जय केदारनाथ: पवित्र धाम, मंत्र और महात्म्य - Jai Kedarnath: Pavitra Dhaam, Mantra aur Mahatmaya

जय केदार उदार शंकर: केदारनाथ धाम का महात्म्य और पावन मंत्र

जय केदार उदार शंकर, मन भयंकर दुख हरम्,
गौरी गणपति स्कंद नंदी, श्री केदार नमाम्यहम्।

शैली सुंदर अति हिमालय, शुभ मंदिर सुंदरम्,
निकट मंदाकिनी सरस्वती जय केदार नमाम्यहम्।

उदक कुंड है अधम पावन रेतस कुंज मनोहरम्,
हंस कुंड समीप सुंदर जै केदार नमाम्यहम्।

अन्नपूर्णा सहं अर्पणा काल भैरव शोभितम्,
पंच पांडव द्रोपदी सम जै केदार नमाम्यहम्।

शिव दिगंबर भस्मधारी अर्द्धचंद्र विभुषितम्
शीश गंगा कंठ फणिपति जै केदार नमाम्यहम्।

कर त्रिशूल विशाल डमरू ज्ञान गान विशारद्‍,
मदमहेश्वर तुंग ईश्वर रूद्र कल्प गान महेश्वरम्।

पंच धन्य विशाल आलय जै केदार नमाम्यहम्,
नाथ पावन है विशालम् पुण्यप्रद हर दर्शनम्,
जय केदार उदार शंकर पाप ताप नमाम्यहम्।

केदारनाथ धाम भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक अत्यंत पवित्र और धार्मिक स्थल है। यह धाम उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की गोद में स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिव जी की पूजा "केदारनाथ" रूप में की जाती है। केदारनाथ धाम के दर्शन और पूजन से सभी पापों का नाश होता है और दुखों से मुक्ति मिलती है।

केदारनाथ का पवित्र मंत्र

मंत्र: "ॐ केदाराय ज्योतिर्लिंगाय नमः"

यह मंत्र भगवान केदारनाथ को समर्पित है और उनकी आराधना के लिए अत्यधिक फलदायी माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

केदारनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और रहस्यमयी है। इसे लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं:

  1. राहुल सांकृत्यायन के अनुसार, यह मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था।
  2. राजा भोज द्वारा प्राप्त शिलालेखों से पता चलता है कि उन्होंने 1076-1099 के बीच इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
  3. आदि शंकराचार्य द्वारा भी यह मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में उन्होंने मौजूदा केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था।
  4. पांडवों द्वारा इस क्षेत्र में एक अन्य मंदिर भी बनवाया गया था, जो मौजूदा मंदिर के ठीक पीछे स्थित है।

केदारनाथ: भगवान शिव के अवतार

केदारनाथ धाम की पौराणिक कथा में यह माना जाता है कि विष्णु जी के नर-नारायण रूप को भगवान शिव ने केदार क्षेत्र में दर्शन दिए थे। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पांचवां स्थान रखता है और इसलिए इसे अत्यधिक पवित्र माना जाता है।

भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है। इस मंत्र का जप व्यक्ति को अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाता है और जीवन में दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।

केदारनाथ यात्रा और दर्शन

केदारनाथ की यात्रा कठिन मानी जाती है, परन्तु भक्तों के मन में अपार श्रद्धा और भक्ति के कारण इस यात्रा का महत्व बढ़ जाता है। मंदिर के समीप मंदाकिनी और सरस्वती नदियों का संगम है, जो इस क्षेत्र की धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं।

केदारनाथ मंदिर के विशेष पूजन और उत्सव

केदारनाथ में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रहती है, परन्तु विशेषकर महाशिवरात्रि, श्रावण मास और दीपावली के समय यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। केदारनाथ धाम के कपाट हर साल अप्रैल में खुलते हैं और भक्तों को भगवान के दिव्य दर्शन प्राप्त होते हैं।

निष्कर्ष

केदारनाथ धाम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की यात्रा, पूजा और भगवान शिव का आशीर्वाद सभी के जीवन में सकारात्मकता और शुभता का संचार करते हैं।

जय केदारनाथ! जय भगवान शिव!


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