

चौड़ी सड़कों पर गाड़ियां भागे सरपट
नीला वो आसमा नजर नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

डीजे की धूम खूब रहती है शादी में
मस्त रतैली वाला वो मजा नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

सुख सुविधा के सब साधन निराले हैं
सुकून वाला वो अहसास नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

अड़ोस पड़ोस की वैसे तादात बहुत है
"राजू" बेमतलब कोई मिलने नहीं आता
खुश हूँ, मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता।।

© राजू पाण्डेय


अर्थ और विश्लेषण:

"मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता" कविता एक भावनात्मक यात्रा का चित्रण करती है, जिसमें कवि अपने गांव की यादों और जीवन की सरलता को शहर की भव्यता के सामने प्रस्तुत करता है।

1. गांव की यादें:

  • कविता में कवि शहर की आधुनिकता और सुख-सुविधाओं के बावजूद अपने गांव की यादों को संजोए हुए है। गांव की खासियतें और यादें उसे शहर की तमाम सुविधाओं से ज्यादा प्रिय हैं।

2. खाना और स्वाद:

  • गांव का चड़कवानी स्वाद और पारंपरिक खाना कवि के दिल में बस गया है, जो शहर में उपलब्ध खाना उसे नहीं भाता।

3. प्राकृतिक सौंदर्य:

  • शहर की चौड़ी सड़कों और नीले आसमान के बजाय गांव की सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य को कवि ज्यादा महत्वपूर्ण मानता है।

4. संगीत और आनंद:

  • शहर में होने वाली डीजे की धूम के मुकाबले गांव का रतैली (पारंपरिक संगीत) का आनंद कवि को ज्यादा याद आता है।

5. सुकून और सच्चे रिश्ते:

  • शहर की सुख-सुविधाओं के बावजूद गांव का सुकून और सच्चे रिश्तों की कमी महसूस होती है। गांव में लोगों के साथ सच्ची भावनाएं और संबंध थे, जो शहर में नहीं मिलते।

6. अड़ोस-पड़ोस और सामाजिक संबंध:

  • शहर में लोगों की तादात होने के बावजूद बेमतलब मिलने की कमी और रिश्तों की कमी को कवि महसूस करता है, जबकि गांव में हर कोई एक-दूसरे के साथ जुड़ा हुआ था।

Keywords:

  • गांव की यादें
  • शहर की सुख-सुविधाएं
  • पारंपरिक स्वाद
  • प्राकृतिक सौंदर्य
  • सुकून और रिश्ते

"मुझमें से मेरा गांव नहीं जाता" कविता एक दिल छू लेने वाली कविताई है, जो शहर की चमक-धमक के बावजूद गांव की सरलता और सच्चे रिश्तों की अहमियत को उजागर करती है। यह कविता हमें याद दिलाती है कि कुछ चीजें शहर की सुविधाओं में खो जाती हैं, और गांव की यादें हमेशा दिल में बसी रहती हैं।

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